🔥 साली की सुहागरात – जब दुल्हन की जगह उसकी बहन ने संभाली बिस्तर

Pehli Baar-Part 1

शॉर्ट टीज़र

पहली रात दूल्हा सज-धज कर अपनी दुल्हन का इंतज़ार कर रहा था, लेकिन किस्मत ने खेल खेला—दुल्हन माहवारी में थी। कमरे का दरवाज़ा जब दोबारा खुला, तो अंदर आई उसकी छोटी बहन… उसके होंठ काँप रहे थे, मगर आँखों में वासना का वो पापी नशा था।


👩 पात्रों का ब्योरा

  • अमित (दूल्हा, 26 साल): लंबा-चौड़ा शरीर, पहली ही रात लंड में ज्वालामुखी दबा हुआ। दुल्हन को पाने की चाह कई दिनों से सुलग रही।
  • रीना (दुल्हन, 23 साल): गोरी, भोली, लेकिन आज सुहागरात पर मजबूरी से दूर। माहवारी ने उसकी पहली रात छीन ली।
  • नेहा (साली, 19 साल): पतली कमर, भरे हुए गोल-मटोल चूचे, शरारती आँखें। बचपन से ही जीजाजी को छुपकर निहारती रही। पहली बार इतनी पास आई थी।

🌙 प्लॉट / सेटिंग

जाड़े की रात थी, ऊपर से हल्की फुहारें चल रही थीं। पूरा घर शादी की थकान से सो चुका था। कमरे में हल्की पीली रोशनी, फूलों की खुशबू और दूध-फल से सजी थाली रखी थी। अमित का मन बेचैन था, लेकिन जब दरवाज़ा खुला, तो उसकी आँखों ने जो देखा, उस पर यकीन करना मुश्किल था।


💋 फोरप्ले / बिल्डअप (पहला चरण)

अमित चौक कर बैठ गया—
“नेहा… तुम?”

नेहा घबराई आवाज़ में बोली, “जीजाजी… दीदी की तबियत… मतलब… आज वो…”
बात अधूरी रह गई। उसका चेहरा लाल था।

अमित के अंदर खौलते लावा ने मौका पकड़ लिया। धीरे से उठकर उसने नेहा का हाथ थाम लिया।
“तो आज… मेरी पहली रात अधूरी रह जाएगी?” उसने धीमे से कान में फुसफुसाया।

नेहा काँप उठी। उसकी साँसें तेज़ हो गईं। आँखें झुकीं, लेकिन बदन जैसे खुद-ब-खुद करीब आ रहा था।

अमित ने उसके चेहरे की लट हटाई और पहली बार साली के गाल पर होंठ रख दिए।
नेहा ने आँखें कसकर बंद कर लीं… उसके होठ काँप रहे थे।

“जीजाजी… ये गलत है…” उसकी आवाज़ रुक-रुक कर निकली।
“गलत भी… और सबसे मीठा भी,” अमित बेताबी से बोला।

उसके बाद अमित ने धीरे-धीरे नेहा की ठोड़ी उठाई, होंठों पर हल्की चुम्मी रखी।
नेहा की देह जैसे बिजली खा गई। उसने हाथ पीछे धकेलने की कोशिश की, मगर उँगलियाँ ढीली पड़ गईं।

अब दोनों के होंठ टकरा चुके थे—पहली बार, काँपते हुए, पापी वासना में भीगे हुए।
अमित ने उसे अपनी बाँहों में कस लिया और धीरे-धीरे उसके चूचों पर हाथ फेरने लगा।

नेहा की साँसें फूली हुई थीं।
“जीजाजी… मत… कोई देख लेगा…”

“दरवाज़ा बंद है… अब सिर्फ़ तू और मैं…”

अमित के हाथ अब नेहा के ब्लाउज पर थे। वो हल्के-हल्के दबा रहा था, कपड़े के अंदर से उभरे हुए नर्म गोले उसकी पकड़ में आ रहे थे।
नेहा ने सिर पीछे झुकाया, होंठों से हल्की सिसकारी निकली।

कमरे में चुप्पी और दोनों की साँसों की आवाज़ भर गई थी।
अमित की उँगलियाँ अब नेहा की पीठ के हुक तक पहुँच गईं… धीरे से ब्लाउज खुल गया।
उसके गोरे चूचे अब सिर्फ ब्रा में कैद थे।

नेहा शर्म से सिकुड़ रही थी, पर उसके हाथ अमित की कमीज़ पकड़ चुके थे, जैसे उसे छोड़ना ही नहीं चाहती।

