Hostel Ka Band Kamra No. 13 – Part 1
✦ छोटा टीज़र
“रात का सन्नाटा… और हॉस्टल के उस बंद कमरे की दीवारों से आती हल्की कराहटें।
रुही जैसे-जैसे परदा हटाती गई, उसके दिल की धड़कनें तेज़ होती गईं—क्या ये सचमुच उसी के साथ होने वाला था?”
✦ किरदारों का ब्यौरा
- रुही (19 साल) – नयी फ्रेशर, भोली दिखने वाली, लेकिन भीतर कहीं गहराई में जगी अनकही भूख। गोरा-गुलाबी चेहरा, बड़े-बड़े नैन, पतली कमर और 34C की भरी छाती।
- मीरा दीदी (24 साल) – हॉस्टल की पुरानी रहवासी, स्लिम लेकिन तेज़ नज़र और होठों पर हमेशा शैतानी मुस्कान। दूसरों की नज़रों से छिपकर अपनी वासनाओं को जीती है।
- कमरा नं. 13 – पुराना, बंद पड़ा कमरा जिसे भूतिया कहा जाता है। लेकिन असल में ये वासना और रहस्यों से भरा अड्डा है।
✦ माहौल और सेटिंग
जगह – गर्ल्स कॉलेज हॉस्टल, पटना की एक पुरानी बिल्डिंग।
समय – बरसात की उमस भरी रातें, जब पंखे से भी राहत नहीं मिलती और हर पसीना वासना को और चिपचिपा बना देता है।
मूड – डर और जिज्ञासा का मिश्रण। हॉस्टल में अफवाह थी कि कमरा नं. 13 में लड़कियों ने कभी अपने “निजी शौक” पूरे किए थे।
✦ फोरप्ले / बिल्ड–अप (शुरुआत)
उस रात हॉस्टल में सब लड़कियाँ सो चुकी थीं।
रुही छत पर खड़ी होकर बारिश देख रही थी कि पीछे से मीरा दीदी आ गई।
मीरा (धीमे सुर में): “बारिश में भीगने का मन है क्या?”
रुही (शरमाते हुए): “नहीं दी, बस ऐसे ही खड़ी थी।”
मीरा ने उसकी आँखों में झाँका।
वो नज़र इतनी चुभती हुई थी कि रुही का बदन हल्का-हल्का काँपने लगा।
मीरा अचानक फुसफुसाई—
“अगर सच में मज़ा लेना है न… तो चलो, मैं तुम्हें एक जगह दिखाती हूँ।”
रुही हैरान थी, लेकिन उसके पैरों ने मानो खुद-ब-खुद मीरा का पीछा किया।
दोनों अंधेरे गलियारों से होते हुए उस बंद पड़े कमरा नं. 13 तक पहुँचे।
मीरा ने जंग लगे ताले में छुपी चाबी लगाई, चर्र-चर्र की आवाज़ हुई, और दरवाज़ा खुलते ही एक अजीब सी गंध बाहर निकली।
अंदर अंधेरा, लेकिन बिस्तर पर पड़े पुराने चादरों से हल्की सी इत्र और पसीने की मिली–जुली महक उठ रही थी।
रुही के होंठ सूख गए।
वो कुछ पूछ पाती इससे पहले मीरा ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया—
“डर मत… यहाँ डरने वाली कोई चीज़ नहीं… बस वो मिलेगा जिसकी तुझे तलाश है।”
रुही (हकलाते हुए): “क-कौन सी तलाश?”
मीरा (उसके कान में फुसफुसाकर): “वो जो तू रातों को सपने में महसूस करती है… किसी का स्पर्श… किसी का हाथ तेरे सीने पर… किसी की गर्म साँस तेरी गर्दन पे…”
ये सुनते ही रुही की साँसें तेज़ हो गईं।
उसने पहली बार महसूस किया कि कोई उसके सबसे छुपे ख्याल ज़ुबान पर ला रहा है।
मीरा ने धीरे-धीरे उसका हाथ पकड़कर अपनी हथेली पर रख लिया।
“देख… डर मत। पहले सिर्फ छूने दे…”
रुही काँपते हुए सहम गई, लेकिन उसके दिल की गहराई में उठती गुदगुदी उसे पीछे हटने नहीं दे रही थी।
मीरा ने उसकी उँगलियाँ अपनी छाती पर ले जाकर हल्के से दबाईं।
“कैसा लग रहा है?”
