भीगा ब्लाउज़ और प्यासा पड़ोसी






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गीली पड़ोसन टंकी पर – गाँव की छुपी प्यास

Short Teaser

गर्मियों की तपती दोपहर छत पर पानी की टंकी से गिरती बूंदों में पड़ोसन का भीगा बदन लहराता है।नीचे से उसे झांकती नज़रों में भूख है ,प्यास है और वो forbidden ख्वाहिश जिसे दबाया तो गया है ,मगर बुझाना दोनों चाहते हैं।

Character Detail

राधा (27) – गोरी ,भरे – भरे स्तन और चौड़ी कमर वाली पड़ोसन।पति शहर में नौकरी करता है ,अक्सर महीनों घर नहीं आता।साड़ी में भी हर वक्र झलक पड़ता है।भीतर से हमेशा छुपी हुई भूख ,जिसे वो आँखों से छुपाने की कोशिश करती है।

अर्जुन (21) – कॉलेज जाने वाला जवान लड़का।सख्त जिस्म ,शरारती आँखें।राधा को रोज़ छत पर देखता है और कल्पनाओं में उसे नंगा कर चुका है।अंदर ही अंदर उसकी तरफ़ attraction दिन – ब – दिन बढ़ता जा रहा है।

सुनीता (19) – राधा की ननद।भोली लेकिन चौकस ,अचानक छत पर आ जाती है जिससे डर और thrill दोनों का माहौल बनता है।

Plot / Setting

गाँव की खुली छतें ,चारों तरफ़ झाँकती नज़रों का डर।दोपहर का वक़्त जब सब लोग नींद में होते हैं ,तब राधा छुपकर छत की टंकी पर नहाने चढ़ती है।खुले आसमान के नीचे पानी से भीगती पड़ोसन को देखकर अर्जुन की आँखें प्यास से चमक उठती हैं।डर ये भी कि कोई देख न ले और मज़ा ये भी कि पब्लिक जगह पर छुपा खेल है।

Foreplay / Build-up

राधा ने अपनी साड़ी का पल्लू कसकर कमर में दबाया और टंकी पर चढ़ गई।टंकी से गिरते ठंडे पानी की धार उसके गीले ब्लाउज़ को और चिपकाती जा रही थी।उसकी साँसें भीगने के साथ भारी हो रही थीं।

नीचे अपने घर की छत पर खड़ा अर्जुन चुपके से ऊपर झाँक रहा था।" हाय माँ ये तो पूरा गीला हो गई " उसने धीमे से बुदबुदाया।

राधा की आँखें अचानक नीचे की तरफ़ गईं ,जैसे उसे अहसास हुआ कि कोई देख रहा है।अर्जुन झट से झुक गया ,लेकिन एक कोना ऐसा था जहाँ से वो बिना दिखे उसे साफ़ देख सकता था।

राधा ने गीले हाथों से अपने बाल पीछे किए।पानी की बूँदें उसकी गर्दन से होते हुए ब्लाउज़ की गहराई में गुम हो रही थीं।अर्जुन की आँखें वहीं अटक गईं।

अचानक हवा का झोंका आया और उसका पल्लू सरककर कंधे से फिसल गया।" उफ्फ " अर्जुन ने होंठ काटे।राधा ने जल्दी से पल्लू ठीक किया ,लेकिन उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी।मानो वो जानती हो कि कोई देख रहा है और उसे मज़ा आ रहा हो।

अर्जुन का दिल ज़ोर – ज़ोर से धड़क रहा था।उसने खुद से कहा ," अगर ऊपर चला गया तो ?नहीं लेकिन ये मौका "

राधा ने टंकी से पानी का लोटा उठाकर पूरे सीने पर उड़ेल दिया।भीगे कपड़े से झलकते curves ने अर्जुन को और पागल कर दिया।वो खुद को रोक नहीं पाया और सीढ़ियाँ चढ़ने लगा।

" पानी भरने आ गया अर्जुन ?" राधा की आवाज़ में शरारत थी।अर्जुन सकपकाया – " ह ..हाँ भाभी टंकी खाली थी तो सोचा "

राधा ने उसकी तरफ़ सीधी नज़र डाली।भीगे ब्लाउज़ से झाँकते गोलाई पर पानी की बूंदें चमक रही थीं।अर्जुन की नज़रें वहीं चिपक गईं।

राधा हँस दी – " नीचे देखो अर्जुन नहीं तो नज़रों से ही टंकी खाली कर दोगे।"

उसके होंठों की हँसी और आँखों की गहराई ने अर्जुन की देह में बिजली सी दौड़ा दी।

Twist / Emotional

अर्जुन डर और रोमांच के बीच फँसा था।अगर ननद आ गई या मोहल्ले का कोई ऊपर देख लेता तो सब खत्म।लेकिन राधा की आँखों से निकलती चुनौती और शरारत उसे वहीं खींचे जा रही थी।उसे लग रहा था जैसे पड़ोसन सिर्फ़ शरीर से नहीं ,बल्कि नज़रों से भी उसे धीरे – धीरे undress कर रही है।

अर्जुन सीढ़ियों पर खड़ा था ,लेकिन उसका मन भीतर से काँप रहा था।राधा ने टंकी से पानी भरकर बाल्टी किनारे रखी और अपने गीले बदन पर हाथ फेरते हुए बोली –

" आ जा अर्जुन ,ज़रा मदद कर दे ये बाल्टी नीचे उतारनी है।"

अर्जुन ने जल्दी से हाथ बढ़ाया ,लेकिन जैसे ही उसने बाल्टी पकड़ी ,उसका हाथ राधा की उंगलियों से छू गया।दोनों के बीच अचानक एक सिहरन दौड़ गई।

" ओह सॉरी भाभी " अर्जुन हकलाया।राधा ने शरारती मुस्कान के साथ कहा – " इतना डर क्यों रहा है ?पानी ही तो है जला थोड़े देगा।"

अर्जुन की नज़रें राधा के गीले ब्लाउज़ पर ही अटकी थीं।पानी से चिपका कपड़ा उसकी गोलाई को और उभार रहा था।राधा ने जानबूझकर बाल्टी उठाते समय झुककर अपने सीने को थोड़ा और दिखाया।

अर्जुन का गला सूखने लगा।उसने काँपती आवाज़ में कहा – " भाभी नीचे से सब दिख रहा है।" राधा ने पलटकर देखा और हँस पड़ी – " तो आँखें क्यों गड़ाए बैठे हो ?देखना है तो हिम्मत से देखो "

उसकी बात सुनकर अर्जुन के कान लाल हो गए।वो और पास खिंच आया।अब दोनों के बीच मुश्किल से एक हाथ का फ़ासला था।

पानी की ठंडी बूँदें टंकी से गिरकर राधा की कमर तक बह रही थीं।अर्जुन की आँखें उसकी भीगी साड़ी के पल्लू और खुले पेट पर टिक गईं।

" तू ऊपर क्यों आया था ?" राधा ने अचानक सवाल किया।" प ..पानी भरने " अर्जुन ने नज़रें चुराते हुए कहा।राधा मुस्कराई – " झूठा पानी भरने आया है या प्यास बुझाने ?"

उसकी ये बात सुनकर अर्जुन का दिल तेज़ धड़कने लगा।उसने डरते – डरते कहा – " प्यास तो है बहुत " राधा की आँखों में चमक आ गई।उसने धीरे से पल्लू कसकर पकड़ा और अर्जुन के कान के पास झुककर फुसफुसाई – " तो फिर सोच ले ये प्यास बुझाने का अंजाम बहुत भारी भी हो सकता है।"

अर्जुन की साँसें तेज़ हो चुकी थीं।उसके हाथ खुद – ब – खुद राधा की कमर के पास रुक गए।लेकिन छूने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे।

राधा ने हल्की आवाज़ में कहा – " काँप रहा है ?छू कर देख ले पानी ठंडा है ,पर मैं बहुत गरम हूँ।"

अर्जुन की आँखें फैल गईं।उसने कांपते हाथों से धीरे – धीरे राधा के गीले आँचल को छुआ।राधा की देह हल्के से काँप गई ,लेकिन उसके होंठों पर मुस्कान और भी गहरी हो गई।

नीचे आँगन में किसी के बोलने की आवाज़ आई।दोनों एकदम चौक गए।अर्जुन ने हाथ पीछे खींच लिया और राधा ने तुरंत पल्लू ठीक किया।

" अरे सुनीता तो सो रही थी न ?" अर्जुन फुसफुसाया।राधा ने होंठ दबाते हुए कहा – " हाँ पर अगर किसी ने देख लिया तो ?"