“तू जानती है, मैं कितने दिनों से ये सपना देख रहा हूँ…” अमित बुदबुदाया।
उसने ब्रा के ऊपर से चूचों को दबाया।
नेहा के मुँह से अनजाने में “आह…” निकल गया।

उसकी आँखों में डर और चाह दोनों तैर रहे थे।
ये बस शुरुआत थी, लेकिन दोनों की देह अब और रुकने के लिए तैयार नहीं थी।


💔 ट्विस्ट / इमोशनल

नेहा ने खुद को अमित की बाँहों में कैद पाया। उसे लगा जैसे कोई लकीर पार हो चुकी है। उसके मन में पाप का बोझ था—पर शरीर उस बोझ से भी भारी वासना में भीग चुका था।

नेहा काँपती हुई अमित की बाँहों में थी। उसके ब्लाउज का हुक खुल चुका था और ब्रा के नीचे से गोरे, मुलायम उभार फड़फड़ा रहे थे।

अमित ने धीमे से उसके कान में फुसफुसाया—
“तुझे पता भी है तेरे इन चूचों को देखने के लिए मैं कितनी रातें जागा हूँ…”

नेहा हड़बड़ा गई, “जीजाजी… मत कहो ऐसे… मैं बहुत छोटी हूँ…”
अमित हँसा, “छोटी? ये गोलाई देख… ये मासूम नहीं, कातिल हैं।”

उसने उँगलियों से ब्रा की कप पर गोल-गोल घुमाना शुरू किया। नेहा का बदन काँप उठा।
“आह… जीजाजी…” उसने होंठ काट लिए, ताकि आवाज़ बाहर न निकले।

अमित ने धीरे से ब्रा का हुक भी खोल दिया। ब्रा ढीली होकर नीचे खिसक गई और पहली बार नेहा के गोरे, भरे-भरे स्तन सामने आ गए।

उस पल नेहा ने अपनी बाहों से सीना ढक लिया।
“नहीं… प्लीज़… शर्म आती है।”

अमित ने उसकी बाँहें धीरे से हटाईं और गहरी नज़र से उसे देखा।
“ये लाज मत छुपा… यही तो सबसे हसीन है।”

उसने झुककर एक चूचे को होंठों में भर लिया।
“म्म्म…” नेहा का गला काँप गया। उसकी उँगलियाँ अमित के बालों में उलझ गईं।

अमित जी-भरकर उसके चूचों को चूसने लगा—कभी बाएँ, कभी दाएँ।
उसकी जीभ से निप्पल गीला होता, तो नेहा की पूरी देह झनझना उठती।

“जीजाजी… आह… मत कीजिए इतना… दिल तेज़ धड़क रहा है मेरा…”
“तुझसे ज़्यादा तेज़ मेरा लंड धड़क रहा है नेहा…”

नेहा ने डरते हुए नीचे उसकी पैंट की तरफ़ देखा। कपड़े की सिलाई तनी हुई थी।
उसकी साँस अटक गई—ये तो सचमुच फटने वाला है।

अमित ने उसके दोनों स्तनों को हथेलियों में दबाया और धीरे-धीरे मसलने लगा।
“ये तेरी पहली रात है… लेकिन तेरे साथ, नेहा।”

नेहा के गाल लाल थे। उसने काँपते होंठों से कहा—
“अगर दीदी को पता चल गया तो…”

अमित ने उसका मुँह चूमते हुए कहा,
“आज तू बस अपनी दीदी को भूल जा… सिर्फ मैं और तू।”

अब उसने नेहा को पलंग पर लिटा दिया। फूलों की महक और दूध की कटोरी कमरे में फैल रही थी।
नेहा ने घबराकर दुपट्टा सीने पर खींच लिया, लेकिन अमित ने उसे हटा दिया।

वो झुककर उसके पेट पर किस करने लगा।
हर किस के साथ नेहा का बदन सिहर उठता।
“आह… जीजाजी… नीचे मत जाइए…”

“आज हर कोना देखूँगा… तेरी हर खुशबू सूँघूँगा।”

उसके होंठ अब नेहा की नाभि पर थे।
जीभ से गोल-गोल घुमाते ही नेहा की कमर ऊपर उठ गई।
“आह्ह… जीजाजी… पागल कर दोगे मुझे…”

नेहा की देह पसीने से भीगने लगी। वो एक तरफ़ मचल रही थी, पर अमित के हाथ उसकी कमर को पकड़कर दबाए हुए थे।


