मंदिर के रास्ते पहली छेड़छाड़






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Title:"Mandir ke Raaste Bhookhi Bhabi ki Chupke Masti"

Short Teaser

गाँव के सुनसान रास्ते पर मंदिर की ओर जाते हुए ,देवर – भाभी के बीच छुपी वासना पहली बार खुलकर आँखों और छूने के बहाने से बहने लगती है

Character Detail

भाभी (Rekha, 29 saal)

गेहुँआ निखरी त्वचा ,चौड़ी कमर ,भरे – भरे स्तन।

पसीने में गीली साड़ी से झलकते curves,आँखों में दबा हुआ खिंचाव।

पति बाहर काम करता है , sharirik bhookh दबा नहीं पाती।

देवर (Ravi, 23 saal)

खेतों में तपे बदन वाला जवान ,लंबे हाथ – पाँव और मजबूत छाती।

भाभी के नखरों और होंठों का खेल देख – देखकर तरसता रहता।

मन में हमेशा छुपी चाहत कि Rekha की चूची और चूत की गर्माहट पास से महसूस कर सके।

Plot / Setting

शाम का समय था।गाँव की गलियों से होकर दोनों मंदिर की ओर निकलते हैं।हवा में हल्की ठंडक थी पर रास्ता सुनसान और खेतों की मेड़ से घिरा हुआ।Rekha की ढीली साड़ी और Ravi की नज़रें – दोनों में नटखट खिंचाव का खेल शुरू हो चुका था।

कहानी (Foreplay / Build-up)

" रवि ,धीरे चल मेरी साड़ी बार – बार फँस रही है ," Rekha ने मुस्कराकर कहा।

रवि ने नजरें झुका कर देखा ,भाभी का पल्लू बार – बार कमर से खिसकता और उनकी भरी चूची का आधा हिस्सा झलक जाता।उसके होंठ सूखने लगे।

" भाभी ,मैं पकड़ लूँ क्या ताकि आपका पल्लू बार – बार ना गिरे ?" रवि ने धीमे सुर में कहा।

Rekha ने बस हल्की सी हँसी दी , " अरे पगले ,मंदिर जा रहे हैं हम " लेकिन उसके होंठों की मद्धम मुस्कान और आँखों की चमक साफ कह रही थी कि उसे ये छेड़छाड़ अच्छी लग रही है।

रास्ते में अचानक उसका पाँव फिसला और Ravi ने तुरंत उसकी कमर कसकर पकड़ ली।Rekha की पीठ उसके सीने से सट गई।दोनों की साँसे टकराईं

" छोड़ो मुझे कोई देख लेगा ," उसने धीमे स्वर में कहा ,मगर Ravi का हाथ उसकी कमर के अंदर तक दबा रह गया।

उस पल में Ravi ने उसकी गांड की गोलाई महसूस कर ली।Rekha काँप गई ,जैसे उसकी चूत के भीतर तक कोई बिजली दौड़ गई हो।

चलते – चलते Ravi ने झुककर कहा ," भाभी ये निप्पल क्यों ऐसे कस के बाहर निकले हैं ?हवा की ठंडक से या मेरी पकड़ से ?"

Rekha का चेहरा लाल हो गया ,उसने पल्लू सीने पर दबा लिया और गुस्से का नाटक करते हुए बोली ," चुप कर बदमाश मंदिर जा रहे हैं ,भगवान का नाम लो।"

लेकिन उसकी कराहती साँसें और कसकर दबाई चूची साफ बता रही थी कि अंदर वासना की आग जल रही है।

गाँव की गली में दो बूढ़ी औरतें सामने से आती दिखीं।Rekha ने Ravi का हाथ झटककर अलग किया और तुरंत साड़ी ठीक करने लगी।Ravi मुस्कराया -" भाभी ,डरिए मत कोई नहीं समझेगा कि आपकी चूची मेरे हाथों में अभी भी कस रही है।"

Rekha ने उसे आँखें तरेरकर देखा ,मगर होंठों की काँपती मुस्कान ने सब खोल दिया।

मंदिर का बड़ा पीपल का पेड़ पास आया।दोनों रुके।Rekha ने हल्के से पसीना पोंछा और Ravi की तरफ नजर चुराकर देखा।Ravi आगे झुककर उसके कान में बोला ," भाभी ,एक चुंबन दूँ तो ?बस होंठों का खेल भगवान के सामने नहीं ,इस पेड़ के नीचे।"

Rekha की देह सिहर गई।उसके होंठ काँपते हुए खुले ,लेकिन शब्द नहीं निकले।

उस पल में उसकी आँखों ने इशारा कर दिया – " कर लेकिन धीरे " ।

Ravi ने हल्के से उसके होंठ छू लिए।Rekha ने आँखें बंद कर लीं और पहली बार उसकी गर्माहट में खुद को बहने दिया।

उसके बाद Rekha का सिर उसके सीने पर टिक गया ,और Ravi की उंगलियाँ धीरे – धीरे उसकी पीठ से होते हुए चूत की ओर खिसकने लगीं।

Twist / Emotional

Rekha के होंठों से धीमी कराह निकली लेकिन तभी मंदिर का घंटा बजा।वो झटके से अलग हो गई – " रवि नहीं अब रुक जा।अंदर लोग होंगे।"

Ravi ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा – " भाभी आज बस छेड़छाड़ ,पर अगली बार मैं आपकी पूरी गर्माहट चखूँगा।"

Rekha काँप उठी डर और वासना दोनों उसके चेहरे पर साफ झलक रहे थे।

Rekha ने तुरंत अपना पल्लू ठीक किया और सीढ़ियाँ चढ़ने लगी।Ravi उसकी चाल देखता रहा – हर कदम पर उसकी गांड का कसाव साड़ी के नीचे से हिलता था।उसकी आँखों में भूख और भी गहरी हो गई।

मंदिर के आँगन में थोड़े लोग थे।कुछ औरतें दिया – बाती कर रही थीं।Rekha ने हाथ जोड़कर भगवान को प्रणाम किया और नज़रें झुका लीं।Ravi उसके बिल्कुल पास खड़ा होकर धीरे से बोला –

" भाभी ,भगवान तो मन की बात जानते हैं जो हमारी चूत और दिल में जल रही है ,वो भी।"

Rekha ने चौंककर उसे घूरा , " बेवकूफ ये जगह ऐसी बातें करने की है ?" लेकिन उसके गाल लाल हो गए थे ,और नज़रें काँप रही थीं।

आरती खत्म होते ही दोनों बाहर निकले।अँधेरा गहरा चुका था ,गलियों में सन्नाटा था।अब रास्ता सुनसान था।

Ravi ने चलते – चलते धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया।Rekha ने छूटाने की कोशिश की ,लेकिन इस बार Ravi ने कसकर पकड़ लिया।" छोड़ो कोई देख लेगा।" " कोई नहीं है यहाँ बस मैं और आप।"

उसके शब्दों में ऐसा कसाव था कि Rekha रुक गई।Ravi उसके और करीब आ गया।उसके हाथ उसकी पीठ से होते हुए धीरे – धीरे चूची पर टिक गए।

Rekha हाँफी और फुसफुसाई – "Ravi यहाँ नहीं मेरी चूत गीली हो रही है रोक लो खुद को।"

Ravi ने उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए।गीला चुंबन उसकी गरदन से उतरकर ब्लाउज की गहराई तक चला गया।Rekha की कराह निकल गई।" म्म्म्म नहीं बस इतना पास मत आओ।"

लेकिन उसके हाथ Ravi की कमर पकड़ चुके थे ,जैसे वो खुद उसे कसकर रोकना चाहती हो।

Ravi ने उसकी चूची को कसकर दबाया ,निप्पल ब्लाउज के कपड़े में और भी टाइट हो गया।" भाभी ये निप्पल कह रहे हैं कि मुझे छोड़ना मत।"

Rekha ने आँखें बंद कर लीं और होंठ काट लिए।उसकी देह में एक नटखट लहर दौड़ रही थी।

Ravi झुककर उसके होंठ चूमने लगा।Rekha ने पहली बार अपने होंठ ढीले छोड़ दिए।होंठों का खेल शुरू हो गया – कभी दाँतों से काटना ,कभी जीभ से चूमना।

Rekha की कराहें अब खुलकर गूँजने लगीं।" आह्ह्ह Ravi मेरी चूत जल रही है तुझे पता है तू क्या कर रहा है ?"

