गाँव आया भांजा, मामी की गीली नज़रें

मामी और उसकी बहन की बूर की जंग – भाग 1

🧩 मुख्य पात्र:

  • विशाल (23): कॉलेज से घर आया हुआ भांजा, शरीर तगड़ा, पर थोड़ा शर्मीला, मगर अंदर से बुरी तरह भरा हुआ
  • मामी (रंजना, 38): गाँव में रहने वाली, भरपूर देह, चूत की प्यासी, देवर से पहले से चिपकी रही है
  • नीतु (22): मामी की छोटी बहन, सिटी से आई हुई, modern, teasing, tight body वाली – पहली बार भांजे से मिलती है

🎯 Plot Setup:

विशाल छुट्टियों में गाँव आया है। मामा बाहर शहर में नौकरी पर है। मामी पहले से ही विशाल को देखकर भीगती रहती है —
हल्की साड़ी, बिना ब्रा रहना, झुकते समय चूचे उभारना, रसोई में टक्कर लेना… मगर अभी तक कुछ हुआ नहीं।

अब मामी की छोटी बहन नीतू शहर से गाँव आती है।

पहली ही नजर में नीतू विशाल को ऐसे देखती है जैसे लौड़े से चूत तक सीधा रिश्ता जोड़ना चाहती हो।

😈 Conflict Begins: “भांजे को कौन पहले फाँसे?”

रंजना (मामी) –

“ये मेरा भांजा है… पहली चुस्की मेरी होगी…”

नीतू –

“दीदी, प्यार में हक़ नहीं चलता… जिसने पहले चढ़ाया, उसकी बूर में लंड जाएगा…” शानदार! अब पेश है “मामी और उसकी बहन की बूर की जंग” सीरीज़ का पहला भाग —
🔞 भाग 1 – गाँव आया भांजा, मामी की गीली नज़रें



🚉 स्टेशन पर स्वागत

गर्मियों की चिपचिपी दोपहर थी जब विशाल गाँव के छोटे स्टेशन पर उतरा।

कंधे पर बैग था, बदन पर हल्की पसीने से भीगी टीशर्ट, और दाढ़ी से सजा जवान चेहरा —
पूरे गाँव में ऐसा लौंडा दूसरा नहीं था।

स्टेशन के बाहर मामी रंजना खड़ी थी —
हल्की गुलाबी साड़ी, माथे पर छोटी बिंदी, और आँखों में शरारत।

“ओहो… मेरा भांजा तो पूरा मर्द बन गया बे…”

“चलो जी, अब मेरी चाय पीकर बताओगे शहर की कहानियाँ…”


🛵 घर की ओर

स्कूटी की पिछली सीट पर बैठते ही रंजना ने जानबूझकर अपने चूचे उसकी पीठ से सटा दिए।

हल्की-सी साड़ी, और पसीने से चिपका ब्लाउज़…
आर पार से उसकी ब्रा की स्ट्रिप दिख रही थी।

“बैठ तो ऐसे रहा है जैसे कोई अनजान हो… मामी हूँ मैं, कोई सास नहीं!”

विशाल के लंड में पहली बार झनझनाहट आई।


🏡 गाँव का घर, मगर गर्म माहौल

घर में घुसते ही विशाल ने देखा — पूरा घर सादा था, मगर मामी का कमरा एकदम चमचमाता।

कमरे से आती पार्टीशन की दरार से ब्लाउज़, ब्रा और एक गुलाबी नाइटी लटक रही थी।

रंजना रसोई में चाय बना रही थी… मगर झुकते वक्त उसकी गांड सीधी दिख रही थी।

ब्लाउज़ का पल्लू लटक गया था, और उसकी पीठ से लेकर ब्रा की होक तक सब खुला खुला दिख रहा था।


चाय में चूत की महक

रंजना ने चाय दी… और पास बैठ गई।

“बोलो ना… शहर में कोई लौंडी फँसी या नहीं?”

विशाल ने नजरें झुकाईं, मगर उसकी निगाह बार-बार मामी की उघड़ी जांघों पर जाती।

मामी ने धीरे से उसकी जाँघ पर हाथ रखा…

“क्यों शर्माते हो… मामी हूँ तुम्हारी… मगर औरत भी हूँ।”


🔥 पहली गीली रात

रात को विशाल अपने कमरे में था, मगर बाहर बाथरूम में पानी गिरने की आवाज़ें आ रही थीं।

दरवाज़े के झरोखे से झाँका — मामी नहाकर बाहर निकली, सिर्फ तौलिया में।

चूचे तौलिए के नीचे से छलक रहे थे, और नीचे की तरफ से बालों वाली बूर का हल्का उभार दिख रहा था।

वो चुपचाप अपने कमरे में गई, लेकिन जाते-जाते कहा —

“नींद ना आए तो मेरे कमरे की बत्ती जल रही है… दरवाज़ा भी पूरा बंद नहीं किया…”


💦 लंड की पहली थरथराहट

विशाल रातभर सो नहीं पाया।
उसने मामी का ब्लाउज़ उठाया… और मुँह से सूँघने लगा।

फिर लंड को धीरेधीरे रगड़ना शुरू किया

“मामी… तेरी चूत की खुशबू… तेरी साड़ी की गर्मी… ओह्ह मामी…”

चपचपचपऔर एक झटके में लंड फूट गया


👀 End Twist

सुबह चाय पर मामी मुस्कराती हुई बोली:

“रात को बहुत गर्मी थी ना बेटा…

साड़ी गीली हो गई थी मेरीतू भी तो कुछ सूँघ रहा था कमरे में…”

विशाल काँप गया…

मामी ने फिर आँख मारी —

“अभी तो मेरी बहन नीतू आई नहीं है… तब देखना असली खेल…”


🔜 अगला भाग:

Part 2 – नीतू की टाइट चूत का शहरी तड़का
इसमें नीतू भांजे से पहली बार मिलती है — टाइट कपड़ों में, और बिना पैंटी… और गेम को नया मोड़ देती है


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *