गर्मी भरे अंगन का राज़ – देवर – भाभी का गुप्त खेल
शॉर्ट टीज़र
गांव के अंधेरे आंगन में भाभी का गीला दुपट्टा फिसला ,और देवर की उंगलियां उसके नर्म स्तनों से टकरा गईं।सांसें तेज़ ,दिल धड़कता ,मगर पीछे से आ रही चप्पल की आहट ने उन्हें अधूरा छोड़ दिया।पर अब उनकी वासना की आग बुझने वाली नहीं थी।
कैरेक्टर डिटेल
भाभी (25 साल ):गोरी ,भरे हुए स्तन और गोल चुट्टाद ,नयी – नयी शादी हुई ;उसके होंठों में हमेशा हल्की मुस्कान और आंखों में छुपी वासना।अंदर से छेड़छाड़ की भूखी ,मगर दिखावे में शरमाती।
देवर (21 साल ):लंबा – पतला ,गांव की कसरती बॉडी ,आंखों में नटखट चमक।भाभी के निप्पल और चूत की कल्पना में ही रातें गीली कर लेता है।
ससुर (50 साल ):कहानी का खतरा – उसकी खटपट हर बार देवर – भाभी के intimate लम्हों को और रोमांचक बना देती है।
प्लॉट / सेटिंग
गांव का कच्चा घर ,आंगन में तुलसी का चौरा और आसपास फैला अंधेरा।बाहर मेंढ़क टर्राते ,दूर कहीं गाड़ियों की रोशनी ,मगर भीतर का माहौल सिर्फ भाभी – देवर की छुपी वासना और forbidden सेक्स का खिंचाव ।
कहानी की शुरुआत (Foreplay Build-up)
भाभी झुककर बाल्टी उठाने लगी तो उसका गीला ब्लाउज तनकर उसकी चूचियों को बाहर उभारने लगा।देवर वही खड़ा उसकी हर हरकत को आंखों से चाट रहा था।
भाभी ने सिर घुमा कर धीमे से कहा ," क्यों रीझ – रीझ के घूरता है किसी ने देख लिया तो ?"
देवर मुस्कुराया ,आंखों में भूख लिए बोला ," देखे भी तो क्या सब जानेंगे कि भाभी कितनी नटखट है।"
उसकी बात सुनकर भाभी का चेहरा लाल हुआ ,मगर होंठ दबाकर हंसी रोक ली।
देवर धीरे – धीरे पास आया।उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और भाभी के भीगे दुपट्टे को पकड़ लिया।जैसे ही दुपट्टा खींचा ,उसकी गांड का गोल हिस्सा और भरे स्तन देवर की आंखों में छप गए।
भाभी हल्की सी कराह उठी ," मत कर पगले दिल और तेज़ धड़क रहा है।"
देवर ने उसका हाथ पकड़कर दीवार से सटा दिया।" भाभी ,तेरे होंठों का खेल तेरे स्तन का कसाव मैं अब और सह नहीं सकता।"
भाभी की सांसें गरम हो चुकी थीं।उसने हल्की सी कंपकंपी के साथ देवर की उंगलियों को अपने निप्पल तक जाने दिया।ज्यों ही उसकी उंगलियां निप्पल से टकराईं ,भाभी ने होंठ काट लिए और उसकी कराहते स्वर निकले।
" आह्ह धीरे कोई सुन लेगा।"
देवर ने उसके कान में फुसफुसाया ," तो कराह मत होंठों से मेरे होंठ दबा ले।"
भाभी हिचकिचाते हुए भी उसके होंठों पर झुकी।होंठों का खेल शुरू हुआ – नर्म चुंबन से लेकर हल्की चूसने की हरकत तक।उसकी जीभ देवर की जीभ से उलझी ,और पूरा शरीर जैसे पिघल गया।
देवर ने अपने हाथ नीचे खिसकाए ,उसकी चुट्टाद पर कसकर दबाव डाला।भाभी झटकी ,मगर उसकी आंखें बंद हो चुकी थीं।
" तेरे हाथ अहह बिल्कुल पागल कर देंगे मुझे।"
उनके बीच की गर्माहट बढ़ती जा रही थी।भाभी का दुपट्टा पूरी तरह ज़मीन पर था ,उसका ब्लाउज भिगोकर उसके निप्पल को साफ उभार रहा था।
देवर ने दबे स्वर में कहा ," भाभी ,आज इस अंधेरे में तेरी चूत की खुशबू मुझे खींच रही है।"
भाभी ने उसकी बात पर शरमाते हुए हल्का धक्का दिया ," सुन रुक अभी नहीं दीवार के पार ससुर जी सो रहे हैं।"
उसके शब्दों में डर था ,मगर आवाज़ में वासना का खिंचाव भी।
देवर ने उसके गालों को सहलाते हुए कहा ," डर मत मैं तुझे वैसे ही छेड़ूंगा जैसे तू चाहती है।"
उसने फिर से होंठों पर चुंबन जमाया और इस बार भाभी ने खुद अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी।उनकी सांसें मिलकर और भारी हो गईं।
भाभी की कराह अब और गहरी थी।उसके स्तनों को कस – कस कर मसलते हुए देवर ने कहा ," तेरे निप्पल सख्त हो गए हैं जैसे मुझे ही चूसने के लिए बने हों।"
भाभी ने आंखें बंद करके धीमे स्वर में कहा ," बस धीरे – धीरे तू मुझे पिघला रहा है।"
देवर के होंठ धीरे – धीरे भाभी के निप्पल की तरफ बढ़े।भाभी ने घबराकर उसकी छाती पर हाथ रख दिया।
" नहीं पगले ऐसे मत कर पाप लगेगा।"
देवर हंसा ,उसकी आंखों में आग थी।" भाभी ,तेरे इस पाप में ही तो मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी छुपी है।"
उसने भाभी के हाथ को हटाया और ब्लाउज के कपड़े से भीगे हुए निप्पल को होंठों से पकड़ लिया।
भाभी जोर से सिहर उठी ," आह्ह मत ओहह तू तो बिल्कुल जान ले रहा है।"
देवर ने जीभ से उसके निप्पल को गीला किया ,फिर हल्के से काट लिया।भाभी का बदन जैसे बिजली से झनझना गया।
उसकी सांसें टूटी – टूटी निकल रही थीं।" आह्ह धीरे मेरी चूचियाँ तो जल रही हैं।"
देवर एक – एक कर दोनों चूचियों को होंठों और जीभ से चूसता रहा।बीच – बीच में अपनी हथेलियों से उसकी गांड को कसकर दबाता।
भाभी ने झुककर उसके बाल पकड़ लिए ,उसकी कराहती आवाज़ और तेज़ हो गई।" तू मुझे पूरा पागल बना देगा ऐसी छेड़छाड़ तो मेरे पति ने भी नहीं की।"
देवर के कानों में ये शब्द आग भर गए।उसने अपने हाथ नीचे सरकाकर उसकी कमर के नीचे तक पहुंचा दिए।उसकी उंगलियां अब भाभी की चूत की ओर बढ़ रही थीं।
भाभी झटकी और उसके हाथ पकड़ लिए।" नहीं उधर नहीं बस इतना काफी है।"
देवर मुस्कुराया और उसकी आंखों में झांकते हुए बोला ," भाभी ,तेरी चूत से ही तो असली गर्माहट मिलेगी आज मुझे रोक मत।"
भाभी की आंखें शर्म से झुकी ,मगर शरीर की हालत गवाही दे रही थी कि उसकी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी है।
देवर ने धीरे – धीरे उसका पेट सहलाया और नीचे तक पहुंच गया।उंगलियां उसकी साड़ी के नीचे सरक गईं।
भाभी ने होंठ दबा लिए और कराहते हुए कहा ," आह्ह धीरे मेरी जान निकल जाएगी।"
उसकी चूत पर जैसे ही देवर की उंगलियां पहुंचीं ,उसने दबे स्वर में कहा ," भाभी ये गीलापन बता रहा है कि तू भी मुझे उतना ही चाहती है।"
भाभी ने आंखें बंद कर लीं और हल्की सी कराह निकाली।उसकी टांगें कांप रही थीं।
देवर ने उंगलियों से उसकी चूत पर हल्के से रगड़ लगाई।भाभी ने अपना सिर पीछे टिका लिया और होंठों को दांतों में दबा लिया।
" उफ्फ्फ बस मत छेड़ मेरी चूत तो पूरी भीग चुकी है।"
देवर ने कान में फुसफुसाया ," तो फिर मुझे चखने दे भाभी तेरी हर बूंद मेरी प्यास है।"
भाभी का दिल जोर – जोर से धड़क रहा था।उसकी आवाज़ कांप रही थी ,मगर वासना उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी।
देवर ने अचानक उसे अपनी गोद में खींच लिया।उसकी गांड उसकी जांघ पर कसकर टिक गई।भाभी का चेहरा उसके कंधे में छुप गया।
देवर ने उसके होंठ पकड़कर गहरा चुंबन लिया।जीभें फिर से उलझीं ,लार बहने लगी।भाभी कराहते हुए बोली ," ओहह तेरे होंठों का खेल मुझे और पिघला रहा है।"
उसकी आवाज़ में अब डर कम और वासना ज़्यादा थी।
देवर ने उसका ब्लाउज आधा खोल दिया था ,स्तन पूरी तरह उभार पर थे ,निप्पल गीले होकर चमक रहे थे।
भाभी ने एक हाथ से उसका चेहरा पकड़ा और फुसफुसाई ," रुक जा कोई आ गया तो सब खत्म हो जाएगा।"
उसी पल ,बाहर आंगन में बकरी की घंटी बजी।दोनों के दिल एक साथ धक – धक करने लगे।
भाभी ने घबराकर अपने स्तनों को ढका और बोली ," किसी ने देख लिया तो बर्बाद हो जाएंगे हम।"
देवर ने उसकी ठोड़ी पकड़कर ऊपर उठाया और बोला ," जो हो जाए अब मैं तुझे नहीं छोड़ूंगा।"
भाभी की आंखों में डर और वासना दोनों का तूफान था।
भाभी ने जल्दी – जल्दी ब्लाउज के हुक बंद करने की कोशिश की ,मगर हाथ कांप रहे थे।देवर ने उसके हाथ पकड़ लिए और फुसफुसाया ," डर मत भाभी बाहर कोई नहीं है ,सिर्फ मैं हूँ और तू।"
उसने धीरे से उसके होंठों पर चूमें जमा दिए।भाभी ने आंखें बंद कर लीं ,उसके होंठ अपने आप नरम होकर देवर की जीभ को रास्ता देने लगे।
" उफ्फ्फ मत कर मेरी हालत खराब हो रही है।" भाभी की कराहती आवाज़ कानों में रस घोल रही थी।
देवर ने उसकी साड़ी की प्लीट्स हटाते हुए कहा ," तू जितना रोकती है ,उतना ही मेरी वासना बढ़ जाती है।"
उसकी उंगलियां अब भाभी की जांघों के बीच जा पहुंचीं।हल्की सी रगड़ से ही भाभी की चूत से गर्माहट महसूस होने लगी।
भाभी ने उसकी कलाई पकड़ ली ," पगले मेरी चूत तो भीग ही चुकी है ऐसे छेड़छाड़ मत कर मेरा दम घुट रहा है।"
देवर हंसा और और ज़ोर से रगड़ लगाई।" तो फिर क्यों छुपा रही है अपनी नमी ये नमी तो सिर्फ मेरे लंड के लिए बनी है।"
भाभी शरम से चेहरा नीचे झुका चुकी थी ,मगर शरीर पूरी तरह उसके स्पर्श को स्वीकार कर रहा था।
उसने भाभी की चूचियों को दोनों हाथों से पकड़कर कस दिया।निप्पल उभर आए ,देवर ने जीभ फेरते हुए हल्के से काट लिया।भाभी ज़ोर से कराह उठी ," आह्ह धीरे मेरी चूचियाँ जल रही हैं।"
उसकी सांसें तेज़ हो चुकी थीं।देवर की हथेलियाँ अब उसकी गांड को दबा रही थीं।भाभी की Chuttad उसके हाथों में कस – कसकर फंस रही थी।
भाभी खुद को रोकने की कोशिश में बोली ," अगर कोई देख लेगा तो सब खत्म हो जाएगा छोड़ मुझे।"
देवर ने उसके कान में जीभ फेरते हुए कहा ," अगर कोई देख भी ले ,तो कह देंगे देवर – भाभी का प्यार है कौन रोक पाएगा हमें ?"