Ravi ने मुस्कराकर कहा ," भाभी ,ये वासना दबाने की चीज़ नहीं आज मंदिर के रास्ते तेरे होंठ और मेरी भूख एक होनी ही थी।"

Rekha हाँफते हुए बोली – " पर अगर किसी ने देख लिया तो ?" " देखेगा तो सोचेगा कि भाभी – देवर बस आरती से लौट रहे हैं पर असली आरती तो यहाँ जल रही है।"

इतना कहकर Ravi ने उसकी गांड पर जोर से हाथ मारा।Rekha हड़बड़ा गई , " पागल ये कैसी छेड़छाड़ है !" " अभी तो बस शुरुआत है भाभी तेरी गांड का कसाव बताता है कि तू भी मेरे लंड की गर्माहट चाहती है।"

Rekha ने पलटकर उसे गुस्से में देखा ,पर उसकी आँखों में लहराती वासना साफ दिख रही थी।उसने Ravi के होंठ दबाकर फिर से चुंबन कर लिया ,जैसे मान चुकी हो कि अब रुकना नामुमकिन है।

उनकी साँसे एक – दूसरे में गुम हो गईं।रात का अँधेरा ,सुनसान गली और देवर – भाभी की जलती हुई चूत और लंड की भूख

Twist / Emotional

अचानक दूर से लालटेन की हल्की रोशनी दिखाई दी – कोई गाँव वाला आ रहा था।Rekha घबराकर अलग हो गई।"Ravi बस !आज नहीं वरना बर्बाद हो जाऊँगी।"

Ravi मुस्कराकर बोला – " भाभी ,तू जितना डर रही है उतनी ही मेरी चूची कस रही है।अगली बार मैं तुझे रोकने वाला नहीं।"

Rekha काँपती साँसों में बोली – " फिर अगली बार कहाँ मिलेंगे ?"

Ravi की आँखों में चमक थी।उसने धीरे से कहा – " भाभी ,पिछवाड़े वाला बगीचा जहाँ आम के पेड़ के नीचे कोई जाता ही नहीं।रात को वहीँ मिलते हैं।"

Rekha का दिल जोर – जोर से धड़क रहा था।उसने पल्लू से पसीना पोंछा और घबराते हुए बोली – " पागल अगर किसी ने देख लिया तो ?"

Ravi उसके कान के बिलकुल पास झुककर बोला ," जो तेरी चूत अभी से गीली हो रही है ,उसे कोई देखेगा तो क्या करेगा ?बस सोचेगा , Rekha भाभी के भीतर कितनी वासना छुपी है।"

Rekha ने होंठ दबाए और तेज़ क़दमों से घर की ओर चलने लगी।उसके मन में डर भी था ,पर Ravi के लंड की याद से उसके निप्पल और भी कसते जा रहे थे।

घर पहुँचकर उसने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया।सास – ससुर सो चुके थे।Rekha ने चुपचाप अपने कमरे में जाकर साड़ी उतारी और आईने में खुद को देखा।उसकी चूची अभी भी लाल थी जहाँ Ravi ने दबाया था।होंठ सूजे हुए थे चुंबनों से।उसने अपनी उँगली हल्के से चूत पर रखी और कराह उठी – " आह्ह Ravi तूने क्या कर डाला "

उस रात वो बिस्तर पर करवटें बदलती रही ,हर पल उसका शरीर उसी बगीचे के ख्याल से तपता रहा।

अगले दिन

रात का अँधेरा गाँव पर उतर आया।चाँदनी फैली हुई थी।Ravi पहले से बगीचे में आम के पेड़ के नीचे खड़ा था।उसकी आँखों में नटखट चमक और बदन में अधूरी भूख थी।

Rekha धीरे – धीरे आई ,चारों तरफ़ देखा कि कोई देख तो नहीं रहा।उसने हल्के रंग की साड़ी पहनी थी ,बिना ब्लाउज के अंदर बस पतला सा कपड़ा।

Ravi ने उसे देखते ही बाँहों में भर लिया।" भाभी कल से तेरे होंठों का स्वाद मेरी जीभ पे चढ़ा हुआ है।"

Rekha ने उसकी छाती पर हल्की चोट मारी , " बड़े बदमाश हो गए हो पर आज ज़्यादा नहीं।"