💔 ट्विस्ट / इमोशनल

नेहा की आँखों में पानी भर आया—वासना और डर का मिला-जुला असर।
“ये पाप है… पर ये पाप छोड़ भी क्यों नहीं पा रही…” उसने खुद से सोचा।
उसके हाथ अब अमित की शर्ट पर थे—मानो रोकने के लिए, मगर उँगलियाँ बटन खोल रही थीं।

अमित की जीभ नेहा की नाभि पर खेल रही थी। हर बार जब वो जीभ घुमाता, नेहा की साँसें तेज़ हो जातीं।

“आह… जीजाजी… और मत नीचे जाइए… प्लीज़…”
नेहा ने काँपते हुए कहा, पर उसकी कमर खुद ऊपर उठ रही थी।

अमित ने मुस्कुराते हुए फुसफुसाया—
“तेरे मुँह की ‘ना’ और जिस्म की ‘हाँ’ अलग क्यों बोलते हैं, नेहा?”

उसने धीरे से अपने हाथ नीचे सरकाए और नेहा की साड़ी की प्लीट्स खोलने लगा।
फूलों की सजावट के बीच साड़ी खिसककर ज़मीन पर जा गिरी।

अब बस उसकी लाल पेटीकोट और नेट की पैंटी बची थी।
नेहा ने झट से अपनी जाँघें आपस में भींच लीं।

“नहीं… जीजाजी… इतनी बेइज़्ज़ती मत कराओ मुझसे…”
अमित ने उसके गाल सहलाते हुए कहा,
“ये बेइज़्ज़ती नहीं… तेरी असली सुहागरात है।”

वो धीरे से नेहा की जाँघों पर उँगलियाँ फिराने लगा।
उसकी साँसें तेज़ हो गईं।

नेहा ने करवट बदल ली, ताकि उसकी पैंटी छुप जाए।
पर अमित ने उसकी कमर पकड़कर दोबारा सीधा कर लिया।
“भागेगी? अरे, तेरे बदन का हर कोना मेरा है।”

उसने उसके घुटनों को अलग किया।
थाईज़ की गोरी, चिकनी त्वचा पर झुककर उसने किस किया।
“म्म्म…” नेहा के होठों से दबा हुआ कराह निकला।

वो दोनों जाँघों को बारी-बारी से चूमता रहा—ऊपर से नीचे तक।
हर किस के बाद नेहा की देह ढीली पड़ने लगी।

“जीजाजी… आह… बहुत शर्म आ रही है…”
“शर्म तेरे चेहरे पर अच्छी लगती है… लेकिन तेरी जाँघें मुझे कुछ और ही कह रही हैं।”

उसने धीरे-धीरे उसकी पैंटी की elastic पकड़ी।
नेहा का दिल ज़ोर से धड़क उठा।

“नहीं… ये मत कीजिए… मैं सच में रो दूँगी…”
अमित रुक गया, पर उसकी उँगलियाँ elastic छोड़ने की बजाय वहीं टिक गईं।

उसने झुककर नेहा की जाँघों के जोड़ पर जीभ से हल्की सी लाइन खींच दी।
“आह्ह्ह…” नेहा का पूरा बदन काँप उठा।

अब वो खुद अपनी जाँघें और कसकर भींच नहीं पा रही थी।
उसके होंठ काँप रहे थे, आँखें बंद थीं।

अमित ने फुसफुसाकर कहा—
“बस एक बार मुझे देखने दे, नेहा… तेरी पहली बार की गर्मी…”

नेहा ने काँपते हुए मुँह दूसरी तरफ़ मोड़ लिया।
उसकी चुप्पी ही उसकी मौन इजाज़त थी।

धीरे-धीरे अमित ने उसकी पैंटी को थोड़ी नीचे सरका दिया।
गोरी जाँघों के बीच से काली झलक दिखी।
नेहा ने दोनों हथेलियों से चेहरा ढक लिया।


💔 ट्विस्ट / इमोशनल

उसके दिल में अपराधबोध और डर की लहर दौड़ गई—
“ये मैं क्या कर रही हूँ… दीदी सो रही हैं और मैं…”
लेकिन उसी पल उसके जिस्म ने धोखा दिया—
पैंटी गीली हो चुकी थी।

नेहा की आँख से एक आँसू निकला।
“मैं चाहकर भी खुद को रोक क्यों नहीं पा रही…”

नेहा का चेहरा अब तक तकिये में छुपा था। उसकी हथेलियाँ उसके गाल ढक रही थीं। पर उसकी साँसें बता रही थीं कि उसके अंदर की आग अब काबू से बाहर हो रही थी।