उसके चेहरे पर डर और आँखों में चाहत ,दोनों साथ – साथ चमक रहे थे।अर्जुन को अब ये खेल और भी खतरनाक और रोमांचक लगने लगा।

Twist / Emotional

राधा ने धीरे से अर्जुन की ओर देखा और बोली – " आज तो बस इतना ही आगे का सोच समझकर करना।" अर्जुन का दिल और प्यास दोनों अधर में लटक गए।वो वहीं खड़ा सोच रहा था – " क्या अगली बार सच में ?"

अगले दिन दोपहर फिर वही गर्मी ,वही सन्नाटा।गाँव के ज़्यादातर लोग नींद में थे।अर्जुन का मन बेचैन था ,पिछली रात उसने करवटें बदलते हुए बस वही पल याद किए – राधा की भीगी देह ,उसकी आँखों की चुनौती और वो अधूरा छूना।

वो सोच रहा था – " आज अगर मौका मिला तो पीछे नहीं हटूँगा "

छत पर चढ़ते ही उसने देखा ,राधा फिर टंकी के पास थी।इस बार उसने गुलाबी साड़ी पहनी थी ,और पल्लू जानबूझकर हल्का ढीला छोड़ रखा था।टंकी का ढक्कन खोलते समय उसका सीना लगभग बाहर छलक रहा था।

अर्जुन ने धीरे से आवाज़ दी – " भाभी " राधा चौंककर मुड़ी ,फिर होंठों पर हल्की मुस्कान आई – " फिर से पानी भरने ?"

अर्जुन ने हिम्मत करके कहा – " पानी तो भर लूँगा पर प्यास वही रह जाएगी।"

राधा ने उसकी तरफ़ लंबी नज़र डाली।उसकी आँखों में मज़ाक और भूख दोनों थे।वो धीरे – धीरे पास आई और बोली – " कल तो काँप रहे थे आज इतने शेर कैसे बन गए ?"

अर्जुन ने काँपते हाथों से उसकी कलाई पकड़ ली।राधा ने झटका नहीं दिया ,बस हल्की – सी आह भरी।" पागल है कोई देख लेगा तो ?"

अर्जुन ने हाँफते हुए कहा – " सब सो रहे हैं बस तुम और मैं।"

राधा की साँसें तेज़ होने लगीं।वो उसकी पकड़ से बाहर नहीं आई ,बल्कि और करीब झुक गई।उनके बीच मुश्किल से दो उँगलियों की दूरी बची थी।अर्जुन की आँखें उसके होंठों पर टिक गईं।

राधा ने फुसफुसाकर कहा – " अगर तू रुक नहीं सकता तो धीरे से कर वरना ये खेल यहीं खत्म।"

अर्जुन ने काँपते हाथों से उसकी कमर पर हल्का स्पर्श किया।गीले कपड़े से फिसलते ही उसकी देह काँप उठी।राधा ने होंठ काटे और आँखें बंद कर लीं।

" बस ज़्यादा मत " वो आधी रोक ,आधी चाहत में बुदबुदाई।

अर्जुन का साहस और बढ़ गया।उसने पल्लू को हल्का सरकाकर उसके पेट पर हाथ फेरा।राधा की साँस अटक गई।उसने तुरंत अर्जुन की उँगलियाँ पकड़कर दबा दीं ,जैसे रोक रही हो पर पकड़ ढीली थी।

नीचे से अचानक दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई।दोनों के दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं।राधा ने फटाफट पल्लू ठीक किया और अर्जुन से फुसफुसाई – " अब भाग जा अभी नहीं "

