“पड़ोसन का TV और भीगी हुई चूत का खेल”






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" पड़ोसन का TV और भीगी हुई चूत का खेल "

Short Teaser

गाँव की तंग गली में ,जब शंभू टीवी ठीक करने आया तो गौरी ने उसकी आँखों में छिपी वासना को तुरंत पहचान लिया।साड़ी का पल्लू ढीला पड़ते ही दोनों के बीच छेड़छाड़ और आँखों का खेल ऐसा हुआ कि साँसें तक गरमा गईं।

Character Detail

शंभू (27 साल ):लंबा – दुबला ,मजबूत बाजुओं वाला ,गाँव का इकलौता बिजली – टीवी मिस्त्री।छुप – छुपकर पड़ोसन की चूची और गांड पर निगाह डालना उसकी आदत।उसकी दबाई हुई भूख अक्सर उबल पड़ती है।

गौरी (34 साल ):भरे – पूरे स्तनों और गोल चुट्टाद वाली पड़ोसन ,गोरी – साँवली त्वचा और सूती साड़ी में हमेशा गीली – गीली सी दिखती।पति महीनों बाहर रहता है ,अकेलापन उसकी चूत तक को बेचैन रखता है।

दादी (60+ साल ):आँगन के कोने में चौकी पर बैठी ,हर वक्त निगाह रखती।उसकी मौजूदगी ही हर स्पर्श को और खतरनाक बना देती है।

Plot / Setting

गर्मियों की दोपहर थी ,बिजली बार – बार चली जाती।गौरी का पुराना टीवी बार – बार गुल हो रहा था।गौरी ने दरवाज़े से आवाज़ दी – " अरे शंभू !ज़रा देख तो जाओ ,मेरा टीवी बार – बार बंद हो रहा है।" गली सुनसान थी ,बस आँगन में दादी चौकी पर बैठी पंखा झल रही थीं।माहौल आधा डर ,आधा ललचाहट से भरा हुआ।

Foreplay / Build-up

शंभू ने औज़ार उठाए और गौरी के कमरे में दाख़िल हुआ।टीवी ज़मीन पर रखा था ,वो झुककर तार निकालने लगा।गौरी पास खड़ी थी ,उसकी साड़ी का पल्लू बार – बार सरककर उसके भरे स्तनों के गोलाई को और साफ़ कर रहा था।

शंभू ने हल्की निगाह डालकर कहा – " बड़ी गर्मी है गौरी दी ,पंखा भी तो नहीं चल रहा " गौरी मुस्कुराकर बोली – " अरे बस तुम ही हो जो ठीक कर सकते हो बाकी तो सब बहाने बनाते हैं।"

वो झुककर टीवी के पीछे देख रहा था ,तभी गौरी उसके करीब खड़ी हो गई।उसका बदन पसीने से महक रहा था।साड़ी सरककर उसकी नाभि और थोड़ा ऊपर तक का हिस्सा खुला हुआ था।

शंभू का हाथ तार पकड़ते हुए ज़रा ऊपर उठा और गौरी की चूची से हल्का सा छू गया।गौरी झटके से सिहर गई ,पर उसने कुछ कहा नहीं।होंठ दबाकर मुस्कुरा दी।

" क्या हुआ दी ,करंट तो नहीं लगा ?" – शंभू ने मज़ाक में कहा।गौरी धीरे से बोली – " हम्म करंट तो कुछ और जगह लग रहा है "

शंभू ने गर्दन उठाई और उसकी आँखों में झाँका।दोनों की साँसें भारी हो चुकी थीं।गौरी ने पल्लू ठीक करने का नाटक किया ,लेकिन जानबूझकर अपना निप्पल हल्का सा बाहर खिसका दिया।

शंभू के लंड में खिंचाव तेज़ हो गया।उसने टीवी में स्क्रू घुमाते – घुमाते कहा – " दी ,ये टीवी से ज़्यादा तो आपका अंग गड़बड़ करता दिख रहा है।"

गौरी हँसते हुए बोली – " तेरे हाथ तो बड़े नटखट हैं रे टीवी ठीक कर रहे हो या मुझे छेड़ रहे हो ?"