भाभी ने शर्म और डर से होंठ काट लिए।उसकी आंखों में आंसू थे ,मगर उन आंसुओं के पीछे छुपी वासना अब और खुलकर दिख रही थी।
देवर ने उसकी साड़ी और ऊपर खिसकाई।उसकी जांघें अब पूरी खुल चुकी थीं।उसने उंगलियों से उसकी चूत के ऊपर हल्के – हल्के दाब दिया।
भाभी हांफती हुई बोली ," उफ्फ्फ मेरी चूत में आग लग रही है तू तो मुझे जान से मार देगा।"
देवर ने अपनी एक उंगली धीरे – धीरे उसकी भीगी चूत के अंदर डाली।भाभी कांप गई और देवर की गर्दन में दांत गड़ा दिए।
" आह्ह ओहह मत तूने तो मुझे फाड़ डाला।"
देवर ने उंगली और गहराई तक धंसा दी।उसकी सांसें गर्म होकर भाभी की गर्दन पर पड़ रही थीं।भाभी पूरी तरह उसके सीने से चिपक चुकी थी।
उसकी चूत से आवाज़ें आने लगीं – चप – चप।भाभी का पूरा शरीर पसीने और वासना से तरबतर हो चुका था।
देवर ने उसके कान में कहा ," भाभी ,तेरी चूत का स्वाद लिए बिना मैं रुकूंगा नहीं।"
भाभी ने घबराकर उसकी ठोड़ी पकड़ ली ," नहीं उधर मत जा अगर तूने मुझे नीचे से चाटा तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं करूंगी।"
देवर मुस्कुराया और बोला ," तो फिर देख तेरे मना करने के बावजूद मैं तेरी चूत का हर कोना चाटूंगा।"
भाभी की आंखें फैल गईं।उसका दिल ज़ोर से धड़क रहा था।उसने हांफते हुए कहा ," ओह्ह अगर तूने ऐसा किया तो मैं अपने आपे में नहीं रहूंगी।"
देवर ने उसके पेट से नीचे की ओर अपने होंठ सरकाने शुरू कर दिए।भाभी दोनों हाथों से उसका सिर रोकने लगी ,मगर उसका शरीर अब और रोकने की हालत में नहीं था।
भाभी दोनों हाथों से उसका सिर ऊपर उठाने की कोशिश कर रही थी ," नहीं मत नीचे जा पगले ,वहां आग लगी है।"
देवर ने उसकी जांघों को कसकर पकड़ लिया और मुस्कराया ," बस यही तो बुझानी है भाभी तेरी चूत की आग।"
उसने अपना चेहरा भाभी की भीगी जांघों के बीच टिका दिया।गर्म सांसों ने भाभी की रूह तक को हिला दिया।
भाभी कांपते हुए बोली ," आह्ह पागल मेरी चूत पर ऐसे मत फूंक मार मेरी जान निकल जाएगी।"
देवर ने उसकी चूत की दरार पर जीभ फिरा दी।भाभी की कराहती आवाज़ अंगन की दीवारों से टकरा गई – " ओह्ह माँ मत उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ "
उसकी कमर अपने आप ऊपर उठ गई।चूत से निकली नमी देवर की जीभ को और भी फिसलन भरी कर रही थी।
" वाह भाभी तेरी चूत तो शहद से भी मीठी है।" देवर ने जीभ अंदर घुसाते हुए कहा।
भाभी ने अपनी उंगलियाँ उसके बालों में फंसा लीं ," आह्ह धीरे मत चाट ऐसे मेरी चूची तक खिंच रही है।"
