🍲रसोई की आग में भड़की चूत की प्यास

Biwi Ki Chhupi Saazish: Part 3

🔥 शॉर्ट टीज़र

दोपहर का सुनसान घर, बाहर दरवाज़ा बंद, भीतर रसोई में हल्दी–मसालों की खुशबू। चूल्हे की गर्मी और पसीने से भीगती निशा की देह… और पीछे से दबोचता रमेश, जिसकी आँखों में बस चूत की भूख थी।


🏡 प्लॉट / सेटिंग

उस दिन दोपहर में घर पूरी तरह खाली था। पति दफ़्तर, बच्चे स्कूल और सास–ससुर रिश्तेदारी में गए हुए।
निशा रसोई में खड़ी सब्ज़ी काट रही थी, खुले बाल कंधों पर लटक रहे थे। गर्मी में पसीना उसकी गीली ब्लाउज़ से होकर चमक रहा था।
रसोई की खिड़की से आती धूप उसके तन की चिकनाई और भी साफ़ दिखा रही थी।

उधर रमेश दबे पाँव पीछे से रसोई में घुस आया। घर की चुप्पी और अकेलेपन में उसका लंड पहले से ही तन चुका था।


😈 फोरप्ले की शुरुआत

रमेश ने धीरे से पीछे से निशा की कमर पकड़ ली। अचानक स्पर्श से निशा चौंकी, चाकू हाथ से गिरा।

निशा (धीरे से) – “रमेश… पगला है क्या? कोई देख लेगा तो…”
रमेश (कान में गरम साँसें भरते हुए) – “घर में कौन है रे? तेरी चूत को आज रसोई में ही जलाकर खाऊँगा…”

उसने पीछे से निशा की कमर पर लंड रगड़ा।
निशा की साँसें तेज़ हो गईं, मगर होंठों पर आधी मुस्कान थी।

रमेश ने मसालों से भरा हाथ उठाकर उसके गाल पर हल्की हल्दी की लकीर खींच दी।
फिर वहीं से गर्दन पर झुककर गीली चुंबनें छोड़ने लगा।

निशा का बदन गरम चूल्हे के पास और भी पिघल रहा था।
उसने पीछे से रमेश के हाथ अपने ब्लाउज़ के हुक पर महसूस किए, और धीरे से आँखें बंद कर दीं।

निशा (फुसफुसाते हुए) – “पागल… ये रसोई है…”
रमेश (हँसते हुए) – “तो क्या हुआ… आज तेरी चूत में स्वाद मसालों से भी तगड़ा होगा…”

उसके हाथ अब ब्लाउज़ के अंदर घुस चुके थे, और हल्दी–पसीने की मिली-जुली खुशबू के बीच वो निशा के चूचों को दबा रहा था।

😈 रसोई में गरमी बढ़ती हुई

रमेश अब पीछे से निशा की कमर में अपनी पकड़ और कसने लगा। उसका खड़ा लंड निशा की सलवार के कपड़े को चीरता हुआ लगातार दब रहा था।

उसने झटके से निशा का ब्लाउज़ खोल दिया, हुक टूटने की आवाज़ के साथ उसके मोटे–गोल स्तन बाहर छलक पड़े।

रमेश (हँसते हुए) – “वाह री… तेरे ये गरम-गरम चूचें तो रोटी बेलने से भी मुलायम हैं।”

वो दोनों हथेलियों से निशा के चूचों को ऐसे मसलने लगा जैसे गूँथे हुए आटे को दबा रहा हो।
निशा की देह पसीने से चिकनी थी, और जब रमेश ने हल्दी लगे हाथ से उसके एक चूच पर निशान लगाया, तो निशा ने आँखें कसकर बंद कर लीं।

निशा (सिसकारते हुए) – “आह्ह रमेश… धीरे… जल जाऊँगी चूल्हे में…”
रमेश (दाँतों से चूच काटते हुए) – “तू तो आज मेरी गर्मी में पिघलेगी…”

वो कभी जीभ से निशा के चूचों के चारों ओर गोल घुमाता, तो कभी दाँतों से हल्के-हल्के काटकर उसे कंपा देता।
निशा के मुँह से बार-बार हूँँँआह्ह…” जैसी आवाज़ें निकल रहीं थीं, और उसकी देह हर छूअन पर काँप रही थी।


🍲 मसालों का खेल

रसोई की मेज़ पर रखे लाल मिर्च पाउडर का डिब्बा रमेश ने उठाया।
उसने चुटकी भर मिर्च अपने हाथ पर ली और फिर जीभ से चाटकर बोला –

रमेश (मुस्कुराते हुए) – “तेरी चूत का स्वाद इससे भी ज़्यादा तगड़ा होगा।”

इसके बाद उसने आटे की परात में हाथ डुबोकर निशा की पीठ पर आटे का हल्का छींटा मार दिया।
सफेद आटे से ढकी उसकी काली कमर अब और भी उभर आई थी।

निशा (शर्माते हुए) – “पगले! गंदा मत कर रसोई को…”
रमेश (कमर दबाते हुए) – “रसोई तो बहाना है… गंदा तो आज मैं तुझे ही करने वाला हूँ।”

वो आटे से सने हाथों से उसके स्तनों को पकड़कर दबाने लगा। सफेद लकीरें और पसीने की नमी से उसके चूचों पर चिकनापन ऐसा हो गया था कि रमेश बार-बार उन्हें चूसने लगा।