शंभू ने टीवी के पीछे से हाथ निकालकर उसकी कमर छू दी।गौरी हल्की सी कराह उठी – " म्म्म दादी बाहर हैं ,धीरे कर "

उसका बदन काँप रहा था।उसके स्तन अब और कसकर उभर आए थे ,निप्पल साड़ी से छिल रहे थे।शंभू ने धीरे से उसकी गांड को दबाया ,और पलक झपकते ही गौरी की साँस फूली।

गौरी का चेहरा लाल पड़ गया।उसने धीमी आवाज़ में कहा – " तू तो बड़ा शरारती निकला शंभू पहले ही दिन से मेरी चूत पर नजर रखता था न ?"

शंभू मुस्कुराकर बोला – " सच कहूँ तो दी ,आपकी चूत और चूची ने तो नींद ही उड़ा रखी है "

गौरी ने होंठ दबाकर आँचल से मुँह छुपा लिया।फिर धीमे से बोली – " हाय राम अगर दादी देख लेंगी तो "

Twist / Emotional

गौरी डर और मज़े के बीच फँसी हुई थी।हर स्पर्श उसे अंदर तक भिगो रहा था ,लेकिन बाहर आँगन में बैठी दादी की परछाई उसे और भी बेचैन कर रही थी।वो चाहकर भी खुद को रोक नहीं पा रही थी।

शंभू भी हर पल और निडर हो रहा था ,मानो उसे यही मौक़ा चाहिए था।

गौरी की आँखों में डर और शरारत दोनों चमक रहे थे।बाहर दादी चौकी पर बैठी थीं ,लेकिन कमरे में हवा इतनी भारी हो गई थी कि दोनों की साँसों की आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी।

शंभू अब टीवी के पीछे से निकलकर पास आ गया।उसने हल्के से कहा – " दी ,ये तार तो जुड़ गया अब बस एक तार बाकी है।" गौरी मुस्कुराई – " कौन सा तार ?" शंभू ने धीरे से उसकी कमर पकड़कर बोला – " आपके अंग का तार जो मेरी लंड से जुड़ना चाहता है।"

ये सुनकर गौरी का चेहरा लाल हो गया।उसने झूठा गुस्सा दिखाया – " हट पगले ,दादी देख लेंगी।" पर उसके होंठ काँप रहे थे ,जैसे छूने के लिए तरस रहे हों।

शंभू ने मौका देखकर उसका पल्लू सरका दिया।गौरी की भरी हुई चूची झलक गई।उसने काँपती आवाज़ में कहा – " अरे मत कर ,मेरी चूची बहुत नटखट हैं।" शंभू ने हल्के से उसकी चूची को दबाया।गर्माहट और कसाव से उसका पूरा बदन काँप उठा।

गौरी कराह उठी – " म्म्म धीरे कर मेरी चूत भीग जाएगी "

होंठों का खेल और छेड़छाड़

शंभू ने उसके होंठ पकड़ लिए।दोनों के बीच गीले चुंबन का खेल शुरू हो गया।गौरी के होंठ मीठे और नमकीन पसीने से भीगे हुए थे।उसने अपनी जीभ से शंभू की जीभ चूस ली।

गौरी ने धीरे से शंभू का हाथ पकड़कर अपनी गांड पर रख दिया।" इधर दबा बहुत दिन से किसी ने मेरी गांड नहीं पकड़ी " – वो फुसफुसाई।

शंभू ने कसकर उसकी चुट्टाद दबाई।गौरी की चूत अब सचमुच भीग चुकी थी।साड़ी के नीचे से नमी उसकी जाँघ तक फैल रही थी।

" दी ,आपकी गांड तो जैसे आग है मेरा लंड फटने को हो रहा है।" गौरी हँसते हुए बोली – " हाय राम इतना बड़ा लंड लिए घूमता है तू अगर लग गया तो मैं तो फट जाऊँगी।"

बढ़ती गर्माहट

शंभू ने धीरे से उसकी साड़ी उठा दी।उसकी सफेद पेटीकोट के नीचे से गुलाबी नाइटी जैसी पैंटी झलक गई।उसने उंगली से उसकी चूत की सिलाई पर हल्की मालिश करनी शुरू की।

गौरी की आँखें बंद हो गईं।उसकी साँसें तेज़ हो गईं।" म्म्म शंभू मेरी चूत तो जल रही है थोड़ा और रगड़ न "

