🔥 “भाभी जी के आँगन का राज़”

😊🔥 के पीछे छुपी वो आग, जिसे देखकर दिल थम जाए

शॉर्ट टीज़र (Part 1)

गाँव के पुराने आँगन में, तुलसी के पौधे को छुप-छुप कर पानी देते वक्त, रवि की नज़र अपनी राधा भाभी पर अटक गई… साड़ी का पल्लू ढीला, कमर हिलती हुई। उसके दिल में एक ही वासना जगी – आज कोई राज़ आँगन में खुलेगा।


👩‍🦰 किरदार (Part 1)

राधा भाभी (२७ साल)

  • गोरी, माथे पर लाल बिंदी, हमेशा टाइट साड़ी में।
  • आँगन में काम करते वक्त कमर की लहरों से गाँव के जवानों की नज़र छुप नहीं पाती।
  • बाहर से शरीफ़, अन्दर से छुपी हुई भूख।

रवि (२२ साल)

  • चंचल और ज़िद्दी देवर।
  • भाभी की एक-एक अदा पर फ़िदा, हमेशा उसे छेड़ने के बहाने ढूँढता।
  • दिल में एक ही अरमान – भाभी के शरीर का रस सबसे पहले मैं ही चखूँ।

🏡 प्लॉट / सेटिंग (Part 1)

दोपहर का समय, गाँव की पुरानी कोठी का बड़ा आँगन। बीच में तुलसी का पौधा, एक कोने में मिट्टी का चूल्हा जहाँ राधा भाभी झुकी हुई रोटी सेक रही थी। साफ़ आसमान, धूप की चमक, लेकिन आँगन के कोने में घना अँधेरा… वहीं से खेल शुरू होता है।


🔥 फोरप्ले / बिल्डअप (Part 1)

रवि ने लोटा उठाया और तुलसी को पानी देते हुए नज़र भाभी पर घुमा दी। राधा झुकी थी, साड़ी का आँचल ढीला हो गया था, और उसकी कमर का गोलाई धूप में चमक रहा था।

रवि के पैर रुक गए। उसने आँखों से भाभी को पीता जा रहा था।

“अरे रवि… बस घूरते क्यों हो? पानी गिराओ तुलसी पे,” राधा ने बिना मुड़े कहा, जैसे उसे पता हो कि देवर की नज़र उसकी कमर पर अटकी है।

रवि धीरे से बोला, “भाभी… तुलसी तो रोज़ पानी पीती है… पर देवर की प्यास कौन बुझाए?”

राधा थोड़ी झिझकी, साड़ी को सँभाला, लेकिन होंठों पर हल्की मुस्कान आ गई।

“बस करो रवि… कोई सुन लेगा तो?”

रवि पास आकर कहने लगा, “आँगन तो खाली है भाभी… सिर्फ़ आप, मैं और ये तुलसी। और मैं तो बस भक्ति कर रहा हूँ…”

उसने अपना हाथ राधा के हाथ के पास रखा, जहाँ वो बेलन से रोटी बेल रही थी। राधा ने तुरन्त हाथ खींच लिया, लेकिन उसकी साँसों का तेज़ होना उसका राज़ खोल रहा था।

“देवरजी… तुम बदमाश होते जा रहे हो…” उसने डाँटने की कोशिश की, पर आँखों में एक अलग चमक थी।

रवि और पास आया, उसकी कमर के पास खड़ा हो गया। उसने तुलसी के पौधे का पानी का लोटा रखा और झुकी हुई राधा की पीठ के ऊपर से हल्की-सी अपनी उँगली घुमा दी।

राधा का जिस्म काँप गया।

“रवि… पागल हो गए हो क्या? यहाँ आँगन में… कोई आ गया तो?”

