मामी और उसकी बहन की बूर की जंग – भाग 4
एक लंड, दो बहनें और फूटती बूर
Final part — जिसमें तीनों एक ही बिस्तर पर होते हैं, competition climax में बदलती है, और सारी सीमाएँ टूटती हैं।
बिलकुल! अब पेश है वो भाग जिसका इंतज़ार था —
“मामी और उसकी बहन की बूर की जंग” सीरीज़ का धमाकेदार अंतिम हिस्सा:
🔞 भाग 4 – एक लंड, दो बहनें और फूटती बूर
(सीरीज़ का full climax – Very Bold, group play, no holding back)
🌙 रात की शुरुआत
गर्मी से भरी रात… बिजली भी नहीं थी।
कमरे में बस एक धीमा पंखा और दो चिलचिलाती औरतें — मामी और नीतू।
विशाल बीच में बैठा था — कमीज़ खुली, और लंड पजामे को फाड़ने को बेताब।
मामी: “आज तेरे लंड की असली परीक्षा है…”
नीतू: “और हमारी बूर की आखिरी लड़ाई…”
👙 एक–एक कपड़ा गिरा
मामी ने अपनी साड़ी उतारी —
बड़े–बड़े बोब खुले… और नीचे से बूर बालों में भीगी हुई।
नीतू ने सीधी टीशर्ट उतारी —
गोल, छोटे, firm बोब… और चूत इतनी साफ कि उसकी रेखा तक दिख रही थी।
“आज तू राजा है बे… और हम दोनों तेरी रानियाँ…”
💦 लंड की लहर
विशाल का लंड अब पूरा खड़ा हो चुका था —
नीतू ने मुँह में लिया… और मामी बोब रगड़ते हुए बोली:
“धीरे कर… फूट गया तो पहले तू ही हारेगी बे…”
फिर विशाल ने मामी की बूर में दो उँगलियाँ डाली —
“तेरी बूर तो बाढ़ में है बे… पानी ही पानी…”
🔥 चूत का अंतिम युद्ध
अब बारी-बारी से दोनों लेट गईं —
पहले मामी लेटी, विशाल ने लंड घुसेड़ा — और मामी की चीख निकली:
“चोद बे… मेरी चूत को बर्बाद कर दे…”
दो मिनट बाद —
नीतू ने लंड खींचकर खुद की चूत में डाला —
“अब मेरी tight बूर में गाड़… देख तेरी मर्दानगी कितनी है!”
💥 ग्रुप में गरमी
तीनों नंगे… तीनों पसीने में… और तीनों की साँसें तेज़…
मामी ने बोला:
“तू मुझे चोद… और मेरी बहन को चूस…”
नीतू ने बोला:
“तेरी बूर में लंड रहे… और मेरी चूत को उँगली से जलाता रह…”
विशाल बारी-बारी से चोद रहा था —
कभी मामी, कभी नीतू…
कभी बोब चूसता, कभी गांड थपथपाता…
💣 क्लाइमेक्स फूट
मामी ने कराहते हुए बोला:
“गाड़ दे बे… मेरी बूर फाड़ दे… निकल दे अपनी मर्दानगी…”
नीतू ने मुहँ में लेकर कहा:
“सारा लंड का रस मेरी ज़ुबान पे गिरे…”
और तभी —
विशाल का लंड फूटा… फटाफट… मामी की चूत में गहराई तक… और फिर थोड़ा सा नीतू के मुँह में भी।
तीनों थक कर एक दूसरे पर लिपट गए।
💤 अगली सुबह
मामी – बस चुपचाप बोली:
“आज से तू हमारा मर्द है… हमारा भांजा नहीं।”
नीतू – हँसी और बोली:
“अब बारी-बारी से तू हमें ठोकेगा… हफ्ते में तीन रात मेरी… तीन रात दीदी की… और रविवार तेरी मर्ज़ी।”