शंभू अब और बेकाबू हो गया।उसने निप्पल को मरोड़ा ,फिर जीभ से चूची चूस ली।गौरी की कराह कमरे में गूँज गई – " आह्ह धीरे दादी सुन लेंगी पर बंद मत कर चूसी जा मेरी चूची "

गौरी के होंठों से लगातार कराह निकल रही थी ,और उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

Twist / Emotional

अचानक बाहर से दादी की खाँसी की आवाज़ आई।गौरी डर से सिहर गई और शंभू को धक्का देकर बोली – " बस अभी रुक अगर दादी अंदर आ गईं तो बर्बाद हो जाएँगे।"

पर उसकी आँखों में साफ था कि वो खुद भी अब रुकना नहीं चाहती थी।उसके स्तन अब भी उभरे हुए थे ,निप्पल सख्त खड़े थे ,और चूत की नमी टपकने लगी थी।

शंभू ने उसकी आँखों में देखकर फुसफुसाया – " दी ,अब तो मैं रुका नहीं जाऊँगा अगली बार जब अकेली होगी न ,तो तेरी चूत का असली स्वाद लूँगा।"

गौरी ने होंठ दबाकर आँखें झुका लीं ,पर उसकी मुस्कान बता रही थी कि वो उस पल का इंतज़ार खुद भी कर रही है।

गौरी ने पल्लू सँभालते हुए झूठी नाराज़गी से कहा – " अब बस कर शंभू दादी देख लेंगी तो लाज उतार जाएगी मेरी।"

शंभू मुस्कुराया और धीरे से बोला – " दी ,जितनी बार तू मना करती है ,उतनी ही बार तेरी चूत और भी ज़्यादा भीग जाती है।"

गौरी का चेहरा लाल हो गया।उसने होंठ दबाकर कहा – " तेरी ज़ुबान भी तेरे लंड जैसी नटखट है बस चुप रह।"

बाहर से दादी की आवाज़ आई – " टीवी हुआ कि नहीं ?" गौरी ने जल्दी से कहा – " हो रहा है अम्मा शंभू देख रहा है।"

शंभू ने मौका देखकर गौरी की साड़ी को और ऊपर उठा दी ,उसकी जाँघों पर हल्की उंगलियाँ फिराने लगा।गौरी काँप गई।उसकी साँसें इतनी तेज़ थीं कि आँगन तक सुनाई देती हों।

निप्पल और होंठों का खेल

गौरी ने डरते – डरते दरवाज़े की ओर देखा और धीरे से शंभू के गले में बाँहें डाल दीं।उसने फुसफुसाकर कहा – " बस एक चुंबन फिर मत करना ,नहीं तो पकड़े जाएँगे।"

शंभू ने तुरंत उसके होंठ पकड़ लिए।होंठों का खेल इतना गर्म था कि गौरी की आँखें बंद हो गईं।उसकी जीभ शंभू की जीभ को चूस रही थी ,और उसके निप्पल साड़ी के नीचे पत्थर जैसे खड़े हो चुके थे।

शंभू ने चुपके से हाथ डालकर उसकी चूची को पकड़ लिया।गौरी कराहते हुए बोली – " आह्ह शंभू धीरे मेरी चूची तो जल रही है।"

वो खुद अपने निप्पल उसकी उंगलियों से मसलवा रही थी।

पब्लिक – इश रोमांच

उसी पल दादी खाँसते हुए आँगन में सरककर खड़ी हो गईं।गौरी का दिल धक – धक करने लगा।उसने शंभू को झटके से धकेल दिया।शंभू टीवी के पीछे झुककर तार घुमाने का नाटक करने लगा।

गौरी अब सामने खड़ी थी ,लेकिन उसके होंठ अब भी भीगे थे और चूत से नमी टपक रही थी।उसने धीरे से साड़ी नीचे खींच ली ,लेकिन उसकी आँखों की प्यास छुप नहीं रही थी।

दादी ने पूछा – " चालू हुआ कि नहीं ?" शंभू ने सिर झुकाकर कहा – " बस हो ही गया अम्मा एक तार ढीला है।"

गौरी ने नज़रें झुकाईं ,लेकिन उसकी जाँघ से अब भी गीलापन बह रहा था।

छुपी हुई छेड़छाड़

जैसे ही दादी वापस चौकी पर बैठीं ,गौरी धीरे से शंभू के कान में फुसफुसाई – " पगले तूने तो मेरी चूत ही भिगो दी अब अगर रुक गया तो पाप लगेगा।"

शंभू मुस्कुराकर बोला – " दी ,तू कहे तो यहीं पेटीकोट के नीचे से उँगली डाल दूँ "

गौरी ने काँपते हुए उसकी आँखों में देखा।फिर पसीने में भीगे हाथ से उसके लंड को दबा दिया।" हाय तेरे लंड का तो वजन ही अलग है मेरी गांड तक काँप उठी।"

शंभू हाँफने लगा।उसने उसका हाथ पकड़कर और दबा दिया।गौरी की उंगलियों से उसका लंड सख्ती से धड़क रहा था।

Twist / Emotional

गौरी अब पूरी तरह सेग में थी ,पर डर अब भी उसके चेहरे पर था।उसने आँचल से मुँह ढक लिया और बोली – " अगली बार जब दादी सोएँगी ,तब तेरा लंड मेरी चूत में जरूर जाएगा आज बस छेड़छाड़ तक।"

शंभू ने उसकी चूची को आखिरी बार दबाया और होंठ पर काट लिया।दोनों की आँखों में अधूरी प्यास झलक रही थी।

माहौल

रात का सन्नाटा था।गाँव में बस कुत्तों के भौंकने और झींगुरों की आवाज़ आ रही थी।आँगन की चौकी पर दादी खड़खड़ाती साँसों के साथ सो रही थीं।गौरी के कमरे की खिड़की आधी खुली थी ,चाँदनी अंदर घुसकर उसके बदन पर पड़ रही थी।

गौरी ने धीमी आवाज़ में दरवाज़े से फुसफुसाकर पुकारा – " शंभू इधर आ जा ,दादी सो गई हैं।"

शंभू औज़ारों का झोला लिए दबे पाँव अंदर आया।उसकी आँखों में वही प्यास चमक रही थी।

Foreplay / Build-up

गौरी ने दरवाज़ा धीरे से बंद कर दिया।उसके बाद वो सीधी शंभू की बाहों में समा गई।दोनों के होंठ चिपक गए।चुंबन इतना गहरा था कि उनकी साँसें रुकने लगीं।

शंभू ने उसकी चूची पकड़कर दबा दी।गौरी कराह उठी – " आह्ह बस यहीं दबा न मेरे निप्पल तो जैसे जल रहे हैं।"

उसके स्तन इतने भरे हुए थे कि शंभू बार – बार मुँह लगाकर चूसने लगा।गौरी ने साड़ी का पल्लू खुद ही सरका दिया।" ले चूस ले मेरी चूची कितने दिन से प्यास लगी है।"

शंभू ने उसके निप्पल को होंठों में भर लिया ,जीभ से गोल – गोल घुमाने लगा।गौरी काँप रही थी ,उसकी कराह कमरे में गूँज रही थी – " म्म्म धीरे मेरी चूत तक झनझना रही है।"

पहली उँगली का जादू

शंभू ने उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर खींचा।गौरी की गुलाबी पैंटी अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

उसने उँगली से पैंटी के ऊपर ही दबाया।गौरी ने होंठ काटकर आँखें बंद कर लीं – " हाय मेरी चूत तो बह रही है उँगली डाल न "

शंभू ने पैंटी सरकाकर उसकी चूत पर सीधी उँगली रख दी।जैसे ही उसने अंदर हल्का सा घुसाया ,गौरी का पूरा बदन काँप गया।" आह्ह शंभू धीरे मेरी चूत फट जाएगी "

लेकिन अगले ही पल वो खुद उसकी उँगली पकड़कर और अंदर खींचने लगी।" हाँ ऐसे आह्ह और डाल मेरी चूत को यही चाहिए था।"

शंभू की उँगली उसकी गीली चूत में आवाज़ कर रही थी।गौरी की कमर बार – बार ऊपर उठ रही थी।

और भी रिस्की छेड़छाड़

गौरी ने अचानक उसका हाथ पकड़ा और बोली – " बस मत रोक मेरी गांड दबा के मेरी चूत चाट भी ले।"

शंभू झुकने ही वाला था कि बाहर से दादी की खाँसी सुनाई दी।दोनों अचानक ठिठक गए।

गौरी ने डर से शंभू का मुँह दबा लिया।उसकी साँसें इतनी तेज़ थीं कि लग रहा था दादी तक पहुँच जाएँगी।कुछ पल रुककर उसने फिर फुसफुसाया – " जल्दी कर वरना मेरा बदन फट पड़ेगा।"

Twist / Emotional

गौरी के भीतर अब कशमकश थी – डर कि कहीं कोई देख न ले ,और प्यास कि कहीं ये मौका हाथ से न निकल जाए।उसकी आँखों से साफ था कि वो खुद को रोक नहीं पाएगी।

शंभू की उँगली उसकी चूत में और तेज़ी से चल रही थी।गौरी काँपती आवाज़ में बोली – " शंभू अगली बार तेरी लंड के बिना चैन नहीं मिलेगा मुझे "

गौरी का बदन काँप रहा था ,आँखें आधी बंद थीं और होंठों से लगातार कराह निकल रही थी।शंभू की उँगली उसकी चूत के अंदर इतनी गहराई तक गई कि उसकी कमर खुद – ब – खुद ऊपर उठने लगी।

" आह्ह शंभू मेरी चूत तो तुझ पर ही बिछ गई है मत रोक " – गौरी ने काँपती आवाज़ में कहा।

शंभू अब और बेखौफ़ हो गया।उसने दूसरी उँगली भी डाल दी।गौरी चीखते – कराहते हुए बोली – " हाय राम दो – दो उँगली ?मेरी गांड तक कस गई आह्ह्ह "

उसके स्तन बार – बार हवा में उछल रहे थे ,निप्पल कड़े होकर खड़े थे।

होंठ और चूची का खेल

शंभू ने एक हाथ से उँगलियाँ चूत में चलाते हुए ,दूसरे हाथ से उसकी चूची दबाई।फिर झुककर निप्पल मुँह में भर लिया।

गौरी पागल सी होकर बोली – " हाँ चूस मेरी चूची जोर से मेरी चूत भी फाड़ डाल अपनी उँगली से "

उसके होंठ शंभू के बाल खींच रहे थे।उसकी जीभ अब शंभू के होंठों पर फिसल रही थी।दोनों के चुंबन इतने गीले थे कि कमरे में चप – चप की आवाज़ गूँज रही थी।

चूत की नमी और surrender

गौरी का पेटीकोट अब पूरी तरह ऊपर था ,उसकी चूत चाँदनी में चमक रही थी।शंभू ने उँगली बाहर निकाली और फिर धीरे – धीरे चाटना शुरू किया।

गौरी पागल सी होकर कराह उठी – " आह्ह्ह हाँ वहीं चाट मेरी चूत तो दूध बहा देगी तेरे मुँह में "

उसकी जाँघें काँप रही थीं ,कमर बार – बार ऊपर उठ रही थी।उसने दोनों हाथों से शंभू का सिर पकड़कर अपनी चूत पर कस दिया।

" मत रुक मेरी चूत का रस पी ले " – वो बेकाबू होकर चिल्ला उठी।

शंभू की जीभ और उँगलियाँ अब साथ – साथ उसकी चूत को मल रही थीं।गौरी की हालत पागल औरत जैसी थी।

Twist / Emotional

अचानक उसे ख्याल आया – " अगर दादी उठ गईं तो ?" उसकी साँसें रुक गईं ,पर अगले ही पल उसने खुद को और खोल दिया।

" चाहे कोई देख भी ले ,अब तो तेरा लंड चाहिए मुझे " – उसने शंभू की आँखों में देखते हुए कहा।

उसकी आँखों में डर से ज़्यादा अब ललक और surrender था।उसके बदन का हर अंग जैसे शंभू के कब्ज़े में आ चुका था।

रात का सन्नाटा

कमरा अब पसीने और चूत की खुशबू से महक रहा था।गौरी का आँचल पहले ही नीचे फेंका जा चुका था ,अब उसका पेटीकोट कमर पर टिका हुआ काँप रहा था।

शंभू ने हँसते हुए कहा – " आज तो इस पेटीकोट को भी उतार दूँगा और तेरे हर राज देखूँगा।"

गौरी ने शर्माते हुए होंठ दबाए ,पर उसकी आँखों की प्यास साफ थी।धीरे से बोली – " मत छेड़ अगर उतर गया तो मैं तुझसे खुद को रोक नहीं पाऊँगी "