अर्जुन ने बेचैनी से कहा – " भाभी ऐसे बीच में मत रोको।" राधा ने आँखों में डूबती नज़रें डालते हुए कहा – " अगर हिम्मत है तो आज रात छत पर आना।वहाँ कोई देखेगा भी नहीं और मैं भी छुपकर इंतज़ार करूँगी।"

Twist / Emotional

अर्जुन का पूरा जिस्म सिहर उठा।राधा के शब्दों में डर भी था और वासना भी।अब उसकी बेचैनी हद से ज़्यादा बढ़ चुकी थी।दिन भर बस एक ही सवाल उसके दिमाग में गूंजता रहा – " क्या वो सच में रात को छत पर आएगी और अगर आई तो क्या होगा ?"

रात का सन्नाटा गाँव में धीरे – धीरे छा गया था।दूर कहीं कुत्ते भौंक रहे थे और बीच – बीच में झींगुरों की आवाज़ गूंज रही थी।अर्जुन का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था।दिन भर राधा के शब्द उसके कानों में गूंजते रहे थे – " अगर हिम्मत है तो आज रात छत पर आना।"

करीब ग्यारह बजे अर्जुन धीरे – धीरे सीढ़ियाँ चढ़ने लगा।हर कदम के साथ उसके पाँव काँप रहे थे ,मगर भीतर आग लगी थी।छत पर हल्की चाँदनी फैली हुई थी।चारों तरफ़ सन्नाटा।हवा में भीनी – सी खुशबू थी।

अर्जुन ने नज़र दौड़ाई – टंकी के पास वही गुलाबी साड़ी ,वही मोहक देह राधा पहले से वहाँ खड़ी थी।उसका चेहरा चाँदनी में और भी निखर रहा था।

" सोचा तू आएगा ही नहीं " राधा ने धीमे से कहा ,आँखों में शरारत और हल्की झिझक लिए।

अर्जुन उसकी ओर बढ़ा।उसका गला सूख रहा था।" भाभी दिन भर चैन नहीं मिला बस यही सोच रहा था कि सच में आओगी या नहीं।"

राधा ने मुस्कराकर पल्लू सँभाला ,लेकिन जानबूझकर आधा सीना खुला ही छोड़ दिया।उसकी साँसें तेज़ थीं।" पागल ये सब सही नहीं है।पर तूने मुझे भी बेक़ाबू कर दिया है।"

अर्जुन ने काँपते हाथों से उसका हाथ पकड़ा।इस बार राधा ने छुड़ाया नहीं।बल्कि पास खींचकर फुसफुसाई – " ध्यान रखना नींद से कोई जाग गया तो बर्बादी हो जाएगी।"

दोनों अब एक – दूसरे के बिल्कुल करीब थे।अर्जुन ने पहली बार उसके चेहरे को अपनी उँगलियों से छुआ।राधा ने आँखें बंद कर लीं।उसकी पलकें काँप रही थीं ,होंठ हल्के खुले हुए थे।

अर्जुन ने धीरे से उसके गाल को सहलाया ,फिर ठोड़ी पकड़कर चेहरा ऊपर किया।उसकी नज़रें सीधे राधा की आँखों से टकराईं।कुछ पल दोनों वहीं जमे रहे ,जैसे समय ठहर गया हो।

" भाभी " अर्जुन ने धीमे से कहा , " आज रोक मत लेना।"

राधा ने होंठ काटते हुए बस इतना कहा – " अगर आगे बढ़ा तो फिर वापिस मुड़ना मुश्किल होगा।"

अर्जुन ने जवाब नहीं दिया ,बस अपनी नाक से उसकी नाक को छुआ।राधा का जिस्म कांप उठा।उसकी देह अर्जुन की छाती से सट गई।अर्जुन ने पहली बार उसके बालों में उँगलियाँ फेरीं और हल्के से उसके होंठों पर होंठ रख दिए।

राधा ने पहले झिझक दिखाई ,लेकिन अगले ही पल उसने भीगते होंठों से जवाब दिया।दोनों के होंठ धीरे – धीरे मिलते रहे ,जैसे बरसों की भूख बाहर आ रही हो।