रवि फुसफुसाया, “कोई नहीं आएगा भाभी… और अगर आ भी गया तो, समझ लेगा कि देवर अपनी भाभी की मदद कर रहा है।”

उसने अपनी उँगली राधा के हाथ पर रखी, बेलन थोड़ा ढीला पड़ गया। रोटी का गोल बिगड़ गया, लेकिन उस पल राधा के दिल की धड़कन और तेज़ हो गई।

राधा ने उसकी तरफ पलट कर देखा, आँखें गुस्से और वासना के बीच झिलमिला रही थीं।
“बस करो रवि… तुम्हारी हद हो गई है।”

लेकिन उसने बेलन रख दिया, और एक पल को चुप खड़ी हो गई। रवि ने इस ख़ामोशी का फ़ायदा उठाया, उसके कंधे के पास झुक कर बोला, “भाभी… आपकी ख़ामोशी ही तो सब कुछ कह रही है।”


😈 ट्विस्ट / इमोशनल

राधा का दिल एक तरफ़ शराफ़त में बँधा था, दूसरी तरफ़ देवर के छुपके-छुपके टच से जिस्म में आग लग रही थी। उसने आँखें बंद कर लीं, जैसे अपने अंदर के पाप को रोकना चाहती हो… लेकिन उसकी साँस उसका सच बता रही थी।

रवि ने पहली बार उसके गाल को हल्की उँगली से छुआ, और राधा की सारी रूह काँप उठी।

🔥 फोरप्ले / बिल्डअप (Part 2)

राधा ने अपनी साड़ी का पल्लू टाइट करते हुए बेलन उठाया जैसे काम में लौट रही हो। लेकिन उसके कान रवि के पास की गरम साँसों को महसूस कर रहे थे। उसका शरीर चुपके से शरमा भी रहा था, और जल भी रहा था।

रवि उसके पीछे ही खड़ा था, बिल्कुल क़रीब। उसने हँसी दबाते हुए कहा,
“भाभी… रोटी तो गोल हो न हो, आपकी कमर का कर्व तो परफ़ेक्ट है।”

राधा ने तुरन्त बेलन उसकी तरफ़ घुमाया जैसे मारने वाली हो, “बदमाश! तुम्हारी ज़ुबान दिन-ब-दिन तेज़ हो रही है।”

रवि ने बेलन पकड़ लिया और उसके हाथ से खींचकर टेबल पर रख दिया। अब दोनों आमने-सामने खड़े थे, बीच में सिर्फ़ एक छोटी-सी रोटी का चकला।

राधा की आँखें गुस्से से लाल, लेकिन दिल में आग और तेज़। रवि ने धीरे से उसके हाथ पकड़े, और बोला, “भाभी… एक दिन तो आपको मानना ही पड़ेगा, जो मैं चाहता हूँ।”

राधा ने झटका दिया, पर उसका झटका कमज़ोर था। उसने धीरे से कहा,
“तुम… तुम पागल हो गए हो रवि। मैं तुम्हारी भाभी हूँ।”

रवि ने उसके गाल के पास अपने होंठ ले जाकर फुसफुसाया,
“भाभी… इसी नाम में तो असली मज़ा है।”

राधा का दिल ज़ोर से धड़कने लगा। उसने आँखें बंद कर लीं, जैसे अपनी सारी शराफ़त उस अँधेरे में दबा रही हो। रवि ने पहली बार उसके गाल को अपने होंठ से छुआ।

राधा की सारी रूह काँप गई। उसने हिचकिचाते हुए कहा,
“रवि… कोई देख लेगा… आँगन में कोई भी आ सकता है।”

रवि ने हँसकर जवाब दिया,
“जो देखेगा… बस बोलेगा कि देवर अपनी भाभी की थकान दूर कर रहा है।”

फिर उसने उसके कंधे के ऊपर से साड़ी का पल्लू हल्का-सा उठा दिया। राधा ने तुरन्त पल्लू खींच लिया, पर उस वक़्त रवि की उँगली उसके गरम गाल से होते हुए गर्दन तक पहुँच गई थी।

राधा की साँस तेज़ हो रही थी, आँखों में आँख डालकर वो फुसफुसाई,
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे यूँ छूने की…”

रवि और क़रीब आ गया, “हिम्मत तो आपकी आँखों से मिली है, भाभी। हर रोज़ जब आप मुझे देखती हो… तो लगता है जैसे आप ही बुलाती हो।”


😈 टीज़िंग मोमेंट्स (Part 2)

रवि ने चलकर आँगन के कोने में लटके मिट्टी के घड़े से एक लोटा उठाया, और राधा के पास आकर बोला,
“भाभी, ज़रा झुको ना… मैं पानी दिखाता हूँ।”

राधा हिचकिचाई, “क्या मतलब?”