कपड़े का उतरना

शंभू ने धीरे – धीरे उसकी कमर की गाँठ खोली।पेटीकोट सरकते – सरकते उसकी टाँगों तक आ गया।गौरी ने एक पल को दोनों हाथों से पकड़ने की कोशिश की ,लेकिन शंभू ने उसकी कलाइयाँ पकड़कर दीवार से चिपका दीं।

अब उसका पूरा बदन – गोरे स्तन ,चूची के गुलाबी सिरे ,और काली झाड़ी से ढकी चूत – खुली हवा में थी।

गौरी हाँफते हुए बोली – " हे शिव अगर कोई देख ले तो ?पर मुझे रोक मत "

Forbidden Touch

शंभू का हाथ अब उसकी जाँघों के बीच था।उसने उँगलियों से उसकी चूत की नमी महसूस की और कान में फुसफुसाया – " तेरी चूत तो पहले ही मुझे बुला रही थी अब तो बस मेरा लंड बाकी है।"

गौरी ने आँखें बंद कर लीं और कमर झुका दी।उसकी साँसें तेज थीं – " हम्म्म बस दरवाज़े तक रख अंदर मत डाल मैं टूट जाऊँगी "

लंड का स्पर्श

शंभू ने अपना लंड निकालकर उसकी चूत के दरवाज़े पर रख दिया।गरम ,मोटे लंड का सिरा उसकी गीली चूत को छूते ही गौरी चीख उठी –

" आह्ह्ह्ह यही चाहिए था बस वहीं रगड़ अंदर मत डाल अभी "

उसकी जाँघें लपक कर लंड को दबाने लगीं।शंभू ने हल्के – हल्के रगड़ना शुरू किया।चूत से छप – छप की आवाज़ें कमरे में गूँजने लगीं।

Suspense / Hook

गौरी का बदन अब काँप रहा था।उसने काँपती आवाज़ में कहा – " शंभू अगर तेरा लंड अभी अंदर चला गया तो मैं कभी वापिस न आ पाऊँगी "

शंभू ने आँखों में देखते हुए फुसफुसाया – " तो क्या तुझे सच में डर है या तू चाहती है कि मैं ज़बरदस्ती करूँ ?"

गौरी की साँसें अटक गईं।उसके होंठ काँप रहे थे वो कुछ कह ही नहीं पाई।

माहौल

कमरे में अँधेरा गाढ़ा हो चुका था ,बाहर गाँव की गली से कुत्तों की आवाज़ें आ रही थीं।लेकिन गौरी का बदन तो आग का गोला बना हुआ था।उसका पेटीकोट नीचे गिरा पड़ा था ,स्तन खुलकर हिल रहे थे ,और उसकी चूत पर शंभू का गरम लंड टिका हुआ था।

होंठों का खेल

शंभू ने उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए ,चूमें और हल्की – हल्की काट से उसे कराहने पर मजबूर कर दिया।गौरी हाँफते हुए बोली – " बस इतना काफ़ी है और मत बढ़ा पाप लगेगा शंभू "

शंभू ने उसकी चूची मुँह में भरते हुए कहा – " पाप में ही मज़ा है ,गौरी तेरे निप्पल तो खुद कह रहे हैं कि और चूस "

गौरी कराह उठी – " आह्ह्ह मत कर ओह्ह्ह ऐसे तो मेरी चूत और भीग जाएगी "

Forbidden Teasing

शंभू ने अब लंड को उसकी चूत के दरवाज़े पर और ज़ोर से दबाना शुरू किया।हर धक्का उसकी चूत की दीवारों को छूकर रगड़ता और उसे सिहरने पर मजबूर कर देता।

गौरी ने कसकर उसकी गर्दन पकड़ ली – " ना रे अंदर मत डाल मैं बर्बाद हो जाऊँगी लेकिन रगड़ ऐसे ही और जोर से "

अब उसकी जाँघें खुद शंभू के लंड को पकड़कर दबाने लगी थीं।उसका चूत और चिपचिपा हो रहा था।

शरीर का खिंचाव

शंभू ने उसे चारपाई पर दबाया और दोनों हाथों से उसकी गांड पकड़ ली।गौरी की कराह कमरे की दीवारों से टकराई –

" आह्ह्ह्ह छोड़ पर छोड़ मत आह्ह्ह तेरी लंड की गर्माहट ने तो मुझे पागल कर दिया है "

उसकी चूत अब इतना भीग चुकी थी कि रगड़ते समय छपाक – छपाक की आवाज़ आने लगी।शंभू ने आँखों में देखते हुए कहा – " अब बता ,सच में ना है या चाहती है कि मैं तोड़ दूँ तेरी चूत ?"