Ravi ने हँसते हुए उसकी गांड को कसकर पकड़ा और बोला – " भाभी ,आज तेरी चूत की गर्माहट बिना छुए मैं चैन से नहीं सो सकता।"

उसने Rekha को पेड़ से सटाकर होंठों का खेल शुरू कर दिया।इस बार चुंबन और भी गहरे थे – जीभ से जीभ की लड़ाई ,होंठों को चूसना ,दाँतों से काटना।Rekha कराह उठी – " म्म्म बस धीरे कहीं आवाज़ न निकल जाए।"

Ravi के हाथ उसकी चूची तक पहुँच चुके थे।उसने ब्लाउज के ऊपर से दबाया ,फिर अंदर घुसाकर निप्पल मरोड़ दिया।Rekha का बदन झटके से काँप उठा।" आह्ह्ह Ravi मत कर मेरी चूची फट जाएगी "

लेकिन उसकी कराह में मना करने का दम नहीं था।

Ravi ने एक हाथ से उसके स्तन को कसकर पकड़ा और दूसरे हाथ से साड़ी की प्लेटें उठाने लगा।अब उसकी उँगलियाँ धीरे – धीरे चूत के ऊपर रगड़ने लगीं।कपड़े के ऊपर से ही नमी साफ महसूस हो रही थी।

" भाभी तेरी चूत तो पहले से भीगी हुई है।" Rekha ने शर्म से चेहरा छुपा लिया और हाँफते हुए बोली – " तूने कल से मुझे सोने नहीं दिया हर वक़्त तेरे होंठ ,तेरी छेड़छाड़ याद आती रही।"

Ravi मुस्कराया , " तो फिर आज मुझे मत रोक तेरी गांड का कसाव और चूत की गर्माहट मैं रोक नहीं सकता।"

Twist / Emotional

अचानक दूर कहीं से कुत्ते भौंकने लगे।Rekha डर से Ravi से अलग हो गई।" कोई आ तो नहीं गया ?" उसने घबराकर चारों तरफ़ देखा।

Ravi ने उसे बाँहों में दबाकर कहा – " डर मत ,भाभी ये गाँव की रात हमारी गवाह है।लेकिन याद रखना ,अगली बार सिर्फ़ छेड़छाड़ नहीं होगी अगली बार मेरा लंड तेरी चूत में होगा।"

Rekha का बदन सिहर उठा।उसने आँखें झुका लीं और धीमे स्वर में कहा – " तो फिर मुझे रोकना मत।"

Ravi के कानों में वो शब्द गूँज रहे थे – " मुझे रोकना मत।" उसकी आँखों में भूख और भी तेज़ हो गई।उसने Rekha को और कसकर पेड़ से चिपका लिया।

" भाभी तेरे होंठों ने आज इजाज़त दे दी है अब मेरी चूची और चूत पे भी हक़ देने का वक़्त आ गया है।"

Rekha हाँफती हुई उसकी आँखों में देख रही थी।डर और वासना का अजीब मेल उसके चेहरे पर था।उसके होंठ काँपते हुए खुद Ravi के होंठों पर टिक गए।अब दोनों के बीच होंठों का खेल और गहरा हो गया – तेज़ चुंबन ,दाँतों से काटना ,जीभ से चूसना।

Rekha कराह रही थी – " म्म्म्म आह्ह Ravi तू पागल कर देगा मुझे।"

Ravi ने उसके स्तनों पर हाथ फेरते हुए ब्लाउज के हुक खोल दिए।एक झटके में भरी हुई चूची बाहर आ गईं।चाँदनी की रोशनी में वो कसकर उभरे हुए निप्पल Ravi को और पागल कर रहे थे।

उसने तुरंत झुककर निप्पल को मुँह में भर लिया।दाँतों से हल्का काटा और जीभ से चाटा।Rekha की कराहते हुए उँगलियाँ उसके बालों में उलझ गईं – " आह्ह्ह्ह मत ऐसे मत चूस मेरी चूची जल रही है "

पर उसकी कमर अपने आप Ravi की तरफ और कसकर दबती जा रही थी।

Ravi ने बारी – बारी से दोनों निप्पल चूसकर और भी सख़्त कर दिए।" भाभी तेरी चूची का स्वाद दूध से भी मीठा है।"

Rekha ने शर्म से आँखें बंद कर लीं ,पर उसके होंठों से कराह निकलती रही।

अब Ravi का हाथ धीरे – धीरे उसकी साड़ी के अंदर चला गया।पतले कपड़े के ऊपर से ही उसकी चूत की गीलापन महसूस हुआ।उसने उँगली से हल्के – हल्के दबाया।

Rekha काँप गई – " आह्ह्ह मत कर मेरी चूत तो पहले ही भीग चुकी है।"

Ravi ने मुस्कराकर फुसफुसाया – " तो फिर इसे और गीला कर देता हूँ।"

उसकी उँगलियाँ कपड़े हटाकर सीधे चूत की दरार पर पहुँच गईं।जैसे ही उसने हल्का सा रगड़ा , Rekha की पूरी देह झटके से पीछे जा लगी।" ओह्ह्ह भगवान Ravi ये पाप है "

Ravi ने उसका चेहरा पकड़कर होंठों पर दबा दिया – " ये पाप नहीं भाभी तेरी दबाई हुई वासना का इश्वर भी गवाह है।"

Rekha अब खुद भीगती चूत पर Ravi का हाथ दबाने लगी ,जैसे उसे और जोर से छुआ जाए।

Ravi ने एक उँगली धीरे – धीरे उसकी चूत में डाल दी।Rekha की कराह गूँज उठी – " आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह Ravi धीरे मेरी चूत फट जाएगी "

Ravi ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा – " अभी तो बस उँगली डाली है भाभी सोच ,जब मेरा पूरा लंड तेरे अंदर होगा तो तू कितनी जोर से कराहेगी।"

Rekha का चेहरा पसीने से भीग गया।उसने Ravi की कमर पकड़कर कस लिया – " चुप कर तू मेरी जान ले लेगा।"

उसकी चूत अब Ravi की उँगलियों पर फिसल रही थी।हर हल्की thrust पर उसकी गांड पेड़ से टकरा रही थी।

Rekha की साँसे टूट रही थीं ,कराहें रुक नहीं रही थीं – " म्म्म्म आह्ह्ह और मेरी चूत जल रही है "

Ravi ने उसके कान में फुसफुसाया – " बस थोड़ा और सब्र कर अगली बार ये उँगली नहीं ,मेरा लंड तेरी चूत के अंदर होगा।"

Twist / Emotional

अचानक पास के खेतों से बैलों की आवाज़ आई।Rekha ने झटके से Ravi का हाथ हटाया और साड़ी ठीक करने लगी।" बस अब और नहीं वरना पकड़ लिए गए तो बर्बाद हो जाऊँगी।"

Ravi ने उसके होंठों को आखिरी बार चूमते हुए कहा – " ठीक है भाभी आज बस छेड़छाड़।लेकिन याद रखना – अगली रात मैं तुझे अधूरा नहीं छोड़ूँगा।मेरा लंड तेरी चूत के अंदर होगा।"

Rekha ने काँपते हुए कहा – " तो फिर कल रात।वही बगीचा।तू मुझे रोकना मत।"

Ravi ने Rekha की आँखों में सीधा देखते हुए उसके होंठों पर अपनी जीभ फेर दी।Rekha काँप गई ,उसका बदन बर्फ जैसा ठंडा और आग जैसा गरम हो चुका था।

" भाभी तेरे होठों पे आज मेरी मर्जी चलेगी।" Ravi ने फुसफुसाते ही उसके होंठों को जोर से चूस लिया।

Rekha कराह उठी – " म्म्म्म आह्ह्ह Ravi ऐसे मत चूस मेरी साँसे टूट जाएँगी "

पर Ravi रुकने वाला नहीं था।उसने Rekha के होंठों को अपने दाँतों से हल्का – सा काटा और फिर जीभ से गहराई तक चाटने लगा।Rekha का बदन काँपते हुए उसकी बाँहों में ढीला पड़ गया।

अब Ravi का हाथ उसके गले से नीचे सरकता हुआ ब्लाउज तक जा पहुँचा।उसने फुसफुसाकर कहा – " भाभी तेरी छाती की गर्मी बाहर निकालनी पड़ेगी।"