उसने लोटा से हल्का-सा पानी राधा के हाथों पर गिरा दिया। ठंडी बूँदें उसके गरम जिस्म पर लगते ही वो थोड़ा सिहर गई, और रवि ने तुरन्त उसके हाथ अपने दोनों हाथों से पकड़ लिए।

“भाभी… आपके हाथों की सूखापन तो मैं अपने होंठ से मिटाना चाहता हूँ।”

राधा का दिल धड़क उठा। उसने ज़ोर से हाथ खींचने की कोशिश की, पर रवि ने उँगलियों को जोड़कर उसके हाथ अपने से चिपका लिए।

“छोड़ो मुझे रवि… तुमने हद कर दी।”

पर उसकी आवाज़ में डाँट कम, और बेचैनी ज़्यादा थी।

रवि धीरे से उसके हाथ अपने से छुड़ाकर उसकी कमर के पास आया। राधा एक पल के लिए पीछे हटने लगी, पर आँगन की दीवार से अटक गई। अब रवि उसके बिल्कुल सामने था, उसके होंठ बस एक उँगली के फ़ासले पर।


इमोशनल / गिल्ट टच (Part 2)

राधा की आँखें नम-सी हो गईं, वो थोड़ा काँपते हुए बोली,
“रवि… ये पाप है… मैं तुम्हारी भाभी हूँ, मुझे अपने पति के विश्वास को तोड़ना नहीं चाहिए…”

रवि ने उसका ठोड़ी अपने हाथ से उठाकर कहा,
“भाभी… अगर ये पाप है, तो मैं हर दिन करना चाहता हूँ। आपकी हर मुस्कान, हर अदा मेरे लिए भगवान का प्रसाद है।”

राधा की आँखों में आँसू और वासना दोनों मिल गए। उसने आँख बंद कर ली, और अपने होंठ थोड़े ढीले कर दिए… जैसे बस एक छुअन की देर थी।

रवि ने धीरे से अपना होंठ उसके होंठों पर रख दिया। एक पल के लिए पूरा आँगन चुप हो गया, सिर्फ़ दोनों की साँसें और होंठों का मिलन।

राधा की उँगलियाँ रवि के सीने पर रखी थीं, जैसे रोकने आई हो, लेकिन धीरे-धीरे वो उँगलियाँ सीने को दबाने लगीं।

राधा के होंठ रवि के होंठों से मिले हुए थे। शुरुआत में वो काँप रही थी, जैसे खुद से लड़ रही हो। लेकिन धीरे-धीरे उसका शरीर ढीला पड़ने लगा।

रवि ने उसकी कमर को कसकर पकड़ा और होंठों को और गहराई से चूस लिया। राधा की आँखें बंद थीं, उसका सीना तेज़ी से उठ-गिर रहा था।

कुछ ही सेकेंड बाद उसने धीरे-धीरे अपने होंठ रवि के होंठों में मिला दिए। अब वो सिर्फ़ रोक नहीं रही थी, बल्कि खुद चख रही थी।

राधा की धीमी कराह निकल गई –
“म्म्म… रवि…”

रवि ने मुस्कुराकर कहा,
“बस भाभी… अब आप मेरी हो चुकी हो।”

राधा ने उसकी छाती पर सिर रख दिया, जैसे थककर हार मान चुकी हो। उसकी साँसें गरम थीं और दिल ज़ोर से धड़क रहा था।


😈 टीज़िंग / टच

रवि ने धीरे-धीरे उसकी पीठ पर हाथ फेरा, फिर कमर पर टिक गया। उसकी उँगलियाँ राधा की साड़ी के पल्लू के नीचे सरकने लगीं।

“रवि… मत…” राधा ने धीमी आवाज़ में कहा, पर हाथ रोकने के बजाय उसकी कमर और आगे झुक गई।