रुही की आँखें चौड़ी हो गईं, और उसके होंठों से बस एक टूटी हुई सिसकी निकली—
“दी… ये… ये तो…”
मीरा मुस्कुराई, उसके गालों को सहलाया और बोली—
“बस यही तो है कमरा नं. 13 का सच… यहाँ हर लड़की ने अपनी पहली प्यास बुझाई है।”
कमरा नं. 13 का दरवाज़ा अंदर से बंद हो चुका था।
चारों तरफ़ अँधेरा था, सिर्फ़ एक टूटी हुई खिड़की से आती बिजली की चमक बीच-बीच में कमरे को रोशन कर देती थी।
रुही दीवार से सटी खड़ी थी, उसका सीना तेज़ी से उठ-गिर रहा था।
मीरा धीरे-धीरे उसके और करीब आई… और बिना कुछ कहे उसके चेहरे के पास झुक गई।
रुही (सहमते हुए): “दी… ये गलत तो नहीं है न?”
मीरा (फुसफुसाकर): “गलत वही होता है जो दिल न चाहे… और अभी तेरे जिस्म की धड़कन खुद बोल रही है।”
ये कहकर मीरा ने उसके होंठों को हल्के से चूम लिया।
पहला चुंबन इतना नर्म और अचानक था कि रुही का पूरा बदन झनझना उठा।
वो काँपते हुए बोली—
“दी… मैंने… कभी किसी को…”
मीरा ने होंठों पर उँगली रख दी—
“श्श्श… बस पल को जी।”
फिर मीरा ने गहराई से उसे चूम लिया, होंठों को दबाया, जीभ धीरे-धीरे उसके मुँह में उतारी।
रुही हाँफते हुए पर खुद को रोक नहीं पाई। उसकी जीभ अनाड़ी तरीक़े से मीरा की जीभ से लिपट गई।
✦ शरीर का खेल
बिजली की तेज़ चमक में मीरा ने उसके गालों को सहलाया, फिर धीरे-धीरे गर्दन पर किस करने लगी।
रुही की साँसें काँप रही थीं, उसने आँखें बंद कर लीं।
मीरा ने उसकी सलवार की डोरी को उँगलियों से छेड़ा—
“खोल दूँ?”
रुही ने सिर झुका लिया, मानो इजाज़त दे दी हो।
डोरी खुलते ही सलवार ढीली होकर ज़मीन पर गिर गई।
अब रुही सिर्फ़ कुर्ती और अंदर झाँकती पैंटी में थी।
मीरा ने उसकी पतली कमर पर हाथ रखकर धीरे-धीरे ऊपर सरकाया और उसके उभारों तक पहुँची।
कुर्ती के ऊपर से ही 34C के स्तनों को सहलाते हुए उसने धीरे से कहा—
“वाह… तेरा बदन तो पका आम लग रहा है।”
रुही ने खुद-ब-खुद सीना आगे कर दिया।
मीरा ने उसकी कुर्ती ऊपर उठाई और ब्रा के अंदर हाथ डाल दिया।
गर्म हथेली के स्पर्श से रुही ने जोर से सिसकारी ली—
“आह्ह दी… प्लीज़…”
मीरा अब उसके दोनों स्तनों को बारी-बारी से दबा रही थी, अंगूठे से निपल्स को मसल रही थी।
रुही की टाँगें काँपने लगीं, उसके होठों से अनजाने में कराह निकल रही थी।
✦ कपड़ों का उतरना
मीरा ने उसकी ब्रा की हुक खोली—और अगले ही पल रुही के गोल, भरे स्तन खुले में हिलते हुए बाहर आ गए।
मीरा ने झुककर निपल्स को मुँह में ले लिया।
“म्म्म्म्म…” चूसते ही कमरे में गीली आवाज़ गूँज उठी।
रुही ने झटके से मीरा के बाल पकड़े और सिसकते हुए बोली—
“दी… मैं तो पागल हो जाऊँगी…”
मीरा ने बारी-बारी से दोनों निपल्स को चूसा, काटा और ज़ुबान से गोल-गोल घुमाया।
रुही की आँखें बंद थीं, उसका पूरा जिस्म पसीने और रोमांच से कांप रहा था।
अब मीरा नीचे सरकी, उसके जांघों पर हाथ फिराया और धीरे से पैंटी की लेस पकड़कर खींच दी।
रुही की साँस अटक गई।
अब वो पूरी तरह नग्न थी—कमरा नं. 13 में, मीरा की पकड़ में।
मीरा ने उसकी टाँगों के बीच उँगली फिराई और मुस्कराई—
“इतनी भीगी हुई… और कहती है कि पहली बार है?”