अमित ने धीरे से उसकी पैंटी की जगह पर हाथ रखा।
गर्मी और नमी की एकदम साफ़ झलक थी।

“ओह… मेरी साली की पहली बार का रस तो बाहर ही टपक रहा है।”
उसने मुस्कुराकर कहा।

नेहा ने झटके से उसकी कलाई पकड़ ली।
“प्लीज़ जीजाजी… बस करिए…”
पर उसकी पकड़ में उतनी ताकत नहीं थी।

अमित ने उसके हाथ हटाए और उँगलियाँ हल्के-हल्के उसकी पैंटी के ऊपर से घुमाने लगा।
नेहा का बदन एकदम तन गया।

“म्म्म… आह्ह…” उसके मुँह से खुद-ब-खुद कराह निकल गई।

वो धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाता रहा।
हर बार उँगली का दबाव थोड़ा और बढ़ाता।
नेहा की साँसें टूट रही थीं।

“जीजाजी… रुक जाइए… वरना मैं…”
उसकी बात अधूरी रह गई क्योंकि तभी अमित ने उसकी पैंटी के ऊपर से हल्की-सी थपकी दी।

“आह्ह्ह…” नेहा ने जोर से तकिये में चेहरा दबा लिया।

अब अमित उसकी जाँघों को खोलकर पूरी तरह अपने कब्ज़े में ले चुका था।
वो पैंटी के कपड़े के आर-पार उसकी गीलापन महसूस कर रहा था।

उसने हल्के से फुसफुसाया—
“तेरा ये गरम बदन मुझे खुद बुला रहा है, नेहा।”


💦 Panty Ke Upar Se Playing

अमित ने पैंटी के बीचों-बीच उँगली रखी और धीरे-धीरे ऊपर से नीचे सरकाई।
नेहा का बदन झटके से काँप उठा।

“जीजाजी… बस… और नहीं…”
पर उसकी जाँघें खुद और चौड़ी हो गईं।

अब अमित ने दो उँगलियों से पैंटी के कपड़े को चुटकी में लिया और हल्का सा खींचा।
गीलेपन की चमक उसके हाथ में आ गई।

“वाह… तेरी पहली बार की मिठास तो बाहर ही छलक रही है।”
उसने जीभ से अपनी उँगली चाट ली।
“म्म्म… नेहा, तू तो रस की नदी है।”

नेहा शर्म से लाल हो गई।
“मत कीजिए… मैं आपकी साली हूँ…”

अमित ने उसके होंठों पर झुककर चुप कर दिया।
एक गरम, गीली किस उसके होठों पर छोड़ते हुए बोला—
“आज रात तू बस मेरी औरत है।”

उसके बाद उसने अपनी उँगली फिर से पैंटी के ऊपर से दबाई।
इस बार हल्का सा अंदर धँसाने की कोशिश की।
नेहा की कमर खुद उठ गई।

“आह्ह्ह… जीजाजी… मत… ओह्ह…”
उसकी आवाज़ टूटती जा रही थी।


💔 ट्विस्ट / इमोशनल

नेहा के दिमाग में उथल-पुथल मच गई।
“मैं ये कैसे कर सकती हूँ… दीदी के जीजा के साथ… पहली बार… और ये सब…”

लेकिन उसी वक्त उसके जिस्म ने उसकी सोच को धोखा दिया।
पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
वो खुद चाह रही थी कि अमित और आगे बढ़े।

नेहा की आँख से एक और आँसू निकल आया।
“मैं पाप कर रही हूँ… पर ये पाप कितना मीठा है…”

अमित ने उसके आँसू को होंठों से चूम लिया और फुसफुसाया—
“तेरी हर रुलाई मेरे लिए दुआ है, नेहा… आज तुझे अधूरा नहीं छोड़ूँगा।”

नेहा की साँसें अब बिल्कुल बेकाबू थीं।
अमित ने धीरे-धीरे उसकी पैंटी पूरी तरह नीचे सरका दी।
उसका गोरा, गीला land साफ़ नजर आ गया।

“आह्ह्ह… जीजाजी… अब मत छू जाइए…”
नेहा ने तकिये में चेहरा दबाया, पर हाथ खुद ऊपर की ओर बढ़ रहे थे।

अमित ने मुस्कुराते हुए कहा—
“तेरी पहली बार का रस मुझे खुद महसूस करना है।”

फिर उसने अपनी उँगली धीरे-धीरे उसके अंदर घुसाई।
नेहा की कमर झटके से ऊपर उठ गई।
“आह्ह्ह… जीजाजी… ओह्ह… मुझे…”

अमित ने धीरे-धीरे दो उँगलियाँ घुसेड़ी।
उसने ऊपर-नीचे, गोल-गोल, कभी तेज़, कभी धीमे मूव किया।
नेहा के कराहने की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।