रवि ने साड़ी का कपड़ा हल्का-सा उठाया और उसकी पीठ के नंगे हिस्से पर उँगली घुमाई। राधा सिहर उठी।

“तुम… मुझे बरबाद कर दोगे…” उसने काँपती आवाज़ में कहा।

रवि ने कान के पास फुसफुसाया,
“बरबाद नहीं भाभी… मैं तो आपको पूरा करना चाहता हूँ।”

राधा की आँखों से आँसू निकल पड़े, लेकिन होंठों पर हल्की मुस्कान भी थी। वो जान चुकी थी कि अब पीछे लौटना मुश्किल है।


इमोशनल / समर्पण

राधा ने अपना चेहरा उठाया और पहली बार रवि की आँखों में सीधे देखा।
उसकी आँखों में शर्म, डर और एक गहरी वासना का तूफ़ान था।

“रवि… मैं तुम्हें रोक नहीं पा रही हूँ। शायद… शायद ये ही मेरी कमज़ोरी है।”

रवि ने उसका चेहरा दोनों हाथों में लिया और बोला,
“कमज़ोरी नहीं भाभी… ये तो हमारा राज़ है। सिर्फ़ मेरा और आपका। इस आँगन के अंधेरे में… सिर्फ़ हम दोनों।”

राधा ने अपने दोनों हाथ रवि की गर्दन के पीछे डाल दिए और उसे कसकर चूम लिया। अब उसके होंठों पर कोई रोक नहीं थी।


🔥 बढ़ती आग

रवि ने उसके सीने पर हाथ रख दिया, कपड़े के ऊपर से दबाते हुए। राधा ने आँखें कसकर बंद कर लीं, होंठ काटते हुए कराह निकली।

“म्म्म… रवि… मत करो… कोई देख लेगा…”

रवि ने और ज़ोर से दबाया,
“भाभी… अगर कोई देख भी ले… तो कहेगा, देवर अपनी भाभी को गले लगा रहा है।”

राधा हँसी और रोने के बीच फँसी हुई थी। उसकी साँसें अब तेज़ होकर टूट-सी रही थीं।

रवि ने उसके कान को चूम लिया, फिर गर्दन पर हल्के काटे छोड़े।
राधा की कराह अब और ऊँची हो रही थी।

“हाय राम… ये लड़का मुझे पागल कर देगा…”


😈 ट्विस्ट / इमोशनल

उसी वक्त आँगन के बाहर से किसी के पैरों की आहट सुनाई दी।
राधा झट से रवि से अलग हो गई और साड़ी सँभालने लगी।

रवि ने उसका हाथ पकड़कर खींचा और फुसफुसाया,
“डरिए मत भाभी… जो भी होगा, हम साथ झेलेंगे।”

आहट पास आते-आते अचानक रुक गई। दोनों की साँसें थम गईं।

राधा काँपती आवाज़ में बोली,
“अगर कोई देख लेगा… तो सब खत्म हो जाएगा…”

रवि ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
“शुरुआत तो अब हुई है भाभी… खत्म तो आख़िर में होगा।”

राधा के होंठ फिर काँपे, और उसने धीरे से अपने आप को रवि की बाँहों में डाल दिया।

🔔 आँगन की आहट

राधा और रवि दोनों की साँसें अटकी हुई थीं। आँगन के बाहर पायल जैसी हल्की-सी आवाज़ आई, फिर अचानक सब शांत हो गया।

राधा काँपकर बोली,
“हे भगवान… कोई हमें देख तो नहीं रहा था?”

रवि ने उसकी कमर थामते हुए कहा,
“अगर कोई देखता, तो अब तक आकर पूछ लेता भाभी। डरिए मत।”

पर राधा के चेहरे पर पसीना छलक रहा था। उसकी साँसें और तेज़ हो गईं। डर के साथ ही उसके भीतर एक अजीब-सी वासना का उबाल था। जैसे खतरे ने उसकी प्यास को और भड़का दिया हो।


🔥 फोरप्ले / बढ़ती आग

राधा पल्लू सँभालकर पीछे हटने लगी, पर रवि ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया।
“कहाँ जा रही हो भाभी? अब तो शुरू हुआ है।”

