पड़ोसन की साड़ी की सलवटें

पड़ोसन के परदे के पीछे : भाग 1

29 साल का आरव, अपनी बीवी के साथ नए मकान में शिफ्ट हुआ है।
उसकी अगली मंज़िल पर रहती है – नीलिमा, एक 35 साल की गर्म औरत — शादीशुदा, मगर उसका पति अक्सर टूर पर रहता है।

नीलिमा में एक अजीब आकर्षण है — उसकी साड़ी के नीचे की हलचल, उसकी झुकी हुई बोब, उसकी गहरी आँखें, और उसकी खिलखिलाती मुस्कान — आरव के अंदर कुछ ‘जंगली’ खोल देती है।

मगर बात सिर्फ यहीं तक नहीं — उसकी सासू माँ, 19 साल की भतीजी, और पास वाले फ्लैट की लड़कियाँ भी इस इमारत को वासना की बिल्डिंग बना देती हैं।

🏠 नये किरायेदार

29 साल का आरव अपनी बीवी प्रियंका के साथ शहर के पॉश इलाके में नया किराए का फ्लैट लेकर शिफ्ट हुआ था।
फ्लैट अच्छा था, बालकनी खुली हुई, और पड़ोस में लोग सभ्य दिखते थे।

मगर सबसे ज़्यादा उसकी नज़र पड़ी ऊपर की मंज़िल पर रहने वाली औरत पर — नीलिमा।


👀 पहली झलक

शिफ्टिंग वाले दिन आरव पानी लेने नीचे जा रहा था तभी सीढ़ियों से नीचे उतरती एक साड़ी में लिपटी औरत दिखी।
सूटेड-बूटेड और मस्त बोब वाली — उम्र लगभग 35 के आस-पास, मगर जिस्म ऐसा कि साड़ी हर जगह चिपकी लगती।

साड़ी का पल्लू एक तरफ सरक रहा था — और गीले बालों से उसके चूचे एकदम उभरे हुए लग रहे थे।

सुनिए…”

वो मुस्कराई, “आप नये शिफ्ट हुए हैं ना?”

आरव के मुँह से बस “हाँ…” निकला, मगर नज़र उसके नीले ब्रा के स्ट्रैप पर अटकी हुई थी जो साड़ी की झिरी से झाँक रहा था।


☕ चाय और बातें

शाम को नीलिमा खुद ही नीचे आई और आरव के घर की घंटी बजाई।

“सोचा नए पड़ोसी को घर की चाय पिलाई जाए,” उसने कहा।

वो रसोई में लगी, और आरव उसे बस देखता रहा —
जब वो झुकती, उसके चूचे साड़ी के अंदर bounce करते।
जब वो पलटी, उसकी गांड गोल गोल घूमती।

आरव के लंड ने पहली बार हल्की सी हरकत दी।


🔥 बालकनी की टक्कर

दूसरे दिन सुबह-सुबह आरव बालकनी में चाय पी रहा था, नीचे सिर्फ हाफ पायजामा पहने।

तभी ऊपर से आवाज़ आई — “नीचे क्या-क्या दिखा रहे हो, आरवजी?”

आरव ने देखा — नीलिमा ऊपर बालकनी में थी, नाइटी जैसी साड़ी पहने।
बिना ब्लाउज़, सिर्फ ब्रा में। पल्लू एकदम हल्का।

उसकी चूचियाँ पसीने से भीगी लग रही थीं… और साड़ी इतनी पारदर्शी थी कि ब्रा के नीचे की हलचल साफ़ दिख रही थी।

“आपके यहाँ बड़ा गरम मौसम है,” आरव बोला।

नीलिमा ने होंठ काटे — “तो पंखा चला लीजिए ना… या किसी को बुला लीजिए जो… हवा दे सके।”

आरव के लंड ने अब खड़ा होना शुरू कर दिया था।


🚪 बेडरूम के पास से गुज़रना

एक रात आरव बाथरूम जा रहा था — तभी ऊपर की फ्लैट से दरवाज़ा आधा खुला दिखा।

नीलिमा बेड पर उलटी पड़ी थी। साड़ी पूरी सरकी हुई थी।

उसकी नंगी गांड आधी दिख रही थी — और एक उंगली से वो अपनी चूत सहला रही थी।

आरव वहीं दरवाज़े के पीछे रुक गया… धीरेधीरे उसकी पैंट भी नीचे खिसक गई

नीलिमा सिसक रही थी —

“गाड़ ना कोई… मेरी चूत अब और नहीं रोक रही…”

उसकी उँगलियाँ अब तेज़ी से अंदर-बाहर हो रही थीं।

आरव का लंड अब हाथ में था — उसने एक हाथ से दीवार पकड़ी और दूसरे से खुद को झाड़ने लगा।


😵‍💫 पकड़ा जाना… या चाल?

अचानक नीलिमा ने मुँह मोड़ा — और उसकी नज़र दरवाज़े पर पड़ी।

एक सेकंड के लिए आरव डर गया… मगर फिर उसने देखा…

नीलिमा मुस्कराई… और अपनी दो उँगलियाँ अपनी चूत से निकालकर चाटने लगी।

रुक क्यों गए? पूरा देख लो…”

“कल चाय नहीं, मैं खुद ही मिलूँगी।”


🔚 अंत नहीं… बस शुरुआत

आरव जब नीचे आया, तो उसकी बीवी गहरी नींद में थी।

मगर आरव का दिमाग अब नीलिमा की चूत, बोब, और उसकी आँखों के इशारे में फँस चुका था।

नीचे का हिस्सा अब शांत नहीं थाऔर ऊपर की मंज़िल से गर्म हवाएँ फिर बह रही थीं।


📍 To be continued in:

Part 2 – बाथरूम से आती सिसकियाँ

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