राधा की साँसें टूटने लगीं।उसने अर्जुन की शर्ट पकड़कर कसकर खींचा।बीच – बीच में फुसफुसा रही थी – " बस धीरे कोई आवाज़ न हो "

अर्जुन ने उसकी कमर पकड़कर और पास खींचा।राधा का पूरा जिस्म गर्म था ,काँप रहा था।

Twist / Emotional

राधा अचानक पीछे हट गई और जोर से हाँफते हुए बोली – " नहीं अभी नहीं अगर आज हमने सब कर लिया तो अगली रातें कैसे जिएँगे ?"

अर्जुन हैरान रह गया।उसकी हालत पागलों जैसी थी।उसने कहा – " भाभी ,मैं अब रुक नहीं सकता "

राधा ने उँगली उसके होंठों पर रख दी।" सब्र रख ये आग एकदम से बुझाई तो मज़ा नहीं आएगा।कल रात फिर यहीं मैं और तू और भी आगे।"

उसकी आँखों में चुनौती और लालसा दोनों थीं।अर्जुन का दिल और बेचैन हो उठा।

अगली रात अर्जुन फिर बेचैन था।पूरे दिन खेत में काम करने का मन ही नहीं लग रहा था।हर पल बस राधा का चेहरा ,उसकी भीगी आँखें और वो चाँदनी वाली छुअन याद आती रही।

रात होते ही वो फिर दबे पाँव छत पर पहुँचा।हवा हल्की ठंडी थी ,लेकिन उसके जिस्म में आग लगी थी।टंकी के पास पहुँचते ही उसने देखा – राधा पहले से वहाँ खड़ी थी।इस बार उसने हरे रंग की पतली नाइटी पहन रखी थी ,जिसके अंदर का हर curve साफ़ दिख रहा था।

अर्जुन की नज़रें उस पर टिक गईं।राधा ने शरमाकर कहा – " इतनी देर कर दी तूने मैं तो सोच रही थी ,तू आज डर गया।"

अर्जुन ने उसके और पास जाकर कान में फुसफुसाया – " डर नहीं प्यास लगी है।बस तुझसे मिलने की।"

राधा हल्की – सी मुस्कराई और उसके सीने पर उँगली फेरते हुए बोली – " तो आज अपनी प्यास बुझाने आया है ?"

अर्जुन ने उसके गालों को पकड़कर धीरे से होंठों पर होंठ रख दिए।इस बार राधा ने कोई विरोध नहीं किया।बल्कि उसने खुद अपनी जीभ आगे बढ़ाकर उसका मुँह explore करना शुरू कर दिया।दोनों की साँसें तेज़ हो गईं ,जैसे बरसों की भूख एकदम से निकल रही हो।

राधा ने अर्जुन की पीठ में नाखून गड़ा दिए।बीच – बीच में दबे स्वर में कराह रही थी – " आह अर्जुन धीरे कोई सुन लेगा।"

अर्जुन ने उसकी कमर कसकर पकड़ ली और उसकी नाइटी को ऊपर सरकाने लगा।राधा ने उसे रोका नहीं ,बस आँखें बंद करके सिर पीछे टिका दिया।उसकी गर्दन पूरी तरह खुली थी।अर्जुन ने वहीं अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा।राधा की सिसकारियाँ हवा में घुलने लगीं।

" पागल ये सब ठीक नहीं है " राधा ने धीमे स्वर में कहा ,लेकिन उसकी साँसें बता रही थीं कि वो खुद चाह रही है।

अर्जुन ने उसके कान में फुसफुसाया – " ठीक – गलत का सोचना बंद कर बस इतना सोच कि हम दोनों को क्या चाहिए।"

राधा ने आँखें खोलकर उसकी ओर देखा।उस नज़र में अब न डर था ,न झिझक – बस भूख थी।उसने खुद अर्जुन का हाथ पकड़कर अपनी छाती पर रख दिया।अर्जुन की उँगलियाँ जैसे ही उसके उभरे हिस्से को दबाने लगीं ,राधा की कराह और गहरी हो गई।

Twist / Emotional

ठीक उसी पल नीचे आँगन में दरवाज़ा चरमराने की आवाज़ आई।दोनों एकदम चौंक गए।अर्जुन ने तुरंत राधा को टंकी के पीछे खींच लिया।दोनों के जिस्म पसीने से भीग रहे थे ,साँसें तेज़ थीं।

राधा ने हाँफते हुए अर्जुन के कान में कहा – " देखा यही डर है मुझे।अगर कोई ऊपर आ गया तो ?"