राधा ने धीमे स्वर में कहा,
“रवि… बहुत गलत हो रहा है… पर दिल मान नहीं रहा।”

रवि ने उसे अपनी ओर खींचा और उसकी कमर से साड़ी का पल्लू हटा दिया। चाँदनी में उसकी पतली कमर चमक उठी।

राधा ने खुद-ब-खुद अपनी आँखें बंद कर लीं।
रवि ने धीरे से उसकी नाभि पर उँगली फिराई।

“म्म्म…” राधा की कराह फूट पड़ी।
उसके हाथ रवि की छाती पर टिक गए।

“भाभी… आपकी ये धड़कन मुझे पागल बना रही है।”
“और तुम्हारी ये जिद… मुझे काबू से बाहर कर रही है…” राधा बमुश्किल बोली।


💦 टीज़िंग / स्पर्श

रवि ने धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के गले में हाथ डाला और अंदर से हल्का-सा दबाया।
राधा ने अचानक उसकी कलाई पकड़ ली, पर छोड़ने के बजाय खुद ही उसकी उँगलियों को और गहराई में खींच लिया।

“हाय राम… ये पाप है…” उसकी आवाज़ टूट रही थी।

रवि ने फुसफुसाकर कहा,
“पाप नहीं भाभी… ये हमारी छुपी हुई आरज़ू है।”

राधा की आँखों से आँसू निकल आए। पर उसी पल उसने गर्दन झुकाकर रवि के होंठ चूम लिए। अब उसमें न डर था, न हिचक… सिर्फ़ भूख।


😈 बढ़ता जुनून

रवि ने उसके ब्लाउज की गाँठ को हल्का-सा खींचा। गाँठ ढीली हुई तो राधा ने उसका हाथ पकड़कर रोका…
“नहीं रवि… अभी नहीं… कोई देख लेगा।”

रवि ने होंठों को उसके कान से लगाकर फुसफुसाया,
“तो फिर कब? ये रात दोबारा नहीं आएगी भाभी।”

राधा सिसक उठी और उसके सीने से लग गई।
उसका पूरा शरीर अब तप रहा था।

“बस… थोड़ा-सा… रुक जा रवि…” वो काँपते हुए बोली।

रवि ने उसकी गर्दन पर हल्के काटे, फिर उसके गाल चूमते हुए बोला,
“रुकना अब मेरे बस में नहीं भाभी।”


😳 ट्विस्ट / खतरा

उसी वक्त अचानक दरवाज़े के पास हल्की-सी खाँसी की आवाज़ आई।
दोनों के होश उड़ गए।

राधा झट से अलग हुई, अपने कपड़े ठीक करने लगी।
“हे भगवान… कोई सुन रहा था!”

रवि ने खिड़की से बाहर झाँका तो कोई साफ़ दिखाई नहीं दिया।
बस धुंधली परछाईं-सी दूर जाती दिखी।

राधा काँपती आवाज़ में बोली,
“अगर ये राज़ किसी ने खोल दिया… तो मेरा घर बर्बाद हो जाएगा…”

रवि ने उसकी ठोड़ी उठाते हुए कहा,
“राज़ खुला तो नहीं… पर अब छुपाना और मुश्किल होगा भाभी। क्यूँकि अब मैं आपको छोड़ ही नहीं सकता।”

राधा की आँखों में डर और चाहत दोनों भरे थे।
उसने धीरे से पल्लू हटाया और बोली,
“तो फिर… मुझे रोकना भी मत।”

💓 डर से चाहत तक

राधा अब काँपती आवाज़ में बोली,
“रवि… अब मैं खुद को रोक नहीं पा रही… पर ये रास्ता हमें कहाँ ले जाएगा?”