💦 Entry से पहले की सनसनाहट

अब रमेश ने निशा को चूल्हे से हटाकर दीवार से सटा दिया।
उसकी सलवार नीचे खींचते ही गरम रसोई में निशा की चूत से उमस भरी गंध फैल गई।

रमेश ने घुटनों के बल झुककर उसकी जाँघों को खोल दिया।
उसकी जीभ धीरे-धीरे निशा की चूत के आस-पास घूमने लगी।

निशा (काँपती आवाज़ में) – “रमेश… बस कर… अभी से तो…”
रमेश (जीभ से चूत चाटते हुए) – “तेरी रसोई की असली मिठास तो यही है…”

निशा दीवार से चिपककर कराह रही थी। उसके हाथ रमेश के सिर को दबा रहे थे।
रसोई में तड़पती निशा की आहें और बर्तन खनकने की आवाज़ें मिलकर पूरा माहौल वासनामय कर रही थीं।

रमेश ने अपना लंड बाहर निकाला, मोटा और तनकर चमकता हुआ।
उसने निशा की जाँघों के बीच उसे रगड़ते हुए कहा –

रमेश (कान में फुसफुसाते हुए) – “अब तेरी गरम चूत में लंड की entry का वक़्त आ गया है…”

🔥 गरम Entry

रमेश ने अपने मोटे लंड को पकड़कर निशा की भीगी चूत के मुहाने पर रख दिया।
जैसे ही उसने हल्का धक्का दिया, निशा जोर से कराह उठी –

निशा (साँस टूटती हुई) – “आह्ह्ह… रमेश… धीरे… फट जाऊँगी…”
रमेश (गरजते हुए) – “आज तो तुझे पूरी गहराई तक भरना है…”

एक जोर के धक्के से उसका पूरा लंड निशा की गरम चूत में घुस गया।
निशा दीवार से टकराकर हाँफने लगी। उसकी आँखें कसकर बंद थीं, और होंठों से कराहें बह रही थीं।


🌀 रफ्तार और Positions

रमेश पहले धीरे-धीरे धक्के मार रहा था, ताकि निशा की चूत उसकी मोटाई की आदत डाल ले।
पर कुछ ही मिनटों में उसने कमर पकड़कर ऐसे जोर से ठोकना शुरू किया कि निशा की पीठ दीवार से टकराकर खटक रही थी।

निशा (हकलाती हुई) – “आह्ह… रुको… आह्ह्ह… मार मत ऐसे… आह्ह… गहरा लग रहा है…”
रमेश (और कसकर ठोकते हुए) – “तेरी चूत को यही चाहिए… गहरा… मोटा… तेज़…”

उसने निशा को पलटकर रसोई की मेज़ पर झुका दिया।
अब पीछे से ठोकते हुए उसके स्तनों को पकड़कर जोर-जोर से मसल रहा था।
निशा के चूचों पर पसीना और आटे की परत मिलकर चिकनाहट बना रहे थे, और रमेश उन्हें दबाते हुए कराह रहा था।


💦 गंदी बातें और Rough Play

रमेश (पीछे से चोदते हुए) – “तेरी चूत तो मेरी बीवी से भी तंग है… हर धक्के पर मुझे जकड़ रही है…”
निशा (सिसकारते हुए) – “आह्ह… तू मेरी चूत को फाड़ दे रमेश… और जोर से…”

अब रमेश ने उसकी चूत से लंड निकालकर एक पल के लिए उसके मुँह पर रगड़ा।
निशा जीभ निकालकर उसे चाटने लगी, फिर कराहते हुए बोली –

निशा (मुँह से लंड चूसते हुए) – “तेरा लंड मेरी ज़िंदगी का नशा है…”

रमेश ने उसका सिर पकड़ा और लंड गहराई तक उसके मुँह में ठूँस दिया।
निशा की आँखों से पानी आने लगा लेकिन वो फिर भी लालच में चूसती रही।


🌊 चरमसुख

कुछ देर बाद रमेश ने फिर से उसकी चूत में लंड घुसाया और पूरी ताकत से ठोकना शुरू किया।
बर्तन गिरने की आवाज़ें, मेज़ की चरमराहट और दोनों की कराहों ने पूरी रसोई को भर दिया।

निशा (चीखते हुए) – “आह्ह्ह्ह… रमेश… निकल रहा है… मेरी चूत फट रही है…”
रमेश (गरजते हुए) – “हाँsss… ले मेरी सारी गर्मी…”

एक जोरदार धक्के के साथ रमेश का लंड गहराई तक धँसा और उसकी गरम मनीषा चूत में फूट पड़ी।
निशा भी काँपते हुए चिल्लाई – “आह्ह्ह्ह… मैं भी निकल रही हूँ… आह्ह्ह्ह…”
उसकी चूत का पानी मेज़ पर बहने लगा।

दोनों थककर हाँफते हुए रसोई की फर्श पर बैठ गए।


😏 Twist / Emotional

साँसें संभालते हुए निशा ने हल्की मुस्कान से कहा –
निशा – “अगर ये बात मेरी सहेली को पता चले… तो शायद वो भी तुझसे…”

रमेश ने उसकी ओर देखकर हँसते हुए जवाब दिया –
रमेश – “तो अगली बार रसोई में तिकड़ी का मज़ा उठाएँगे…”


👉 Hook End:
अगले हिस्से मेंजब निशा की सहेली अचानक उसी घर में जाती है, और रसोई का राज़ खुलने लगता है…”

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