अर्जुन ने उसकी कमर और कसकर पकड़ते हुए जवाब दिया – " जो होगा देखा जाएगा पर अब तू मुझसे दूर मत जा।"

राधा काँपते हुए बोली – " ठीक है पर आज बस इतना ही।कल कल रात मैं तुझे रोकूँगी नहीं।"

उसकी बात सुनकर अर्जुन की आँखों में चमक आ गई।वो जानता था कि कल रात उनकी सारी हदें टूटने वाली हैं।

अगली रात अर्जुन का दिल धड़क रहा था।दिन भर उसने राधा की बात याद रखी थी – " कल रात मैं तुझे रोकूँगी नहीं " यही सोचकर उसके शरीर में बिजली – सी दौड़ती रही।

ज्यों ही चाँद ऊपर निकला ,अर्जुन फिर से छत की तरफ दबे पाँव बढ़ा।टंकी के पास पहुँचते ही उसने देखा – राधा पहले से खड़ी थी।इस बार उसने पतली सफेद साड़ी पहनी थी ,बिना ब्लाउज के ,बस साड़ी का पल्ला ढीला – सा डाला हुआ।हल्की हवा से उसका शरीर और भी साफ़ झलक रहा था।

राधा ने मुस्कराकर कहा – " आज बहुत देर कर दी मैं तो कब से इंतज़ार कर रही थी।"

अर्जुन ने उसके पास जाते ही उसके गाल पकड़ लिए – " आज तुझे अकेला नहीं छोड़ूँगा।"

राधा की साँसें तेज़ हो गईं।उसने खुद अर्जुन की उँगलियाँ पकड़कर अपने सीने पर रख दीं।अर्जुन ने धीरे – धीरे दबाना शुरू किया।राधा की आँखें बंद हो गईं ,होंठ से हल्की कराह निकल गई।

" आह्ह अर्जुन धीरे "

अर्जुन ने उसके कान में फुसफुसाया – " आज कोई ' धीरे ' नहीं आज सबकुछ होगा।"

राधा ने आँखें खोलकर उसे देखा ,फिर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।इस बार चुम्बन लंबा और गहरा था।दोनों की जीभें आपस में बेतहाशा खेल रही थीं।अर्जुन ने उसका पल्ला एक झटके में गिरा दिया।राधा का शरीर चाँदनी में पूरा उजागर हो गया।

उसकी गोरी छाती को देखते ही अर्जुन का कलेजा फट पड़ा।उसने तुरंत अपने होंठ वहीं रख दिए।राधा सिसकारियाँ भरने लगी – " आह मत कर अर्जुन कोई देख लेगा "

लेकिन उसकी कमर अर्जुन की पकड़ से और कसती जा रही थी।वो खुद भी उसके सिर को कसकर अपनी छाती में दबा रही थी।

Twist / Emotional

राधा के होंठ काँप रहे थे।उसने धीरे से कहा – " पता है ,ये सब गलत है पर तेरे बिना अब चैन नहीं मिलता।"

अर्जुन ने उसकी आँखों में देखते हुए जवाब दिया – " तो फिर इसे गलत मत समझ।हमारी चाहत सच्ची है।"

दोनों के जिस्म अब पूरी तरह पिघल चुके थे।अर्जुन ने राधा की साड़ी पूरी तरह उतार दी।वो अब बिल्कुल नग्न थी ,बस चाँदनी में चमक रही थी।उसकी साँसें इतनी भारी हो चुकी थीं कि जैसे बरसों से दबा ज्वालामुखी फटने वाला हो।