रवि ने मुस्कुराते हुए उसके गाल सहलाए,
“जहाँ भी ले जाए भाभी, मैं आपके साथ रहूँगा। अभी तो बस इतना चाहता हूँ कि ये पल रुक जाए।”

राधा की आँखों में अब डर कम और चाहत ज़्यादा थी।
उसने पल्लू पूरी तरह उतारकर पास रख दिया।


🔥 कपड़ों का खेल

रवि ने धीरे-धीरे उसके ब्लाउज़ की गाँठ खोली।
जैसे ही ब्लाउज़ ढीला हुआ, राधा ने शरमाकर अपनी बाँहों से सीना ढक लिया।

“मत देखो मुझे ऐसे…” उसने शर्मीली आवाज़ में कहा।
रवि ने उसकी बाँह पकड़कर हटाई और फुसफुसाया,
“भाभी… आपकी खूबसूरती छुपाने के लिए नहीं बनी।”

उसने धीरे-धीरे उसके सीने पर होंठ रख दिए।
राधा का पूरा बदन झनझना उठा।

“आह्ह रवि… बस करो… पागल कर दोगे मुझे…”


💦 छेड़खानी और कराहें

राधा का दुपट्टा ज़मीन पर गिर चुका था।
उसकी साँसें भारी हो रही थीं।
रवि ने उसकी नाभि पर अपनी जीभ फिराई।

“म्म्म्म… ओह्ह…” राधा के होंठों से दबा-दबा कर कराह निकल रही थी।
उसके हाथ खुद-ब-खुद रवि के बालों में उलझ गए।

“तुम्हारे बिना अब एक पल भी नहीं जी सकती… पर ये पागलपन रुकना चाहिए… कहीं कोई देख न ले…”

रवि हँसते हुए बोला,
“अगर कोई देख ले तो? तब भी मैं आपको छोड़ूँगा नहीं।”


😈 बढ़ती हिम्मत

अब राधा खुद रवि की शर्ट की बटन खोलने लगी।
उसकी उँगलियाँ काँप रही थीं, पर उनमें बेतहाशा भूख थी।

“रवि… मुझे अपनी बाँहों में छुपा लो… मैं भूलना चाहती हूँ कि मैं किसी की बहू हूँ…”

रवि ने उसे कसकर पकड़ लिया।
दोनों के जिस्म अब गर्मी से पिघल रहे थे।

“भाभी, आज आपकी हर ख्वाहिश पूरी करूँगा… चाहे जो हो जाए।”


💔 ट्विस्ट / गिल्ट

पर जैसे ही माहौल और गरम हुआ, राधा अचानक पीछे हट गई।
उसकी आँखों में आँसू थे।

“नहीं रवि… अगर ये हद हमने आज पार कर दी… तो कभी लौट नहीं पाएँगे। मेरा घर, मेरा मान… सब चला जाएगा।”

रवि ने उसका चेहरा पकड़कर धीरे से चूमा और बोला,
“तो फिर आधा छोड़ देते हैं भाभी… लेकिन ये आधा भी कम नहीं होगा।”

राधा ने सिसकते हुए उसकी बाँहों में खुद को फिर डाल दिया।
उसका बदन काँप रहा था – डर से भी, और वासना से भी।

💔 गिल्ट के बीच लालसा

राधा आँसुओं से भरी आँखों के साथ बोली,
“रवि… मैं पाप कर रही हूँ… पर तुझसे दूर भी नहीं रह पा रही…”

रवि ने उसके गाल पर हाथ फेरते हुए कहा,
“भाभी, अगर ये पाप है… तो मैं हर जन्म यही पाप करना चाहूँगा।”

राधा काँपते हुए हँस पड़ी। उसकी साँसों में प्यास थी,
उसकी आँखों में डर और चाहत दोनों जल रहे थे।


🔥 छुपे जिस्म का इकरार

रवि ने धीरे-धीरे उसकी साड़ी की पल्लू को पूरी तरह सरकाया।
अब सिर्फ़ ब्लाउज़ और पेटीकोट उसे ढक रहे थे।

राधा ने शरमाते हुए आँखें बंद कर लीं।
“रवि… मत देखो मुझे यूँ… मैं तुझसे छोटी नहीं हूँ… तू तो मेरे देवर जैसा है…”

रवि ने उसके कान चूमते हुए फुसफुसाया,
“भाभी… आप कभी देवर जैसी लगी ही नहीं… आप तो मेरी अधूरी ख्वाहिश हो।”