देवर कभी उसकी चूत की नोक पर जीभ फेरता ,कभी अंदर तक धंसा देता।भाभी पागल होकर अपने होंठ काट रही थी ,उसके स्तन झटकों से उछल रहे थे।
भाभी कराहते हुए बोली ," तूने तो मेरी चूत को पागल कर दिया मेरी गांड तक सिहरन हो रही है।"
देवर ने एक हाथ से उसकी Chuttad दबाई और दूसरे हाथ से उसकी चूची मरोड़ दी।भाभी की कराहें और तेज़ हो गईं।
" आह्ह्ह छोड़ मेरा लंड नहीं है फिर भी तू मुझे ऐसे कस रहा है जैसे पहली बार हो रही हूँ।"
देवर ने हंसते हुए उसकी गांड पर थपकी मारी ," तेरी चूत इतनी भीगी है कि अभी मेरा लंड डाल दूं तो तू फिसल जाएगी।"
भाभी ने शर्म से उसकी ओर देखा ," नहीं अभी नहीं तू मुझे बरबाद कर देगा।"
उसके होंठ कांप रहे थे।देवर ने ऊपर आकर उसके होंठ पकड़ लिए और होंठों का खेल शुरू कर दिया।जीभें आपस में टकराने लगीं ,दोनों एक – दूसरे के मुंह में कराहें भर रहे थे।
भाभी की आवाज़ टूटी – टूटी सी निकली ," तेरी जीभ ने मेरी चूत को कस के खींच दिया है अब मैं खुद को नहीं रोक पाऊंगी।"
देवर ने उसकी गर्दन पर चूमें जमा दिए ,उसकी चूचियों को मरोड़ते हुए बोला ," तो रोक मत तेरे हर अंग को मैं intimate करूँगा जब तक तू टूट न जाए।"
भाभी की सांसें इतनी तेज़ हो चुकी थीं कि उसका सीना ऊपर – नीचे हो रहा था।उसकी चूत से अब लगातार चप – चप की आवाज़ आने लगी थी।
देवर फुसफुसाया ," बस अभी बस थोड़ा और फिर देख ,मैं तुझे कैसे भर दूंगा।"
भाभी ने उसकी आंखों में देखा और कराहते हुए बोली ," अगर तूने मुझे पूरा पा लिया तो मैं कभी तुझसे दूर नहीं रह पाऊंगी।"
भाभी का बदन पसीने से भीग चुका था ,मगर उसकी आँखों में अब रोकने की ताक़त नहीं बची थी।देवर ने उसके होंठ चूसते हुए धीरे – धीरे अपना लंड बाहर निकाला।मोटा ,गरम और धड़कता हुआ।
भाभी ने जैसे ही देखा ,उसकी साँस अटक गई।" हाय राम इतना बड़ा अगर ये मेरी चूत में घुसा तो मैं मर जाऊँगी।"
देवर मुस्कराया ," मरना नहीं भाभी बस तेरी चूत को जिंदा कर दूँगा।"
उसने अपना लंड पकड़कर धीरे – धीरे भाभी की चूत की दरार पर रखा।भाभी ने हड़बड़ाकर उसकी छाती पकड़ ली ," नहीं मत मेरी चूत फट जाएगी।"
मगर लंड की गर्मी ने उसकी चूत की गीलापन और बढ़ा दिया।देवर ने लंड को ऊपर से नीचे तक उसकी चूत पर रगड़ दिया।
भाभी की कराह हवा को चीर गई – " आह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ मेरी चूत जल गई आह्ह्ह्ह्ह "
चूत से निकली चप – चप की आवाज़ और लंड की फिसलन एक साथ गूंजने लगी।देवर हर बार लंड को उसके भगनासा पर अटकाकर दबाता ,फिर पूरे छेद तक नीचे सरकाता।
