कमरा नं. 13 का नया शिकार

Hostel Ka Band Kamra No. 13 – Part 2

छोटा टीज़र

“दरवाज़े पर दस्तक… और जब वो खुला, सामने खड़ी थी नयी लड़की—भोली शक्ल, लेकिन आँखों में अनकही जिज्ञासा।
रुही का दिल काँप उठा—क्या अब वही करेगी जो कुछ देर पहले उस पर हुआ था?”


नया किरदार

  • सोनल (20 साल) – कॉलेज की सीनियर, खुले बाल, लंबा बदन और हमेशा खामोश-सी। पर उसके चेहरे की झिझक के पीछे एक दबा हुआ तूफ़ान छुपा है।
  • मीरा और रुही – अब एक-दूसरे के स्वाद में रंग चुकी हैं, और तैयार हैं नए जिस्म से खेल खेलने को।

माहौल

बरसात अभी भी चल रही थी।
कमरा नं. 13 की खिड़की पर पानी की बूंदें लगातार टपक रही थीं।
अंदर—बिस्तर अभी भी गीला था, पसीने और रस की मिली-जुली महक हवा में घुली थी।


एंट्री और पहली छेड़छाड़

मीरा ने दरवाज़ा खोला, सामने सोनल खड़ी थी।
उसकी आँखें चौड़ी हुईं जब उसने दोनों को आधे नंगे हालात में देखा।

सोनल (हकलाकर): “त-तुम दोनों… यहाँ…?”
मीरा (शरारती हँसी के साथ): “अब तू भी जान जाएगी कि इस कमरे की असली पहचान क्या है।”

सोनल पीछे हटने लगी, लेकिन रुही ने उसका हाथ पकड़ लिया।
“डर मत… मुझे भी अभी तक डर लग रहा था… पर अंदर आओ, सब बदल जाएगा।”

धीरे-धीरे सोनल कमरे में आ गई।
मीरा ने उसके चेहरे को सहलाते हुए कहा—
“तू बहुत दिन से छुपकर हमें देख रही थी न? आज तेरी बारी है।”

सोनल ने कुछ कहा नहीं, लेकिन उसके काँपते होंठ उसकी बेचैनी बयान कर रहे थे।


फोरप्ले थ्रीसम का

मीरा ने रुही को इशारा किया।
रुही ने धीरे से सोनल का दुपट्टा खींच लिया।
उसके गोल स्तन ब्रा से उभरे हुए थे, और रुही ने पहली बार किसी और लड़की के सीने को छूने की हिम्मत की।

“म्म्म्म… आह्ह…” सोनल की हल्की कराह कमरे में गूँज गई।

मीरा ने सोनल के पीछे खड़े होकर उसके बालों को सहलाया और गर्दन पर होंठ रख दिए।
“देख, तेरा बदन तो खुद इजाज़त दे रहा है।”

अब तीनों बिस्तर पर गिर चुकी थीं—
मीरा बीच में, दोनों तरफ रुही और सोनल।
तीनों के होंठ आपस में बारी-बारी से मिलने लगे।


कपड़ों का गिरना

रुही ने सोनल की ब्रा खोल दी, और उसके गोल मटोल स्तन बाहर आ गए।
मीरा ने झुककर एक तरफ से चूसा, जबकि रुही ने दूसरी तरफ।
सोनल चीख उठी—
“ओह्ह्ह्ह… आह्ह्ह… प्लीज़… धीरे…”

लेकिन अब कोई रुकने वाला नहीं था।
सलवार, पैंटी, कुर्तियाँ—एक-एक करके सब कपड़े उतर गए।
अब तीनों नग्न थीं, उनके बदन आपस में चिपककर पसीने और रस में डूबे हुए थे।


थ्रीसम का स्वाद

मीरा ने रुही और सोनल को आमने-सामने लिटाया।
दोनों की चूतें एक-दूसरे से लगी हुई थीं।
मीरा ने बीच में घुसकर दोनों को बारी-बारी से चाटना शुरू कर दिया।

“आह्ह्ह… दी… म्म्म्म…”
“ओह्ह्ह… पागल कर रही हो…”

कमरे में तीन आवाज़ें एक साथ गूंज रही थीं—कराहें, सिसकियाँ और चूत की चपचप।

फिर मीरा ने रुही और सोनल को डॉगी पोज़ में लगाया—दोनों साइड बाय साइड, गांडें हवा में।
मीरा ने बारी-बारी से दोनों की चूतों को उँगलियों और जीभ से बजाना शुरू किया।

“म्म्म्म… आह्ह्ह्ह… निकल गई… आह्ह…”
दोनों की चीखें मिलकर गूँज उठीं।


ट्विस्ट

कराहों के बीच अचानक खिड़की के बाहर बिजली की तेज़ चमक हुई।
उस रोशनी में तीनों ने एक-दूसरे की आँखों में देखा—
शरीर थक चुका था, लेकिन भूख खत्म नहीं हो रही थी।