💦 बदन की भूख

रवि ने उसके गर्दन पर हल्की काट छोड़ी।
राधा सिहर गई, उसके होंठों से दबा-दबा कर कराह निकली।

“आह्ह्ह रवि… पागल कर दोगे मुझे…”

उसकी बाँहें अब रवि की पीठ में कसकर धँस चुकी थीं।
उसका बदन अब खुद रवि को खींच रहा था।

रवि ने उसके ब्लाउज़ की हुक खोल दी।
जैसे ही कपड़ा ढीला हुआ, राधा ने शर्म से चेहरा उसकी छाती में छुपा लिया।

“मत देखो… मैं संभल नहीं पाऊँगी…”


😈 छेड़छाड़ और आत्मसमर्पण

रवि ने उसका चेहरा ऊपर उठाया और होंठों को अपने होंठों से भींच लिया।
लंबी, गहरी चुम्बन से दोनों का दम भर आया।

राधा अब पूरी तरह बेकाबू हो चुकी थी।
उसने खुद ही रवि की शर्ट उतारी और उसके सीने पर अपने नाखून फेर दिए।

“रवि… आज मुझे भूलने मत देना… मुझे पूरी तरह अपने अंदर समेट लो…”

रवि मुस्कराया,
“भाभी… अभी तो शुरुआत है… असली रात तो आगे है।”


💔 ट्विस्ट / गिल्ट

अचानक बाहर से किसी के पैरों की आहट आई।
दोनों के दिल धड़क उठे।

राधा जल्दी से अपने कपड़े सँभालने लगी।
“कोई देख लेगा तो बर्बाद हो जाएँगे रवि…”

रवि ने उसका हाथ पकड़कर दबाया,
“भाभी, आज जो आग हमने लगाई है… उसे कोई बुझा नहीं सकता। चाहे आज रुक भी जाए… अगली रात हम इसे अधूरा नहीं छोड़ेंगे।”

राधा की आँखों में डर भी था और उस अधूरे सुख की प्यास भी।

💭 अधूरी रात की जलन

राधा रात भर करवटें बदलती रही।
रवि के होंठ, उसके स्पर्श और खुला हुआ ब्लाउज़ – सब बार-बार उसके मन में ताज़ा हो रहा था।
सुबह पूजा करते समय भी उसका दिल धड़क रहा था, जैसे भगवान को भी उसके पाप का पता चल गया हो।

“हे शिवजी… मुझसे ये सब क्यों हो रहा है…” उसने मन ही मन कहा, पर उसका शरीर खुद ब खुद रवि की चाह में सिहर रहा था।


सुनसान दोपहर

गाँव में दोपहर का वक्त था।
सब लोग खेतों में या सोए हुए थे।
घर लगभग सुनसान था।

रवि ने मौका देखकर धीरे से आँगन से अंदर कदम रखा।
राधा रसोई में अकेली थी, पसीने से गीली, पल्लू कमर से बंधा हुआ।

जैसे ही रवि ने पीछे से आकर उसकी कमर थामी, राधा चौंक गई।
“रवि!… पगला गए हो? दिन दहाड़े?”

रवि ने उसके कान में गरम साँसें छोड़ीं,
“भाभी… रात अधूरी रह गई थी… आज दिन में पूरा करेंगे।”


🔥 छुपी छेड़छाड़

राधा के हाथ में बेलन था, जो डर से गिर पड़ा।
रवि ने पीछे से उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
उसके सीने से टकराते ही राधा की कमर खुद झुकने लगी।

“आह्ह… छोड़ो मुझे… कोई देख लेगा…”

रवि ने उसकी गर्दन पर चूमा और कहा,
“दरवाज़ा अंदर से बंद कर लो… फिर कोई नहीं देख पाएगा।”

राधा काँपते हुए दौड़कर दरवाज़ा बंद कर आई।
जैसे ही लौटी, रवि ने उसे पकड़कर दीवार से चिपका लिया।


💦 बढ़ती प्यास

रवि ने उसके ब्लाउज़ के हुक फिर से खोलने शुरू किए।
राधा हाँफते हुए बोली,
“तू तो बिलकुल पागल है… पर मैं भी रुक नहीं पा रही…”