Rekha हाँफते हुए बोली – " नहीं मत खोल कोई देख लेगा तो बर्बादी हो जाएगी "

पर अगले ही पल Ravi ने उसके ब्लाउज का हुक खोल दिया।भरी हुई चूची जैसे बाहर फूट पड़ीं।

Ravi ने जोर से पकड़कर कहा – " आह्ह्ह भाभी ,तेरी चूची तो जन्नत है।"

उसने निप्पल को मुँह में भर लिया।चूसते हुए आवाज़ें गूँजने लगीं – " चप चप झप झप " Rekha के मुँह से ज़ोरदार कराह निकली – " ओह्ह्ह्ह्ह मत चूस ऐसे मेरी चूची जल रही है "

उसकी कमर अपने आप Ravi की तरफ और दबती जा रही थी।

Ravi ने बारी – बारी से दोनों निप्पल चूसकर उन्हें पत्थर जैसा सख़्त कर दिया।" भाभी तेरे दूध का स्वाद मुझे पागल बना देगा।"

Rekha की आँखों में नशा उतर आया था।उसने खुद Ravi का सिर अपनी छाती पर और दबा दिया।" हाँ चूस जोर से चूस मेरी चूची फट रही है वासना से।"

अब Ravi का हाथ उसकी साड़ी के नीचे सरक गया।उसने पेंटी के ऊपर से ही Rekha की चूत पर हाथ रखा।गर्मी और गीलापन तुरंत उसकी उँगलियों तक पहुँच गया।

" भाभी तेरी चूत तो पहले ही नदी की तरह बह रही है।"

Rekha काँपते हुए सिसकारी भर गई – " आह्ह्ह मत छू मेरी चूत तो जल रही है अंदर से "

Ravi ने उसके कान में जोर से फुसफुसाया – " तेरी चूत का हर कतरा मैं पी जाऊँगा बस आज मुझे रोक मत।"

उसने पेंटी का कपड़ा हटाकर सीधे दरार पर उँगली फेरी।Rekha की देह झटके से पीछे हिल गई।" ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह Ravi ऐसे मत कर मैं बर्बाद हो जाऊँगी।"

पर उसका हाथ खुद Ravi की कलाई को दबाकर और अंदर खींच रहा था।

Ravi ने उसकी चूत पर गोल – गोल उँगली घुमाई।Rekha ने आँखें बंद कर दीं और होंठ काटने लगी।" म्म्म्म हाँ हाँ मेरी चूत फिसल रही है मत रुक ओह्ह्ह्ह।"

Ravi ने उसकी जाँघों को खोलकर और कसकर दबाया।" भाभी अभी तो बस teasing है अगली बार मेरी उँगली नहीं ,मेरा पूरा लंड तेरी चूत में घुसेगा।"

Rekha ने कराहते हुए उसकी गर्दन पकड़ ली – " चुप कर तू जान ले लेगा मेरी पर अभी मत रुक मेरी चूत जल रही है और दबा।"

उसकी कराहों की आवाज़ खेतों की खामोशी चीर रही थी।चाँदनी में भाभी की पसीने से भीगी हुई देह Ravi के लिए किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।

Ravi अब हर पल उसे और अधूरा छोड़ रहा था – निप्पलों को जोर से काटता ,होंठों को चूसकर छोड़ता ,चूत पर हाथ रखकर हटाता।

Rekha कराहती हुई बोली – "Ravi प्लीज़ अधूरी मत छोड़ मेरी चूत फट रही है इंतज़ार में "

Ravi हँसकर उसके कान में फुसफुसाया – " बस भाभी ये foreplay याद रख असली मज़ा अगली रात मिलेगा।"

Rekha अब पूरी तरह Ravi की बाँहों में पिघल चुकी थी।उसकी साँसें हाँफ रही थीं ,होंठ लाल और सूजे हुए ,और ब्लाउज आधा उतरा हुआ।

Ravi ने मुस्कुराते हुए कहा – " भाभी तेरे बदन का हर कोना आज चाटूँगा तुझे चूत से लेकर चुटकी तक पिघला दूँगा।"

Rekha ने आँखें झुकाते हुए होंठ काटे।" बेवड़ा तू मुझे पागल कर देगा "

