बीवी की छुपी भूख

Biwi Ki Chhupi Saazish: Part 2

🌙 माहौल और माहौल की सरसराहट

कमरे की बत्तियाँ अब भी आधी जली हुई थीं। पसीने और सेक्स की मिली-जुली महक दीवारों तक में बस चुकी थी। बिस्तर पर निशा हाँफते हुए लेटी थी, उसके बाल बिखरे हुए, आँखों में अभी भी प्यास बाकी। रमेश दरवाज़े पर खड़ा था—चेहरे पर सख़्ती, लेकिन नज़रों में बेतहाशा भूख।

💋 आँखों का खेल

रमेश की नज़रें निशा के नग्न सीने पर अटक गईं। गुलाबी निप्पल अब भी सख़्त खड़े थे, मानो चिढ़ा रहे हों।
रमेश ने धीमी आवाज़ में कहा—
बहुत मज़ा आया ना तुझे… मेरे होते हुए दूसरे मर्द से?”

निशा ने होंठ काटे, शर्म और उत्तेजना साथ-साथ झलक रही थी।
ग़लत है रमेश… लेकिन मेरा जिस्म मान नहीं पाया।”

रमेश धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ बढ़ा। उसकी आँखों में गुस्से से ज्यादा अब कामुकता तैर रही थी।

🤲 छेड़छाड़ की शुरुआत

वो निशा के पास बैठा और अचानक उसके गालों को पकड़कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। चुम्बन में झलक रहा था—गुस्सा भी, और हक जताने की जलन भी।
निशा ने पहले तो विरोध किया, फिर धीरे-धीरे होंठ खोल दिए। रमेश की जीभ उसकी जीभ से उलझने लगी।

उसका हाथ सीधा नीचे सरक गया, और उसने निशा की गीली जाँघों के बीच उँगलियाँ फेर दीं।
अब भी गरम है तू… इतना सब होने के बाद भी।” रमेश ने फुसफुसाया।

निशा हल्की कराह के साथ उसकी छाती से लिपट गई—
तू चाहे तो अभी रोक ले… या फिर मेरी इस आग में जल जा।”

🛏️ शरीर की खोज

रमेश अब पूरी तरह टूट चुका था। उसने निशा की गर्दन पर जोर से काटा, फिर उसके सीने को दोनों हाथों में भरकर दबाने लगा। निशा की कराह कमरे में गूंज उठी।
उसके होंठ कभी निप्पल चूस रहे थे, कभी पेट पर किस्सों की बारिश कर रहे थे।

निशा भी अब रमेश के बाल पकड़कर उसे और नीचे धकेल रही थी—
हाँ… वहीं… वहीं चाट मुझे… आज कोई रोक मत रमेश…”

💋 Foreplay का गहराता नशा

रमेश का चेहरा अब पूरी तरह निशा के स्तनों में दबा हुआ था। कभी वह दाएँ चूचे को ज़ोर से चूसता, कभी दाँतों से हल्का काटकर लाल कर देता।
निशा की साँसें और तेज़ हो रही थीं—
आह रमेश… धीरे… इतना जोर से मत… ओह्ह… मेरे चूचे फाड़ डालेगा तू…”

रमेश ने होंठों को चूचों से हटाकर कहा—
फाड़ दूँगा… आज तेरे जिस्म का हर कोना मेरा होगा…”

उसके हाथ अब निशा की कमर पर सरकते हुए कूल्हों तक पहुँच चुके थे। उसने कसकर पकड़कर खींचा और अपने पैरों के बीच दबा लिया। निशा कराह उठी।

🔥 चाटने का खेल

रमेश अचानक झुककर उसके पेट पर किस्सों की बारिश करने लगा। उसके होंठ नाभि तक पहुँचे तो उसने जीभ अन्दर तक घुसा दी।
निशा का जिस्म झटका खाकर ऊपर उठा—
हाय्य… रमेश… पागल कर देगा तू मुझे… ओह्ह…”

धीरे-धीरे रमेश और नीचे सरकता गया। अब उसकी साँसें निशा की जाँघों के बीच महक रही थीं। उसने हल्के से होंठों को छुआ और जीभ से फिसलाता हुआ पूरा गीलापन चाट लिया।
निशा दोनों हाथों से चादर मरोड़ते हुए चीखी—
आह्ह्ह… बस्स रमेश… और… और गहरा…”

👅 Dirty talk

रमेश मुस्कराया और उँगलियाँ भी साथ खेलने लगा।
कितनी भीग चुकी है तू… बता, इतना मज़ा उस नीच ने दिया था?”