उसके हाथ खुद रवि की कमीज़ के बटन खोलने लगे।
दोनों के सीने आपस में चिपक गए।
पसीने और गर्म साँसों की मिलावट से माहौल और गाढ़ा हो गया।

राधा ने अपने नाखूनों से रवि की पीठ पर लकीरें खींचीं।
“आह्ह… रवि… आज मुझे रोकना मत…”


💔 गिल्ट की चुभन

जैसे ही रवि उसके ब्लाउज़ को पूरी तरह उतारने लगा, राधा अचानक ठिठक गई।
उसकी आँखें भीग उठीं।

“रवि… अगर सचमुच किसी ने देख लिया तो? मेरी इज़्ज़त, तेरी बदनामी… सब मिट जाएगा…”

रवि ने उसकी ठोड़ी पकड़कर कहा,
“भाभी… ये प्यास छुपी रह जाएगी तो हमें अंदर से जला देगी। दुनिया से डरते-डरते हम एक-दूसरे से दूर हो गए तो जीना मुश्किल हो जाएगा।”

राधा ने उसकी आँखों में देखा – डर भी था, पर चाहत उससे कहीं ज्यादा।

🔥 बेकाबू जिस्म

दरवाज़ा बंद था, खिड़की पर परदा गिरा हुआ।
राधा अब और रुक नहीं पा रही थी।
उसके होंठ खुद रवि के होंठों पर जा टिके।
दोनों का चुंबन लंबा और गहरा होता चला गया।

रवि ने धीरे-धीरे उसका ब्लाउज़ उतारा।
गर्म देह पसीने से चमक रही थी।
राधा की साँसें तेज़ हो गईं।
“रवि… अब मुझे मत रोको…”


👕 कपड़ों से परे

रवि ने उसकी साड़ी का पल्लू खोल दिया और कमर से नीचे सरकाने लगा।
राधा काँप रही थी पर खुद भी उसका कुर्ता उतारने लगी।
कुछ ही पलों में दोनों अर्धनग्न खड़े थे।

राधा ने अपनी छाती खुद उसके सीने पर दबा दी।
“आह्ह… इतने दिन की भूख है… अब जी भरकर…”

रवि ने उसकी कमर थामकर उसे खाट पर लिटा दिया।


💦 अंतिम समर्पण

उनके जिस्म अब पूरी तरह एक-दूसरे से चिपक गए।
राधा के होंठों से कराहें फूट रही थीं, और रवि लगातार उसके भीतर डूबता चला गया।

“भाभी… अब मैं खुद को रोक नहीं सकता…”
“हाँ रवि… भर दो मुझे… आज मैं पूरी तरह तेरी हूँ…”

गाँव की खामोश दोपहर में उनके जिस्मों की टकराहट की आवाज़ गूंज रही थी।
हर धक्का, हर कराह उनके मन के डर और पाप को तोड़ रहा था।


🌊 चरम सुख

कुछ ही देर में दोनों की सांसें बेकाबू होने लगीं।
राधा की उंगलियाँ रवि की पीठ पर धँस गईं।
“आह्ह… रवि… अब मैं नहीं रोक पा रही… आ रहा है…”

रवि भी गरज उठा,
“भाभी… मैं भी… बस यही पल…”

और दोनों एक साथ चरमसुख की आग में फट पड़े।
उनके जिस्म काँपते रहे, और पसीने से भीगी देहें देर तक एक-दूसरे से चिपकी रहीं।


💔 बाद का सन्नाटा

कुछ देर बाद दोनों थककर खाट पर लेटे थे।
राधा की आँखें बंद थीं, पर होंठ मुस्कुरा रहे थे।
फिर अचानक डर की लकीर उसके चेहरे पर उभर आई।

“रवि… अगर कभी किसी को पता चल गया तो…?”

रवि ने उसकी हथेली कसकर पकड़ ली।
“भाभी… अब ये हमारा राज़ है। पाप हो या पुण्य… मैं तेरे साथ हूँ।”

राधा ने उसकी आँखों में देखा और पहली बार उसे पूरे मन से अपना लिया।


कहानी समाप्त

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