Ravi घुटनों के बल बैठा और उसकी साड़ी को धीरे – धीरे ऊपर सरकाने लगा।उसकी गोरी – जाँघें चाँदनी में दूध जैसी चमक रही थीं।

" आह्ह्ह मत देख ऐसे मेरी जाँघें जलने लगीं तेरी नज़रों से ," Rekha शर्माते हुए बोली।

पर Ravi ने उसकी जाँघों पर मुँह रखकर चुंबन करना शुरू किया।हल्की – हल्की जीभ फेरते हुए बोला – " भाभी तेरी जाँघों का स्वाद मीठा है जैसे मलाई।"

Rekha के होंठों से कराह फूटी – " म्म्म्म आह्ह्ह्ह मत चाट इतने नीचे मेरी चूत भीग रही है "

Ravi और नटखट हो गया।उसने उसकी जाँघों को चौड़ा फैलाकर बीच के गीले कपड़े को अपनी नाक से छुआ।पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी।

" वाह्ह भाभी तेरी चूत तो बरसात में नदी जैसी बह रही है।"

Rekha कराह उठी – " ओह्ह्ह्ह प्लीज़ मत छेड़ मेरी चूत अब रोके नहीं रुक रही "

Ravi ने उसकी पेंटी का कपड़ा थोड़ा किनारे किया और अपनी जीभ सीधे दरार पर रख दी।" चप चप लप लप " आवाज़ें गूँजने लगीं।

Rekha ने उसका सिर पकड़कर दबा लिया।" हाँ वहीं चाट मेरी चूत फाड़ दे अपनी जीभ से आह्ह्ह्ह।"

उसकी कराहती आवाज़ पूरे खेत में फैल रही थी।Ravi ने उसकी चूत की नोक पर जीभ से बार – बार झटके दिए।Rekha की देह बिजली जैसी काँपने लगी।

" ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह मेरी चूत फट जाएगी और अंदर डाल उँगली "

Ravi ने हँसते हुए एक उँगली धीरे से उसकी गीली चूत में डाल दी।Rekha चीख उठी – " आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह मेरी चूत कस गई है मत रोक और अंदर डाल "

उसने खुद Ravi का हाथ पकड़कर उँगली और गहराई में धकेली।Ravi ने जोर से धकियाते हुए कहा – " भाभी तेरी चूत का कसाव मुझे अभी ही फाड़ देगा जरा सोच ,जब मेरा लंड घुसेगा तो कैसा लगेगा।"

Rekha कराह उठी – " म्म्म्म ओह्ह्ह्ह मत बोल ऐसे मैं पागल हो जाऊँगी तेरे लंड की सोच से "

अब Ravi ने दो उँगलियाँ अंदर डाल दीं और गोल – गोल घुमाने लगा।Rekha की कराहें और तेज़ हो गईं।" ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह मेरी चूत में आग लग गई और जोर से कर मत रुक "

उसकी जाँघें Ravi की कमर के चारों ओर कस गईं।Ravi ने बीच – बीच में उसके निप्पल भी चूसना शुरू कर दिया।" चूस मेरी चूची मत छोड़ मेरी चूत और जल रही है तेरी उँगलियों से।"

Rekha अब पसीने से पूरी भीग चुकी थी।उसकी कराहें खेतों की खामोशी चीर रही थीं।Ravi ने teasing करते हुए उँगली बाहर निकाल ली।

Rekha चीख पड़ी – " नहीं मत निकाल मेरी चूत अधूरी मत छोड़ मेरी जान चली जाएगी।"

Ravi हँसकर उसके कान में बोला – " बस भाभी अभी अधूरी मज़ा दे रहा हूँ असली मज़ा मेरे लंड से मिलेगा।अगली रात तुझे पूरी तरह तोड़ दूँगा।"

Rekha काँपते हुए उसकी गर्दन पकड़कर बोली – " हाँ पर आज मत छोड़ मेरी चूत इंतज़ार नहीं कर सकती तेरे लंड के लिए तरस रही है।"

Rekha अब और रुकने की हालत में नहीं थी।उसकी साँसें तेज़ ,बदन पसीने से भीगा और चूत Ravi की उँगलियों से फिसलती हुई।

वह Ravi की गर्दन पकड़कर बोली – " बस कर अब मेरी चूत और इंतज़ार नहीं करेगी अपना लंड डाल अभी यहीं "