गौरी ने काँपते होंठों से कहा – " ना पर ये ना ही असल में हाँ है "

Guilt + Thrill

उसके चेहरे पर लाज और प्यास दोनों चमक रही थीं।वो खुद लंड को पकड़कर अपनी चूत के मुहाने पर रख रही थी लेकिन हर बार घबरा कर रुक जाती।उसकी साँसें तेज़ थीं – " शंभू अगर तूने अभी किया तो मैं अपनी हदें खो दूँगी पर रगड़ मत रोक नहीं तो मर जाऊँगी "

Village Night का जादू

बाहर खेतों से झींगुरों की आवाज़ आ रही थी ,लेकिन कमरे में कराह और छपाक की गूँज छाई थी।गौरी का बदन पूरी तरह पसीने से भीगा ,उसकी गांड और चूत पर शंभू का दबाव इतना तेज़ हो चुका था कि अब वो खुद को रोक नहीं पा रही थी।

अधूरी भूख

शंभू उसके कान चाटते हुए बोला – " कितनी देर से सिर्फ रगड़ रहा हूँ अब तो तेरी चूत फट पड़ी है ,है ना ?"

गौरी ने होंठ काटे ,आँखें बंद करके फुसफुसाई – " हाँ मेरी चूत तो जल रही है तू डाल क्यों नहीं देता ?"

शंभू मुस्कराया – " अभी तक तो तू ' ना – ना ' कर रही थी अब खुद बोल रही है डाल दे ?"

गौरी ने शर्म से आँखें झुका लीं – " ना – ना बस दिखावे का था असल में तो मैं कब से चाह रही हूँ तेरे लंड की गर्माहट मेरे अंदर "

चूत पर ज़ोरदार रगड़

शंभू ने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखा।गौरी काँपते हाथों से उसे पकड़कर अपनी चूत के दरवाज़े पर लाई और दबाते हुए बोली – " बस ऐसे जोर से रगड़ आह्ह्ह मेरी चूत फट जाएगी "

उसकी कराह अब तेज़ और बेकाबू हो चुकी थी।हर रगड़ पर उसका पूरा शरीर थरथरा जाता।

Surrender Moment

गौरी ने चारपाई पर पीठ टिका दी ,दोनों पैर फैलाकर बोली – " अब मत रोक डाल दे चाहे पाप लगे ,मैं तेरे बिना अब मर जाऊँगी "

शंभू ने उसकी गांड कसकर पकड़ी और लंड को उसकी चूत पर और जोर से धकेला।सिरा अंदर घुसने की कगार तक पहुँच गया।

गौरी ने चीखते हुए उसकी गर्दन दबा ली – " आह्ह्ह्ह बस यही बस डाल दे पूरा "

Suspense + Craving

लेकिन शंभू ने एकदम रुककर कहा – " इतनी जल्दी नहीं गौरी मैं चाहता हूँ तू खुद अपनी चूत से मेरा लंड अंदर खींचे "

गौरी काँपती आवाज़ में बोली – " मैं मैं खुद खींच लूँगी बस तू रुक मत मेरी चूत अब तेरे बिना अधूरी है "

उसका शरीर अब खुद लंड को भीतर लेने की कोशिश में हिल रहा था ,लेकिन actual entry अभी भी टली हुई थी।

माहौल की चुप्पी

गाँव की रात और गहरी हो चुकी थी।बाहर सन्नाटा था लेकिन कमरे के भीतर कराह ,हाँफ और छप – छप की गूँज गाढ़ी हो रही थी।गौरी का बदन अब पूरी तरह surrender कर चुका था।

आख़िरी रोक टूटना

गौरी ने शंभू की आँखों में देखते हुए उसकी गर्दन पकड़ ली और फुसफुसाई – " अब और मत रोक मेरी चूत पागल हो रही है डाल दे अपना लंड "

शंभू मुस्कराया – " तू खुद बोलेगी तभी डालूँगा।"