भाभी कराहते – कराहते पागल सी हो गई।उसके हाथ कभी देवर की पीठ नोचते ,कभी चादर मरोड़ते।
" ओह्ह्ह मत रगड़ ऐसे मेरी गांड तक सनसनाहट पहुँच रही है।"
देवर ने जानबूझकर और ज़ोर से झटका मारा।लंड की नोक उसकी चूत के दरवाज़े पर बार – बार धंसकर लौट आती।
भाभी हाँफते हुए बोली ," अगर ये अंदर चला गया तो उफ्फ्फ्फ मैं बर्बाद हो जाऊँगी।"
देवर उसके कान में गरम सांसें छोड़ते हुए बोला ," तू पहले ही बर्बाद हो चुकी है भाभी तेरी चूत खुद मेरे लंड को खींच रही है।"
भाभी काँपते हुए बोली ," आह्ह्ह सच में मेरी चूत खिंच रही है जैसे तेरा लंड अंदर माँग रही हो।"
देवर ने उसके स्तन कसकर दबाए ," तो माँगने दे मैं इसे तड़पाता रहूँगा जब तक तू खुद अपनी चूत से इसे पकड़कर अंदर न खींच ले।"
भाभी की कमर खुद – ब – खुद ऊपर उठ रही थी।उसकी चूत से इतनी चिपचिपी नमी निकल रही थी कि लंड फिसलते ही चप – चप की तेज़ आवाज़ आने लगी।
भाभी अब खुद बड़बड़ाने लगी ," हां हां और रगड़ उफ्फ्फ्फ मेरी चूत फट रही है मगर मज़ा आ रहा है ओह्ह माँ "
देवर ने उसकी गर्दन पर दाँत गड़ा दिए और नीचे उसकी गांड को कसकर दबाया।लंड बार – बार उसकी चूत की दरार पर धंसता ,और हर बार भाभी की चीख निकल जाती।
" ओह्ह्ह्ह तूने तो मुझे दीवानी कर दिया अब अगर तेरा लंड अंदर नहीं गया तो मैं मर जाऊँगी।"
देवर हंसते हुए बोला ," अभी नहीं भाभी अभी तुझे और तड़पना है जब तक तेरी चूत खुद चीख – चीखकर मुझसे भीख न माँगे।"
भाभी ने उसकी गर्दन पकड़कर दाँत से चबा लिया ," साला तंग मत कर डाल दे न मेरी चूत रो रही है तेरे लंड के लिए।"
देवर ने उसकी आँखों में गहराई से देखा ," अगली बार भाभी।उस दिन तेरा हर अंग मेरा हो जाएगा।"
भाभी कराहते हुए उसके सीने से लिपट गई ,उसकी चूत अब भी लंड पर चिपकी हुई फिसल रही थी ,मगर entry के बिना उसे और ज़्यादा पागल बना रही थी।
भाभी अब और नहीं सह पा रही थी।उसकी चूत लंड पर रगड़ – रगड़कर इतनी भीग चुकी थी कि हर धक्का उसे पागल बना रहा था।उसकी आँखें लाल ,होंठ काँपते ,और पूरे बदन पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं।
भाभी चीखते हुए बोली – " बस ssss अब और नहीं डाल दे मेरी चूत फट जाए चाहे डाल दे तेरा लंड "
देवर ने उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़ ली।लंड की नोक चूत के दरवाज़े पर रखकर उसने ज़ोर का धक्का मारा।
भाभी की चीख पूरे कमरे में गूंज गई – " आआआआआह्ह्ह्ह्ह मेरी चूत फट गई उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ "
उसकी आँखें पलट गईं ,शरीर काँप उठा ,और चूत की तंग पकड़ में देवर का मोटा लंड धीरे – धीरे धँसता चला गया।भाभी के नाखून उसकी पीठ में गड़े हुए थे।
" ओह्ह माँ तेरे लंड ने तो मेरी जान निकाल दी उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ "
देवर ने पूरी ताक़त लगाकर एक और झटका मारा और लंड पूरा अंदर धँसा दिया।भाभी का बदन झटके से कांप उठा ,उसकी गांड चादर पर थरथरा गई।
" उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ अब मज़ा आ रहा है मेरी चूत भर गई पूरा भर गई तेरे लंड से "
देवर उसकी चूत की कसावट में पागल हो गया।उसने तेज़ी से झटके मारने शुरू कर दिए।
चप – चप – चप – चप की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी।भाभी की कराहें – " हां हां और मार मेरी चूत फाड़ दे गहराई तक मार उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ "
देवर हर धक्के के साथ उसके स्तन दबाता ,निप्पल मरोड़ता और होंठ चूस लेता।भाभी बार – बार उसका नाम चीखती ," ओह्ह्ह्ह्ह देवर तूने तो मुझे रंडी बना दिया मेरी चूत अब तेरे लंड के बिना जिंदा नहीं रहेगी "
देवर और ज़ोर से झटके मारते हुए बोला ," आज से तू मेरी है भाभी तेरी चूत ,तेरे स्तन ,तेरे होंठ सब मेरे हैं "
भाभी का बदन पागलों की तरह कांप रहा था।उसकी चूत से रस की धार बह रही थी ,और देवर का लंड लगातार फिसलते हुए अंदर बाहर हो रहा था।
" आआआआह्ह्ह्ह अब मैं मर जाऊँगी निकल रहा है ओह्ह माँ "
देवर ने उसकी कमर कसकर पकड़ी और आखिरी बार पूरी ताक़त से लंड धंसा दिया।भाभी चीखते हुए उसकी छाती से लिपट गई और जोर से काँपकर गिर पड़ी।
उसकी चूत देवर के लंड को कसकर जकड़े हुए थी।दोनोँ के बदन से पसीना टपक रहा था ,और कमरे में सिर्फ उनकी कराह और चप – चप की आवाज़ गूंज रही थी।
कुछ देर बाद भाभी ने हाँफते हुए उसके कान में फुसफुसाया – " अब मैं कभी तुझसे दूर नहीं रह पाऊँगी मेरी चूत तेरे बिना अधूरी है।"
देवर ने हंसकर उसके होंठों पर चुंबन जड़ दिया।" और मेरी ज़िंदगी तेरे बिना अधूरी है भाभी "
अगली कहानी का टीज़र
भाभी और देवर की चूत – लंड वाली गर्म रात के बाद अब प्यास और भी बढ़ चुकी है।
लेकिन असली खेल तो गाँव के खेतों और पगडंडियों में शुरू होगा – जहाँ आधी रात को छुपकर भाभी देवर से अपनी चूची और गांड मसलवाएगी ,झाड़ियों के पीछे होंठों का खेल चलेगा ,और कहीं न कहीं ,कोई गाँव वाला चोरी – छिपे देख भी लेगा ।
क्या उनका ये राज़ बाहर आ जाएगा ? या भाभी की वासना और लालच उन्हें और गहरे सेक्स में खींच ले जाएगी ?