रुही हाँफते हुए बोली—
“दी… ये तो बस शुरुआत थी… अब तो मुझे रोज़ यहाँ आना पड़ेगा।”

मीरा ने दोनों को सीने से लगाकर मुस्कुराते हुए कहा—
“कमरा नं. 13 सिर्फ़ जगह नहीं… ये नशा है। और अब तुम दोनों इसकी कैद में हो।”


हुक एंड (Revised)

बरसात और तेज़ हो चुकी थी।
खिड़की से आती ठंडी हवा में तीनों नग्न जिस्म चादर में उलझकर एक-दूसरे से चिपके हुए थे।
मीरा ने आँखें बंद कर फुसफुसाया—
“कल रात फिर मिलेंगे… और इस बार हम नई हदें पार करेंगे।”

रुही और सोनल ने चुपचाप एक-दूसरे का हाथ थाम लिया—
अब ये खेल रुकने वाला नहीं था।

छोटा टीज़र

“तीनों जिस्म थके पड़े थे, पर आँखों में नींद नहीं थी।
कमरा नं. 13 में पसीना सूख चुका था, लेकिन वासना की आग और तेज़ हो रही थी।”


शुरुआतनींद टूटी प्यास

रात काफ़ी बीत चुकी थी।
मीरा चादर ओढ़े बीच में लेटी थी, दोनों तरफ रुही और सोनल।
अचानक रुही ने करवट ली और मीरा के सीने पर हाथ रख दिया।

“दी… नींद नहीं आ रही…”
मीरा ने उसकी उँगलियाँ पकड़कर अपने निपल्स पर रख दीं।
“तो छू ले… जब तक चैन न मिले।”

रुही ने दबाते ही गहरी कराह भरी।
उसकी आवाज़ सुनकर सोनल भी उठ गई।
“तुम दोनों फिर से…?”

मीरा मुस्कुराई—
“हाँ… और इस बार तू भी बराबरी से हिस्सा लेगी।”


नई शुरुआतएक साथ

तीनों ने फिर कपड़े उतार दिए।
मीरा ने दोनों लड़कियों को आमने-सामने लिटा दिया—
रुही और सोनल के होंठ आपस में टकराए।

पहले हिचकिचाहट थी, पर धीरे-धीरे चुंबन गहरा होने लगा।
मीरा ने बीच में बैठकर उनके सीने दबाए और बोली—
“शाबाश… अब असली मज़ा आएगा।”


पोज़िशन बदलना

मीरा ने रुही को नीचे लिटाया और सोनल को उसके ऊपर बिठा दिया।
अब रुही की चूत और सोनल की चूत सीधे-सीधे रगड़ खा रही थीं।
मीरा नीचे झुककर उनके बीच जीभ घुसाने लगी।

“आह्ह्ह… ओह्ह्ह… म्म्म्म…”
दोनों के बदन पसीने से चमकने लगे।

रुही ज़ोर से हाँफते हुए बोली—
“दी… मैं निकल जाऊँगी… रोक नहीं पा रही…”
मीरा हँसते हुए बोली—
“निकल… जितनी बार चाहे निकल… आज रात तेरे लिए बनी है।”


डॉगी और डबल प्ले

मीरा ने अब दोनों को बगल-बगल डॉगी पोज़ में लगाया।
रुही और सोनल दोनों की गांडें हवा में थीं।

मीरा ने एक हाथ से रुही की चूत बजाई, दूसरे हाथ से सोनल की।
कभी उँगलियाँ बदलकर, कभी जीभ से, दोनों को बारी-बारी से छेड़ती रही।

दोनों एक साथ चीखने लगीं—
“आह्ह्ह्ह्ह… और तेज़… म्म्म्म… ओह्ह्ह…”

उनकी आवाज़ें गूंज रही थीं, मानो दीवारें भी काँप उठी हों।


डर्टी टॉक

मीरा ने रुही के कान में फुसफुसाया—
“तेरी ये तंग चूत… किसी को भी पागल कर दे। अब सोच अगर कोई लड़का होता, तो कैसे फाड़ता तुझे…”

रुही ने आँखें बंद कर लीं, उसकी साँसें और तेज़ हो गईं।
“आह्ह्ह… सच में… चाहती हूँ कि कोई मुझे ऐसे ही…”

सोनल बीच में कराहते हुए बोली—
“बस… तुम दोनों चुप रहो और मुझे और जोर से छुओ…”

मीरा हँसी—
“वाह… अब तो मेरी दोनों प्यास की पुजारिनें पूरी तरह टूट चुकी हैं।”


क्लाइमेक्सतिहरा विस्फोट

तीनों अब एक-दूसरे के ऊपर-नीचे लिपटकर, कभी होंठों पर, कभी सीने पर, कभी चूत से चूत घिसते हुए पागल हो चुकी थीं।
मीरा ने दोनों को कसकर दबाया और ज़ोर से चाटने लगी।

“आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…”
रुही और सोनल दोनों एक साथ चीखते हुए निकल गईं।
उनके रस बिस्तर पर बह निकले, चादर पूरी भीग चुकी थी।

मीरा ने भी अपनी चूत रगड़कर खुद को छुड़ाया और साथ ही काँपते हुए गिर पड़ी।


ट्विस्टभावनाओं का रंग

थककर तीनों एक-दूसरे से चिपक गईं।
रुही फुसफुसाई—
“दी… अब मैं तेरे बिना जी ही नहीं पाऊँगी।”

सोनल ने धीरे से कहा—
“और मैं… पहली बार खुद को औरत की तरह महसूस कर रही हूँ।”

मीरा ने दोनों को बाँहों में भरते हुए मुस्कुराकर कहा—
“अब तुम दोनों मेरी हो… और कमरा नं. 13 हमारी नई दुनिया है।”


हुक एंड

खिड़की से सुबह की हल्की रोशनी अंदर आने लगी थी।
मीरा ने आँखें बंद कर धीमी आवाज़ में कहा—
“आज रात फिर आएँगी… लेकिन इस बार मैं तुम्हें एक ऐसा खेल सिखाऊँगी जो अभी तक किसी ने नहीं किया।”

रुही और सोनल की साँसें फिर तेज़ हो गईं—
उनकी अधूरी प्यास अब और भी गहरी होने वाली थी।

“रात की आख़िरी घड़ियाँ थीं… पर तीनों जिस्म अब भी आग की तरह सुलग रहे थे।
एक आख़िरी बार… कमरा नं. 13 उनकी वासना की चीख़ों से काँप उठा।”


माहौल

बाहर आसमान पर हल्की बिजली चमक रही थी, बारिश की बूंदें खिड़की से टकरा रही थीं।
कमरा 13 के भीतर मोमबत्तियों की लौ डगमगा रही थी।
तीनों औरतों के शरीर पसीने और रस से भीगे हुए थे।


शुरुआतआख़िरी खेल

मीरा ने दोनों को एक बार फिर पास खींचा।
“आज की रात आख़िरी है बेटियों… अब ऐसा आनंद दूँगी कि यादों में भी भीग जाओगी।”

रुही और सोनल ने बिना सोचे कपड़े उतार फेंके।
तीनों नंगी देहें फिर से चिपक गईं।


पागलपन का सिलसिला

मीरा ने रुही को पलटकर डॉगी पोज़ में किया और उसके नीचे खुद लेट गई।
“आ… ऊपर बैठ… तेरे रस से मेरी छाती तर कर दे।”

रुही ने अपनी गरम चूत सीने पर रगड़ी और पागलों की तरह कराहने लगी।

सोनल ने पास आकर मीरा के होंठों में जीभ डाल दी।
अब मीरा के एक ओर होंठों का स्वाद, दूसरी ओर सीने पर गरम चूत… वह खुद भी हाँफ उठी।


तिहरा खेल

मीरा ने सोनल को नीचे खींचकर रुही के साथ 69 पोज़ में लिटा दिया।
अब सोनल का चेहरा रुही की चूत पर और रुही का चेहरा सोनल की।

“हाँ… ऐसे… चाटो एक-दूसरे को…”
मीरा उनकी गांडें दबाती, कभी थप्पड़ मारती, कभी उँगली घुसा देती।

दोनों लड़कियाँ एक-दूसरे की चूत पर टूट पड़ीं।
कमरा कराहों और चूसने की आवाज़ों से भर गया।


विस्फोट

रुही सबसे पहले काँप उठी—
“आह्ह्ह… दी… निकल रही हूँ…”
उसके रस सोनल के मुँह में भर गए।

सोनल ने भी चीखकर सिर उठाया—
“म्म्म्म… ओह्ह्ह… मैं भी…”
उसका बदन बिस्तर पर काँपने लगा।

मीरा ने खुद अपनी चूत मसलते हुए दोनों की चीखों के साथ ही ज़ोर से कराह भरी।
तीनों एक साथ निकल गईं—
चादर, तकिए और फर्श तक भीग चुके थे।


आख़िरी आलिंगन

थकी हुई साँसों के बीच मीरा ने दोनों को बाँहों में भर लिया।
तीनों एक-दूसरे से चिपककर लेट गईं।

मीरा बोली—
“अब प्यास बुझ चुकी है… अब ये याद ही हमें ज़िन्दा रखेगी।”

रुही ने आँखें बंद कर दीं।
सोनल ने धीमे से कहा—
“कमरा नं. 13 अब हमेशा हमारे जिस्मों की खुशबू से महकेगा…”


अंत

बाहर सुबह हो चुकी थी।
कमरा नं. 13 का दरवाज़ा धीरे से बंद हुआ…
और तीनों औरतें अपनी-अपनी ज़िन्दगी में लौट गईं—
लेकिन उस रात का पागलपन हमेशा उनके जिस्मों में गूँजता रहा।


🔥 सीरीज़ यहीं क्लाइमैक्स पर पूरी होती है।

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