रुही ने चेहरा मीरा के सीने में छुपा लिया, लेकिन उसकी कमर खुद-ब-खुद आगे सरक रही थी।
✦ पहला स्वाद
मीरा ने जैसे ही उसकी भीगी जगह पर उँगली घुमाई, रुही बेकाबू होकर कराह उठी।
“आह्ह… दी… प्लीज़… रुक जाओ…”
मीरा ने हँसते हुए कहा—
“रुकने के लिए नहीं, चखने के लिए लायी हूँ तुझे यहाँ।”
उसने उँगली अंदर डाल दी।
रुही ने ज़ोर से कमर पीछे खींची, लेकिन देर हो चुकी थी।
उसकी नयी-नयी चूत पहली बार किसी की उँगली से भर गई थी।
“आह्ह्ह्ह… दी… जल रहा है… ओह माँ…”
मीरा ने हौले-हौले उँगलियाँ चलानी शुरू कीं, और अगले ही पल उसकी ज़ुबान भी नीचे झुक गई।
गर्म जीभ जैसे ही उसके रस में डूबी, रुही ने दीवार पकड़ ली और ज़ोर से चीख दी—
“म्म्म्म… बस करो दी… मर जाऊँगी…”
लेकिन मीरा अब रुकने वाली नहीं थी।
उसकी जीभ और उँगलियों का खेल इतना तेज़ हुआ कि रुही के पैर काँपने लगे और बदन ऐंठकर काँप गया।
“आह्ह्ह… मैं निकल गई… दी… आह्ह…”
उसका पहला ऑर्गैज़्म जोरदार चीख के साथ बाहर फूटा।
✦ असली चुदाई
मीरा ने अब रुही को बिस्तर पर धक्का देकर लिटा दिया।
खुद के कपड़े उतार दिए—अब दोनों नंगी थीं।
मीरा ने उसकी टाँगें चौड़ी कीं और अपने बदन को उसके ऊपर रख दिया।
उनकी चूतें आपस में रगड़ने लगीं।
“आह्ह्ह्ह्ह… ओहह्ह दी… ये क्या कर रही हो…”
“बस घिस… और मज़ा ले… देख कैसा नशा चढ़ता है।”
भीगे-भीगे होंठों की रगड़ से कमरे में चप–चप की आवाज़ें गूँजने लगीं।
दोनों लड़कियों की कराहें मिलकर कमरे को मदहोश कर रही थीं।
रुही अब पागल हो चुकी थी।
उसने मीरा को पलटकर नीचे दबा लिया और पहली बार खुद उसके ऊपर बैठ गई।
उसकी चूत मीरा की चूत से चिपककर ऐसे बजने लगी जैसे कोई ढोलक।
“आह्ह्ह… दी… मज़ा… आह्ह्ह…”
“हाँ… जोर से… और जोर से…”
कमरे की पुरानी दीवारें उनकी चीखों से काँप रही थीं।
✦ डर्टी टॉक और पोज़िशन
मीरा ने उसके बाल पकड़कर पीछे खींचे और बोली—
“तेरी ये तंग चूत… मुझे दीवाना बना रही है… तू तो औरतों की रानी बनेगी।”
रुही हाँफते हुए चीखी—
“दी… मुझे हर रोज़ चाहिए… रोक मतना मुझे…”
अब मीरा ने उसे पीछे घुमाया, चारों हाथ-पैरों के बल डॉगी पोज़ में।
उसकी गांड हवा में उठी हुई थी, और मीरा ने अपनी चूत को उसके पिछवाड़े से जोर से रगड़ दिया।
“म्म्म्म्म… ओहहह… आह्ह्ह्ह्ह…”
दोनों के बदन पसीने से भीग चुके थे, चूतों की आहें गूंज रही थीं।
✦ क्लाइमेक्स
आख़िरकार रुही का बदन बेकाबू होकर काँपने लगा।
उसने ज़ोर से मीरा को पकड़कर चिल्लाया—
“आह्ह्ह… निकल गई दी… निकल गई… आह्ह्ह्ह…”
उसकी चूत से रस बह निकला, बिस्तर गीला हो गया।
मीरा भी साथ ही चीख उठी—
“म्म्म्म… हाँ… मैं भी… आह्ह्ह…”
दोनों एक-दूसरे से चिपकी हुईं थरथरा रही थीं, मानो बिजली का झटका लगा हो।
✦ ट्विस्ट / इमोशन
रुही हाँफते हुए मीरा के सीने पर सिर रखकर बोली—
“दी… ये सब सही है न? हम पाप तो नहीं कर रहे?”
मीरा ने उसके गालों को सहलाया और मुस्कुराई—
“ये पाप नहीं… तेरी असली पहचान है। और अब तू इस कमरे की अगली मालकिन बनेगी।”
रुही की आँखों में डर और लालसा दोनों थे।
वो जान चुकी थी कि अब वो इस खेल से निकल नहीं पाएगी।
✦ हुक एंड
दरवाज़े पर हल्की दस्तक हुई।
दोनों सहम गईं।
मीरा ने रुही के कान में फुसफुसाया—
“लगता है अगली शिकार आ गई है… कल तुझे दिखाऊँगी कि तीन जिस्म एक साथ कैसे मिलते हैं।”