Ravi ने आँखों में चमक भरते हुए उसकी साड़ी पूरी तरह सरका दी और पेंटी खींचकर उतार फेंकी।भाभी की चूत चाँदनी में चमक रही थी ,बालों में भीगी हुई लकीरें और दरार से रिसता गीलापन Ravi को और पागल बना रहा था।

उसने हँसते हुए कहा – " भाभी देख ,मेरा लंड खड़ा है बस तेरी चूत फाड़ने के लिए।"

Rekha ने काँपते हाथों से उसका लंड पकड़ लिया।" ओह्ह्ह्ह कितना मोटा है मेरी चूत तो फट जाएगी पर डाल डाल इसे "

Ravi ने धीरे से उसकी चूत की नोक पर अपना लंड रखा और दबाना शुरू किया।Rekha कराह उठी – " आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मेरी चूत फट रही है धीरे धीरे डाल "

पर Ravi अब बेकाबू हो चुका था।उसने एक झटके में पूरा लंड उसकी गीली चूत में ठेल दिया।" चपाक्क्क्क " आवाज़ गूँज उठी।

Rekha की चीख खेतों में गूँज गई – " आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी चूत फट गई ओह्ह्ह्ह्ह "

उसकी आँखें उलट गईं और नाखून Ravi की पीठ में धँस गए।पर अगले ही पल उसने उसकी कमर पकड़कर कस लिया – " हाँ ऐसे ही और ठोक मेरी चूत अब पूरी तेरे लंड के लिए बनी है।"

Ravi जोर – जोर से ठोके मारने लगा।" ठक ठक ठप ठक " आवाज़ें खेत की खामोशी चीर रही थीं।

Rekha की कराहें बेकाबू हो गईं – " ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह और जोर से मेरी चूत फाड़ दे तेरे लंड से मेरी जान निकल जाए "

Ravi ने उसके निप्पलों को दबाकर जोर से चूसा ,फिर दाँतों से काटा।Rekha चीख उठी – " हाँ काट मेरी चूची मत छोड़ मेरी गांड भी दबा मेरी चूत पागल हो गई है "

Ravi ने उसकी गांड कसकर दबाई और फिर एक झटका मारकर लंड और गहराई तक धँसा दिया।Rekha चीखते हुए कराह उठी – " आह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी चूत के अंदर जलन हो रही है पर मज़ा आ रहा है मत रुक "

अब दोनों की देहें पसीने से भीग चुकी थीं।Ravi लगातार ठोके मार रहा था और Rekha की कराहें खेतों के किनारे तक गूँज रही थीं।

कुछ ही पलों बाद Rekha काँपने लगी।उसकी चूत लहरों की तरह कसने लगी।" ओह्ह्ह्ह आ रहा है मेरी चूत फट रही है मैं निकल रही हूँ ओह्ह्ह्ह्ह।"

Ravi ने और जोर से धक्के मारे।" भाभी मैं भी अब फटूँगा तेरी चूत में ही छोड़ूँगा सब।"

Rekha ने उसकी कमर कसकर पकड़ी – " हाँ मेरी चूत में ही छोड़ मेरी कोख को तेरे वीर्य की गर्माहट चाहिए "

अगले ही पल Ravi ज़ोर से धक्का मारते हुए गरजा और उसका गरम वीर्य Rekha की चूत में फूट पड़ा।Rekha भी चीखती हुई काँप उठी – " आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी चूत भर गई गर्माहट से जल रही है "

दोनों वहीं खेत में गिर पड़े।साँसें तेज़ ,देह थकी हुई ,पर वासना से भरी।

Teaser / Hook (Next Part ke liye)

Rekha अभी Ravi की बाँहों में पड़ी थी कि अचानक उसे याद आया – कल गाँव का मंदिर मेला है ,जहाँ पूरा मोहल्ला इकट्ठा होगा।

उसने Ravi की आँखों में देखते हुए फुसफुसाया – " कल मंदिर जाते समय फिर से मुझे छेड़ना पर इस बार सबके बीच देखते हैं ,कौन हमें पकड़ता है।"

अगले part में – मंदिर जाते समय भीड़ के बीच छिपी छेड़छाड़ ,और forbidden public thrill!

 


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