गौरी ने दोनों पैर और फैला दिए ,चूत के बालों से चिपकी नमी टपक रही थी।वो काँपते हुए बोली – " हाँ डाल दे पूरा डाल दे फाड़ दे मुझे "

Entry ka Pehla Pal

शंभू ने अपनी मोटी नोक उसके गीले दरवाज़े पर रखी और हल्का – सा दबाया।गौरी चीख उठी – " आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह बस यही अंदर आ रहा है "

उसका बदन काँप गया ,नाखून शंभू की पीठ में धँस गए।धीरे – धीरे उसका लंड उसकी चूत की दीवारें चीरकर अंदर जाने लगा।

दर्द और मज़ा

गौरी कराहते हुए बोली – " आह्ह्ह्ह मत ओह्ह्ह कितना मोटा है मेरी चूत फट रही है "

शंभू ने कसकर उसकी गांड पकड़कर और धक्का मारा।आधी लंबाई तक लंड अंदर चला गया।गौरी की आँखों से आँसू छलक पड़े लेकिन उसके होंठों से निकला – " और और डाल पूरी तरह भर दे "

Craving & Thrill

अब उसकी चूत पूरी तरह गीली होकर लंड को अंदर खींच रही थी।हर धक्के पर उसका शरीर काँपता और होंठों से कराह निकलती।गौरी ने खुद कमर हिलाना शुरू कर दिया – " आह्ह्ह शंभू बस यही चाहिए था तूने मेरी जान निकाल दी "

माहौल

कमरा अब पसीने और वासना की गंध से भर चुका था।चारपाई चरमरा रही थी ,दीवारें कराह की गूँज से काँप रही थीं।गौरी का बदन पूरी तरह शंभू के काबू में था।

जोरदार धक्के

शंभू ने उसका पूरा लंड एक ही झटके में अंदर ठोक दिया।गौरी चीख उठी – " आह्ह्ह्ह माँ रे ओह्ह्ह मेरी चूत फट गई "

लेकिन उसके चेहरे पर दर्द के साथ मज़ा भी था।वो अपनी कमर आगे धकेलकर बोली – " और मार छोड़ मत फाड़ दे मुझे "

अब शंभू लगातार धक्के मारने लगा – छपाक – छपाक – छपाक की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।

कराह और प्यास

गौरी ने उसकी गर्दन पकड़कर होंठों पर दाँत गड़ा दिए।" आह्ह्ह्ह निप्पल चूस ओह्ह्ह मेरी चूची खा जा "

शंभू ने उसके स्तन दबाकर निप्पल मुँह में भरे और जोर से चूसने लगा।गौरी और ज़ोर से कराह उठी – " हाँ बस ऐसे ही तू तो मुझे मार ही डालेगा "

शरीर का पागलपन

शंभू ने उसकी गांड कसकर पकड़ी और पूरे ज़ोर से लंड ठोकता रहा।गौरी अब पूरी तरह बेसुध होकर कमर हिला रही थी।उसकी चूत की आवाज़ें और कराह दोनों मिलकर माहौल को और गाढ़ा कर रहे थे।

" आह्ह्ह और जोर से मेरी चूत फाड़ दे ओह्ह्ह्ह "

Climax Explosion

तेज़ – तेज़ धक्कों के बीच अचानक गौरी का बदन काँपने लगा।उसकी चूत कसकर शंभू के लंड को जकड़ने लगी।वो चीख पड़ी – " आह्ह्ह्ह्ह्ह निकल रहा है मैं आ गई ओह्ह्ह्ह "

शंभू ने और दो – तीन जोरदार धक्के मारे और उसका लंड फट पड़ा।गर्म वीर्य की धारें गौरी की चूत के अंदर भर गईं।

गौरी हाँफते हुए बोली – " ओह्ह्ह्ह तूने तो मुझे पूरा भर दिया मेरी जान निकल गई "

Aftermath (Twist + Emotion)

दोनों पसीने में लथपथ ,हाँफते हुए चारपाई पर गिर पड़े।बाहर गली में किसी के कदमों की आहट आई गौरी सहमते हुए बोली – " अगर किसी ने सुन लिया तो ? "

शंभू ने हँसते हुए उसके होंठ दबा लिए – " अब तू मेरी है चाहे दुनिया जान ले।"

 


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