राधा ने काँपते हाथों से अर्जुन का धोती का गाँठ खोल दी।अर्जुन का शरीर भी अब बेकाबू था।

राधा ने फुसफुसाकर कहा – " आज रोकना मत मैं सबकुछ चाहती हूँ।"

राधा अब पूरी तरह नंगी ,चाँदनी में चमक रही थी।उसकी साँसें धौंकनी की तरह चल रही थीं।अर्जुन ने उसका हाथ पकड़कर उसे टंकी के सहारे टिकाया।उसकी आँखों में अब कोई डर नहीं था ,बस जलती हुई प्यास थी।

अर्जुन ने उसके होंठों से गर्दन तक किस की बारिश कर दी।राधा कराह उठी – " ओह्ह अर्जुन हाँ और "

उसकी छाती पर अर्जुन के होंठ थिरकने लगे।वो दोनों हाथों से अर्जुन के बालों को कसकर दबा रही थी।

" तू पागल कर देगा मुझे " राधा की आवाज़ काँप रही थी।

Climax

अर्जुन ने खुद को और नहीं रोका।उसने अपने कपड़े उतार दिए।अब दोनों के बीच कोई परदा नहीं था।

राधा की आँखें चौड़ी हो गईं – " इतना बड़ा अर्जुन तू मुझे फाड़ देगा।"

अर्जुन ने मुस्कराकर उसकी कमर पकड़ ली और धीरे – धीरे उसके अंदर उतर गया।" आह्ह्ह " राधा चीख उठी लेकिन उसका शरीर उसी पल अर्जुन को कसकर जकड़ चुका था।

पहला झटका उसके लिए आग की तरह था।लेकिन जैसे – जैसे अर्जुन गहराई में उतरता गया ,उसका डर कराह में बदल गया।" हाँ हाँ अर्जुन और जोर से ओह्ह "

छत की हवा में अब उनकी सिसकारियाँ और जिस्मों की टकराहट गूँज रही थी।

राधा ने उसकी कमर जकड़ते हुए खुद को और धकेला – " और अंदर पूरा डाल "

अर्जुन ने उसे उठाकर टंकी के सहारे खड़ा कर दिया और पीछे से पकड़ लिया।" आह्ह आह हाँ ओह्ह माँ मार डाल मुझे अर्जुन "

अब वो पूरी तरह बहक चुकी थी।उसका शरीर थरथरा रहा था ,उसकी चीखें गूँज रही थीं ,और अर्जुन लगातार उसकी प्यास बुझा रहा था।

कुछ ही मिनटों में दोनों का बदन पसीने से भीग गया।अर्जुन ने आखिरी बार जोर का धक्का मारा और दोनों एक साथ सिसकते हुए फट पड़े।

" आह्ह्ह्ह "

Twist / Emotional

चाँदनी में दोनों थककर वहीं गिर पड़े।राधा का सीना धड़क रहा था।उसने काँपते हुए अर्जुन के गाल पर हाथ फेरा – " आज तूने मुझे मेरी ही हदों से बाहर निकाल दिया "

अर्जुन ने उसके होंठ चूम लिए और बोला – " ये तो बस शुरुआत है अब मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा।"

राधा ने शरमाकर आँखें बंद कर लीं ,लेकिन उसके चेहरे पर एक संतोष और चमक थी – जैसे बरसों से दबा हुआ राज़ अब खुल चुका हो।

Hook / Next Part Teaser

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती।सुबह जब मोहल्ले की औरतें टंकी पर पानी भरने आईं तब उन्हें कुछ अजीब निशान दिखे – गीली साड़ी का टुकड़ा और बिखरी हुई चूड़ियाँ।

अब सवाल ये है – क्या उनका राज़ खुलेगा ?क्या पड़ोस वाले दोनों को पकड़ लेंगे ?या फिर ये गुप्त मिलन और भी खतरनाक मोड़ लेगा ?

अगली कहानी में इसी पड़ोसन – अर्जुन की वासना का अगला रूप देखने को मिलेगा।

 


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