निशा ने आँखें बंद करते हुए कराहकर कहा—
नहीं रमेश… तेरा स्पर्श अलग है… तेरे हाथ, तेरे होंठ, तेरे दाँत… मेरे चूचों से खेलते हैं तो मेरा पूरा जिस्म काँप उठता है…”

रमेश ने एक झटके से उसकी दोनों जाँघें और खोल दीं, फिर जीभ से पूरे रस को चाटने लगा। हर बार चाटते ही निशा के शरीर में बिजली दौड़ जाती।

💞 आग और तेज़

निशा अब खुद रमेश के बाल पकड़कर उसे और नीचे दबा रही थी—
हाँ… वहीं… जोर से… चूस मुझे… पूरा पी जा रमेश…”

कमरे में सिर्फ़ निशा की चीख़ें, कराहें और रमेश के गीले चूसने की आवाज़ें गूंज रही थीं।
उन दोनों के बीच अब सिर्फ़ एक कदम बचा था—लेकिन रमेश जान-बूझकर उस एक कदम को टाल रहा था… ताकि निशा पागलपन की हद तक पहुँच जाए।

🔥 स्टनों और चुचों का पागलपन भरा खेल

निशा बिस्तर पर अधलेटी थी, साँसें अब भी तेज़ चल रही थीं। रमेश उसके ऊपर झुक आया और बिना वक्त गँवाए दोनों हथेलियाँ उसके भारी-भरकम स्तनों पर जमा दीं। जैसे ही उसने दबाना शुरू किया, निशा ने मुँह से हल्की सी सिसकारी निकाली—

“आह्ह… रमेश… जोर से दबाओ… मेरे चूचे तो जल रहे हैं…”

रमेश ने एक झटके में उसकी नाइटी खींचकर ऊपर कर दी। अब उसके गोल–गोल स्तन हवा में हिल रहे थे, और गहरे भूरे चूचे सख्त होकर तन चुके थे।

वो पहले एक चूचे को अपनी जीभ से छेड़ने लगा—धीरे–धीरे गोल घुमाते हुए, जैसे किसी मीठी टॉफी को चख रहा हो। दूसरा चूचा उसकी उँगलियों के बीच कैद था, जिसे वो कभी मसलता, कभी खींचता। निशा का शरीर मचल उठा।

“उम्म्म… मरवा दोगे क्या मुझे…? आह्ह… धीरे–धीरे…”

रमेश ने मुस्कुराते हुए उसकी गर्दन पर किस किया और फिर दोनों हथेलियों से उसके स्तनों को ऐसे दबाया, जैसे आटे की लोई गूँध रहा हो। अचानक उसने एक चूचे को हल्के से दाँतों में दबा लिया।

“आह्ह्ह… स्स्स्स… रमेश… काटो और… मेरे चूचे नोच डालो…”

अब खेल और तेज़ हो गया। कभी वो एक साथ दोनों चूचों को मुँह में भरने की कोशिश करता, कभी जीभ से उन्हें चाटकर गीला कर देता। चुचों पर लार की चिकनाहट और दबाव से निशा के पूरे तन–बदन में सनसनी दौड़ रही थी।

वो बेकाबू होकर उसके सिर को और कसकर अपने सीने से चिपकाने लगी—
“और चूसो… मत रुको… मेरे स्तन तुम्हारी ज़ुबान के लिए ही बने हैं…”

रमेश बार-बार हाथ बदल-बदलकर खेलता—एक हाथ से स्तन दबाता, दूसरा उसकी कमर पर फिराता, फिर अचानक पीछे से पकड़कर उसे अपनी गोद में खींच लेता।

अब निशा उसकी गोद में बैठी थी, और रमेश पीछे से दोनों हाथों में उसके स्तनों को कसकर दबाए हुए था। उसने अपने मुँह को उसकी गर्दन में गड़ाकर चुंबन बरसाए, जबकि उँगलियों से उसके चूचों को खींचकर तंग करता रहा।

निशा की चीख जैसी आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं—
“आह्ह… और जोर से… मत छोड़ना इन्हें… ओह्ह्ह…”