“ओह्ह्ह… जीजाजी… पहली बार… अंदर… ये कैसा…?”
“मीठा… और गर्म… तेरी पहली बार की हर चमक मेरे हाथों में है।”
अमित ने dirty talk करते हुए धीरे-धीरे fingering बढ़ाया।


💦 foreplay से full climax

नेहा की कमर झकझकाने लगी।
उसका land पूरी तरह गीला और खुला था।
अमित ने अब एक हाथ से उसके चूचों को दबाया, दूसरी से अंदर fingering तेज़ की।

“आह्ह्ह… जीजाजी… इतना ज़ोर मत…”
“तेरी ये कराहें मुझे पागल कर रही हैं, नेहा।”

अब नेहा ने खुद की जाँघें खुली छोड़ दीं।
उसका पूरा बदन झटके खा रहा था।
हर दबाव और हर घुमाव से उसके अंदर बिजली दौड़ रही थी।

अमित ने धीरे-धीरे अपनी उँगलियों को अंदर घुसेड़ा और जोर बढ़ाया।
नेहा की आँखे बंद थीं, मुँह खुला और हर कराह में वासना झलक रही थी।

“जीजाजी… आह्ह… बाहर मत… अंदर ही…”
“हाँ… तेरी पहली बार के सारे रस मेरे अंदर ही रहेंगे।”

अब नेहा के बदन से पसीने की बूंदें टपक रही थीं।
उसका land पूरी तरह नरम और गीला हो चुका था।


🔥 चरमोत्कर्ष

कुछ ही देर में नेहा ने जोर से चीख मारी—
“आह्ह्ह… जीजाजी… मैं निकलने वाली हूँ… ओह्ह्ह…”

अमित ने भी पूरी ताकत से दो-तीन झटके अंदर दिए।
धड़ाकठपठप
नेहा का land झरने की तरह बह रहा था, और अमित का लंड उसके अंदर वीर्य छोड़ चुका था।

दोनों बिस्तर पर पूरी तरह थक कर पड़े।
नेहा के गाल लाल, साँसें भारी और आँखों में आग थी।
अमित ने उसके माथे पर किस किया और फुसफुसाया—
“तेरी पहली बार इतनी गर्म थी, नेहा… मैं नहीं भूलूँगा।”


💔 ट्विस्ट / इमोशनल

नेहा ने अपने बदन को कसकर बाँध लिया।
“मैं… ये कैसे कर सकती थी… दीदी का जीजा… पहली बार…”
लेकिन उसके मन में craving भी थी।
“पर जीजाजी के बिना… अब मेरी रात अधूरी लगेगी।”

अमित ने उसके बाल सहलाए और कहा—
“तुझे डर और पाप का एहसास है… लेकिन यही तुम्हें मेरी और करीब लाएगा।”

नेहा की आँखें नम थीं, होंठ काँप रहे थे।
वो जान चुकी थी—पहली बार का ये पाप और वासना हमेशा उसके साथ रहेगा।


🔥 Hook Ending

नेहा ने धीमे से फुसफुसाया—
“अगली बार… जब दीदी सो जाए… मैं तुम्हारे पास फिर से आऊँगी…”

अमित ने मुस्कुराते हुए उसका माथा चूमा।
कमरा अब शांत था, लेकिन दोनों जानते थे—यह सिर्फ शुरुआत थी।

🌙 साली की सुहागरात – Next Part Teaser


कमरा अब शांत था, लेकिन हवा में अभी भी पहली रात की गर्मी गूंज रही थी।
नेहा की आँखें नम थीं, लेकिन होंठों पर शरारत की मुस्कान थी।
उसका मन पाप और वासना के बीच झूल रहा था—दीदी के सोते हुए घर में अगली बार क्या होगा?

अमित ने उसके कान में फुसफुसाया—
“तू अब सिर्फ मेरी नहीं, तेरी पहली बार की याद भी मेरी है। अगली बार मैं और गहराई तक जाऊँगा।”

नेहा ने कमर कसकर झटके से पलंग पर खिसकाई।
“अगर दीदी कुछ जान गई… मैं कैसे बचूँगी?”
“तुझे बचाने की जरूरत नहीं… आज रात के बाद तेरा मन सिर्फ मुझे चाहता रहेगा।”

कमरे के अंधेरे में उनकी साँसें मिल रही थीं।
एक नई रात, नई positions और और भी bold teasing का खुमार आने वाला था।
पहली बार की वो मिठास अब craving में बदल चुकी थीऔर अगली बार, forbidden touch और भी गहरा होगा।

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