उसका पूरा ऊपरी बदन पसीने से भीग गया था, और चूचे अब सूजकर लाल हो चुके थे। रमेश ने जीभ से उन्हें आखिरी बार जोर से चाटा और हँसते हुए बोला—
“आज तेरे इन गोल–मटोल स्तनों को इतना चूसूँगा कि कल सुबह तक दर्द करेंगे…”

निशा की आँखें और भी वासना से भर गईं। उसने खुद झुककर उसके कान में फुसफुसाया—
“तो फिर देर किस बात की… कर दो मुझे पूरा तुम्हारा…”

🔥 क्लाइमेक्स – लंड और चूत का संगम

निशा का पूरा तन अब पसीने और वासना से भीग चुका था। उसके दोनों चूचे रमेश की चूसाई से लाल-गुलाबी होकर तने हुए खड़े थे।

रमेश ने उसकी दोनों जाँघों को पकड़कर फैला दिया और लंड को हाथ से सहलाते हुए उसकी गीली चूत के होंठों पर रगड़ने लगा। निशा कराह उठी –

आह्ह… रमेश… बस घुसा दे ना… और तड़पाऊ मत…”

रमेश मुस्कराया, लंड के मोटे सिर को उसकी चूत की दरार में बार-बार घुमाते हुए बोला –
तेरी भोसड़ी तो आज पूरा मेरा लौड़ा निगल जाएगी…”

एक झटके में उसने लंड पूरी जड़ तक ठोक दिया।
आह्ह्ह्ह माँआआ… रमेशssss!” निशा चीख पड़ी, nails उसकी पीठ में धँस गईं।

अब कमरे में सिर्फ ठोकों की आवाज़, गीली चूत की छन-छन, और दोनों की हाँफती कराहें गूँज रही थीं।
रमेश कभी धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर बाहर करता, कभी एकदम जोरदार झटकों से उसे बिस्तर पर पटक देता।

निशा हाँफते हुए गंदी बातें फुसफुसाई –
और जोर से मारो… मेरी गांड भी फाड़ दो… आज मुझे पूरी तरह भर दो…”

रमेश ने उसे पलटकर चारों हाथ-पैरों पर टिका दिया, और पीछे से लंड उसकी चूत में गाड़ दिया।
धड़ाक… धड़ाक… धड़ाक… हर झटके पर उसका बदन बिस्तर से टकराता, और निशा की चूत से रस की छींटे उड़ रही थीं।

करीब दस मिनट की इस जानलेवा ठुकाई के बाद निशा काँपने लगी। उसकी कराह एकदम चीख में बदल गई –
आआआआह्ह्ह… रमेश… रहा है… मैं निकल रही हूँ…”

रमेश ने भी अंतिम झटकों के साथ पूरी ताकत से लंड गाड़ा और गरम वीर्य उसकी चूत में उँड़ेल दिया।
दोनों हाँफते-पसीने से भीगे एक-दूसरे पर गिर पड़े।

🌙 ट्विस्ट और इमोशनल टच

लंड खाली करके भी रमेश निशा की भीगी चूत में से लंड निकाले बिना उस पर गिरा पड़ा था। दोनों की साँसें धौंकनी की तरह चल रही थीं। पसीने, वीर्य और चूत के रस की मिली-जुली गंध पूरे कमरे में भर गई थी।

कुछ पल बाद निशा की आँखें भर आईं। उसने रमेश की गर्दन पकड़ी और फुसफुसाई –
अगर सच्चाई बाहर निकल गई तो?… मेरा घर टूट जाएगा, रमेश…”

रमेश ने उसके होंठों को दबाते हुए कहा –
तेरे घर का क्या, निशातेरी चूत पर मेरा हक़ अब कोई छीन नहीं सकता।

निशा काँप गई। अंदर कहीं अपराधबोध था, पर शरीर की जलन और भूख उस guilt को दबा रही थी।
वो समझ चुकी थी कि ये खेल अब एक बार का नहीं रहने वाला।


🔗 हुक एंडअगली चाहत

बिस्तर पर लेटे-लेटे ही निशा ने उसकी लंड पर हाथ फेरते हुए कहा –
कल जब सब घर से बाहर होंगेतब तू मुझे मेरी रसोई में ही उठाकर ठोकनावहीं चूल्हे के पास।

रमेश मुस्करा उठा। उसके लंड ने फिर से हिलना शुरू कर दिया।

👉 अगला पार्ट – “रसोई की आग में भड़की चूत की प्यास

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